कर्मठता पर शायरी यानी जीवन में सफल होने के सफलता के सबसे ज़रूरी सिद्ध सूत्रों में से एक इसी अद्भुत गुण को माना जाता है।

जीवन के हर पड़ाव पर एक कर्मठ व्यक्ति को आदर व मान-सम्मान स्वयं मिलता है।एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व के लिए कर्मठ होना नितांत ज़रूरी है।दिल से लिखी इन कविताओं को पढ़ते हैं|

पढ़िए जरुर

|समर्पण पर प्रेरणादायी शायरी|

 कर्मठता पर शायरी

कर्मठता पर शायरी यानी अविरल सफल कदमों में जिसकी बड़ी भागीदारी

कर्मठता पर अनमोल वचन|51 सुंदर काव्य संकलन


1)आँखों में बसे है,स्वप्निल ख़्वाब
कर्मठता के लिए,सुनहरे पंख साथ।

 

2)सपनों की उड़ान भरती है जब
कर्मठता संग में होती ग़र तब।

 

3)जीवन से उम्मीद की डोरी बांधिये ज़रूर
कर्मठ तो बनना पड़ेगा,सोच लीजिए हज़ूर।

 

4)इतिहास हमारा हमेशा,यही है सिखाता
कर्मठता से हालातों को,क़ाबू है करता।

 

5)आत्म-बल को सदा बुलंद,रखना चाहिए
कर्मठता सा संग-साथ भी,रहना चाहिए।

 

6)जब सोच लिया,कुछ करने के लिए
ईश्वर देते आशीर्वाद,संग कर्मठता लिए।

 

7)हर पल रहे ख़ुशनुमा और सततशील
संभव है तभी,हो जब हम कर्मठशील।

 

8)जीवन रहे सरल और सादगीपूर्ण सदा
कर्मठता से हासिल करूँ,सपनों का जहां।

 

9)पगडंडी मैंने थोड़ी कठिन वाली,चुन ली
कर्मठता साथ थी न,आसान होने लगी।

 

10)दिल था उम्मीदे-आशियाँ संजोए
कर्मठता ने सुन्दर रास्ते थे दिखाए।

 

11)माना अभी उलझनों से,भरा है जीवन
कर्मठ हूँ,हार में जीत से भरूँगा जीवन।

 

12)वो नन्हा परिंदा,जोश मन में भर गया
कर्मठता के पंख भी,तोहफ़े में दे गया।

 

13)बड़ों को देख बच्चे,सब सीखते हैं
कर्मठता भी वहीं से,ग्रहण करते हैं।

 

14)जन्म से मृत्यु शैय्या तक,यशगान होता है
कर्मठता को अपना कर्म,मान जो चलता है।

 

15)कर्मठता बन मेरा रहगुज़र,रहा साथ-साथ
मन भटका जब भी ज़रा,प्रेरणा से जोश भरा।

 

कर्मठता पर खूबसूरत शायरी

 

16)कर्तव्यों से ज़िम्मेदारियाँ,निभाता है कोई
कर्मठता भी हो संग,रोकेगा भला कौन उसे।

 

17)ये इंसा की कर्मठता ही तो थी,चाँद पर पहुँच गया
सपनों संजो कर रहे जो डटे,आसमाँ को छू लिया।

 

18)एक छोटे से सूत्र ने बदली,सोच और असमर्थता
आँखें खुली झट से,मिली कर्मठता से सफलता।

 

19)नाज़ुक से परिंदे की उड़ान,तो ज़रा देखिए
कर्मठ से भरे हौंसलो की,पहचान तो देखिए।

 

20)ज़िंदगी का कुछ ऐसा,अब हाल है
बस मिलते आराम,भूलते सब काम हैं।

 

 

21)रोक नहीं सकती राह मेरी,आँधी-तूफ़ा बन बाधाएँ
ईश्वर ने दी है मुझे,कर्मठता के साथ ढेरों आशाएँ।

 

22)पतझड़ के मौसम में भी,बसंत का ख़्वाब रखते हैं
छोटी सी ज़िंदगी है,पर कर्मठता का साथ रखते हैं।

 

23)सपनें झझकोरते है,मीठी सी दस्तक दे अक्सर
उठो,बनो कर्मठ,मंज़िले-मक़सूद को लो बढ़ कर।

(मंजिले-मक़सूद=लक्ष्य को प्राप्त करना)

 

 

24)ये ख़ामोश लबों पर दिखती,जब लंबी तन्हाई
कर्मठता की कमी ने ही तो,यह हालत है बनाई।

 

25)हर किसी की चाह है होती,सफलता मिले उसे
कर्मठ हो तो,बस फिर लक्ष्य है सामने दिखती उसे।

 

26)शांति की राह देश के संत समाज ने,हमेशा दिखाई
कर्मठता और कर्तव्य पर चलने की,अलख भी जगाई।

 

27)रक्त रंजित इतिहास में मिला,आदर उन्हें सदा दिल से
सत्य की राह पर कर्मठता से,जो जीजान से थे लड़े।

 

28)कर्मठता का दूजा नाम,पिता का स्नेहिल व्यवहार
सुबहो-शाम बस मेहनत से,अपनों में बाँटे सारा प्यार।

 

29)ज़िंदगी में निरंतर गति रहे बनी,प्रयास होना चाहिए
कर्मठता का अमूल्य गुण,बच्चों में भी आना चाहिए।

 

30)जीवन में रिश्तों के ताने-बाने से,रचता सुंदर संसार
कर्मठता और सहनशीलता से बुनता सारा व्यवहार।

 

कर्मठता पर बेहतरीन कविताएँ 

 

31)ठान मन ने है अब लिया,कदम नहीं कभी रुकेंगे
कर्मठता मेरा दोस्त जिगरी,साथ हमेशा मेरे रहेगा।

 

32)फ़िक्रे-दुनिया से ही नहीं,अच्छी सोच से चलना होगा
कर्मठता से अपने व अपनों के,हालातों से लड़ना होगा।

 

33)हृदय हुआ जब-जब बहुत व्याकुल,ध्यान तब आया
बहुत दिनों से कर्मठता से,कोई काम नहीं हूँ कर पाया।

 

34)जब बुजुर्ग कर्मठता का बीज,परिवार में सब में बोते हैं
श्रेष्ठता का गुण बन धरोहर,सदियों तक यश कमाते हैं।

 

35)रुख़्सार की रंगत नहीं,कर्मों की चमक जब चमकाएँ
संसार के सृष्टिकर्ता भी,पृथ्वी पर स्वयं आ प्यार जताएँ।

 

 

36)काश!हर मानव बस इतना ही,दुनिया में कर पाता
ज़रूरत के समय तो,कर्मठता का भाव दिखा जाता।

 

 

37)ईश्वर के दरबार में वो हुआ हक़दार,मिला प्यार का ईनाम
धन-दौलत से फ़क़ीर था,कर्मठता से था जो धनवान।

 

 

38)जीवन है एक संघर्ष,कोई जादुई मंत्र नहीं है मिलता
दृढ़ता और कर्मठता से ही,जीत का रास्ता है खुलता।

 

39)सुबह की नींद है होती मीठी,कुछ थोड़ी सी अलसाई
भोर की अरुणिमा ने अपनी,कर्मठता की बात दोहराई।

 

40)न था जाना पहचाना रास्ता,न ही मंज़िल की थी खबर
बस धुन में अपनी कर्मठता को लिए,जोश से हुए सबसे बेख़बर।

 

41)सिर्फ़ कर्मठ होने का भाव,ज़िम्मेदारी का अहसास कराता है
आत्म-निरीक्षण करने का सुअवसर भी,संग बताता है।

 

42)चलो आज क्यों न एक नयी ज़िंदगी का,आग़ाज़ करते है
कुछ कोशिश आप करें,कर्मठता से हम भी शुरुआत करते हैं।

 

43)पहले कदम से अंतिम क्षण तक,नहीं चलती अकर्मण्यता
सुहानी सी ज़िंदगी के लिये,हर हाल चाहिए बस कर्मठता।

 

44)ग़मे-पिन्हा की मजबूरी को,किया सदा के लिए बाय-बाय
कर्मठता ने पुरफ़ूसूँ-लम्हे से जगाए,दिल में शम्माए-अरमाँ।

 

45)इतिहास के पन्नों में कर्मठता के,अनेकों क़िस्से है मशहूर
भारतीय होने का मुझे ख़ुद पर होता है गर्व,चर्चे है हरओर।

 

कर्मठता पर सुंदर रचनाएँ

 

46)गिरफ़्तारे-कफ़स से नहीं,उमीदे -आशियाँ सजाना चाहिए
कर्मठता को अपना कर,दिल से कुछ न कुछ करते जाना चाहिए।

(गिरफ़्तारे-कफ़स=पिंजड़े का क़ैदी)

 

47)जीवन में सुख दुख के,आने जाने का है बना हुआ दस्तूर
कर्मठता से ही हँसना और रोने का तय होता सदा बादस्तूर।

 

48)कर्मठता है ऐसा अनमोल ख़ज़ाना
जिसे छीन न कोई भी कभी पाएँ
पास जिसके वो अमीर बादशाह
पूजे हर कोई,आदर सबका पाएँ।

 

49)दादा जी की कर्मठता के क़िस्से सुन,

बहुत गर्व की अनुभूति है होती

एक अलग शख़्सियत की एक अलग सोच,

कितनी प्यारी बात है ये होती।

 

50)पूजा पाठ से नहीं,कर्मठता से होते ख़ुश ईश्वर ,

नहीं कोई ओर हल


सृष्टि के रचयिता को भी,

आना पड़ता है देने धरा पर स्वयं इसका फल।

 

51)भगवतगीता में श्री कृष्ण ने,

सही कर्म करने पर ही हमेशा ज़ोर दिया

फल मीठा मिले,कर्मठता की ही कसौटी पर,

खरा उतरने पर ज़ोर दिया।

कर्मठता पर शायरी जीवन के प्रति सकारात्मक विचारों को नयी दिशा दिखाती है।कर्मठता पर सुंदर कविताओं का काव्य-संग्रह पढ़िए ज़रूर।
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