कुटुंब पर शायरी सच कहा जाए  तो आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है| भारतीय समाज की विश्व स्तर पर एक पहचान कराती प्राचीन सभ्यता के एक विशाल परिवार की सरंचना लुप्त होती जा रही है|

दिन प्रतिदिन टूटते परिवार,उससे उपजती अनेकों समस्याएँ,आधुनिक समय में एक ऐसा  विकट प्रश्न बन चुका है जिसका हल सिर्फ कुटुंब में रहना ही है| 

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|परिवार की इज्जत पर प्रेरणादायी शायरी| 

कुटुंब पर शायरी

कुटुंब पर शायरी दिलों में प्यार बढ़ाएं,मिलजुल कर रहने की प्रेरणा जगाएं  

कुटुंब पर कविताएँ| 71 प्रेरक रचनाएँ 

1)कुटुंब शब्द एक परिवार के,होने का अहसास जगाए 

बिन अपनों के भी क्या जीने को,जीना कहा जाए|

 

2)कुटुंब शब्द प्राचीन भारत की है सुंदर पहचान

विश्व समग्र को माना परिवार,दिया कितना सम्मान|

 

3)एक दूजे की मुस्कुराहट पर,घर सारा जब हर्षाएं 

कुटुंब दे नाम इसको,अपनापन भी सबको दिखलाएं|

 

4)मनन-चिंतन-गुणन से व्यक्ति,अपनी पहचान कराता है

कुटुंब ही है वो सुंदर स्तंभ,इन बातों का महत्त्व बताता है| 

 

5)कुटुंब छोटा हो या बड़ा,एक दूजे को जो आदर दें पाए 

प्यार आपसी देख कर भला,दुःख कैसे नजदीक फिर आए| 

 

6)आत्मीय भावों से भरा परिवार ही तो,कुटुंब कहलाता है 

द्वेषपूर्ण वातावरण में सुख चाहने से भी, नहीं टिक पाता है| 

 

7)प्रेम पूर्ण  व्यवहार दिखता जिस घर में,कुटुंब उसे कहते है

धन दौलत लगती फीकी फिर,आपस में दिल जो मिले होते है| 

 

8)सुंदर- सुंदर रिश्तों की, एक माला खुद बन जाए

मीठे बोलों के सच्चे मोतियों से, जो पिरोई है जाए|  

 

9)सुख में हँसे संग,दुःख में बैठ लेते सुलझाएं 

कुटुंब में हर पल ख़ुशी से, बीता हुआ ही पाएं| 

 

10)रिश्तों की डोर को बांधे जो,धागा कुटुंब का बन जाता है  

ज्यूँ बूंदों का समूह धरा पर,बारिश का मौसम कहलाता है|

 

11)नफरत नहीं सिर्फ सौहाद्रपूर्ण व्यव्हार ही,कुटुंब की शान है 

फिजाओं में ज्यूँ महकती हवाओं में,गुलाब की अपनी पहचान है|

 

12)बरगद समान बड़ों का आशीर्वाद कुटुंब में मिलता है 

इसकी ठंडी छाया में,हर कोई स्वयं ही  पल्लवित होता है|

 

13)अपनों के विश्वास की डोर से, बंधा,कुटुंब ही है 

छल-कपट से दूर,बतियाता घंटों वो कुटुंब ही है|

 

14)घर में रखते कदम,जहाँ स्वागत में कलियाँ बिछ जाएँ  

कुटुंब के सिवा कहीं ओर क्या,इतना प्यार कोई कभी जताए| 

 

15)आओ कुटुंब नामक,एक सुंदर वृक्ष उगाएं 

प्रेम प्यार रूपी फल, इसके मिलकर सब खाएं| 

 

Best कुटुंब कोट्स

 

16)कुटुंब में बस, जिधर देखो प्यार है 

लगता खुशियों का, सम्पूर्ण संसार है|

 

17)जहाँ माँ ममता से,पिता अनुशासन से राह दिखाते है 

कुटुंब में यह सब गुण आपस में, प्यार से सींचे जाते हैं| 

 

18)दादा दादी की कहानियों में, सबक अनोखे होते है

 कुटुंब में रह धैर्य और मेलजोल के, मूल्य बेजोड़ होते है|

 

19)हर दिन रात लगते,जैसे मन रहा हों कोई  त्यौहार 

कुटुंब में रात्रि भोज पर गूजें,हंसी ठहाकों की फुहार|

 

20)बुजुर्गों की बात की कुटुंब में,अहमियत बहुत रहती है

किसी के साथ न हो कोई भेदभाव,फिक्र उन्हें भी रहती हैं|  

 

21)कुटुंब में सबके साथ रहना,मानों जीवन भर की पूंजी है 

सुख और दुःख दोनों में काम करती,असली संजीविनी बूटी है| 

 

22)काश कुटुंब जैसे, बस जाए फिर से परिवार 

इस जैसा सुख नहीं मिलता,न मिलता ऐसा प्यार|

 

23)अहम नहीं थोडा झुक कर,जब कहें दिल की बात

कुटुंब ही है होता,समझ लेता झट से दिल के जज्बात| 

 

24)टूटता है जब कभी दिल और बिखर जाते जब सपनें 

कुटुंब ही बढ़ कर मरहम है लगाता,है क्योंकि वो अपनें|

 

25)बैठ जहाँ हंसी मजाक की महफ़िल,फौरन जम जाए

कुटुंब में ऐसे मनोरम दृश्य,रोज रोज ही बस दिखते जाए|  

 

26)एक दिन भी लगता भारी,अपनों से दूर रह काटना

वापिसी में सब मिलें खुश मुझे,रहती दिली यहीं कामना|

 

27)मुझे बहुत पसंद अपनेपन की, कुटुंब वाली बगिया 

दादा दादी सुघड़ माली,हर क्यारी में खिलाए कलियाँ|

 

28)कुटुंब का होना आजकल,यानि एक सुखी परिवार 

 तालमेल चाहिए मजबूत,होता तभी हो जब आपसी प्यार|

 

29)जिस घर में बहुओं को मान, बेटी जैसा मिलता प्यार 

स्वर्ग इसे ही तो कहते हैं,कुटुंब इसका है सुंदर आधार|

 

30)दादा दादी चाचा चाची,भाई बहन मिल बनाते कुटुंब 

बुआ के आने के बाद तो, आती ओर भी मस्ती और उमंग| 

 

हैप्पी कुटुंब शायरी

 

31)जीजा जी के आने के बाद, बढ़ा कुटुंब का और आकार 

भांजे-भांजी भतीजे और भतीजी ने, आ लगाई अपने लिए गुहार| 

 

32)परिवार के सब प्रियजन,पास रहे चाहे हो कोई दूरी 

कुटुंब का नियम है पक्का,त्योहारों पर आना है जरुरी|

 

33)कभी कभी ना चाहते हुए भी,आ जाती है रिश्तों में दरार 

कुटुंब के बड़ों का लगता निपटने समस्या को,बड़ा सा दरबार|

 

34)घर में देख सुख शांति,कुटुंब का अर्थ होता सार्थक 

दिन भर की चर्चा होती रोज,नहीं होती बातें निरर्थक|

 

35)कुटुंब हो चाहे कितना बड़ा,दादी की है बात जाती मानी

बच्चों की लेकिन कभी कभी,मान ली जाती है हर मनमानी| 

  

36)माँ पापा को देख देते आदर,सीखा करना सब बड़ों का सम्मान 

कुटुंब में यह है जरुरी,मतभेद हो भले,मनभेद का नहीं कोई मान |

 

37)सारी समस्याओं की जड़ है, होता रखना अहंकार

कुटुंब सिखाता कैसे रख धैर्य,गुस्सा करना है  बेकार|  

 

38)कुटुंब स्वयं में बहुत,अमीर बादशाहत लिए होता है 

प्रेम समर्पण मीठी वाणी,जैसे गुणों से युक्त जो होता है| 

 

39)लालच मोह की छाया भी,नहीं बसाये यहां कभी डेरा 

कुटुंब बिखरते देर न लगती गर हो जाए इनका बसेरा|

 

40)ईश्वर की सबसे सुंदर कृति,बशर हुआ करती है 

कुटुंब में रहें मिल कर,रब की यही मर्जी हुआ करती है|  

(बशर=मानव जाति) 

 

41)कुटुंब है आज की सख्त जरूरत,भले ही कोई कह न पाएं 

नन्हें-मुन्हों के लालन-पालन में,परिवार ही सुंदर संस्कार सिखाएं|

 

42)जन्मदिन पर हर  किसी के,सजाते घर आँगन और द्वार 

कुटुंब में तो रोज ही यूँ है लगता,जैसे  मन रहा है क्या त्यौहार|  

 

43)बच्चे आपस में लड़ने में, दिखाते खुद को जब सिकंदर

कुटुंब में इतने सारे लोग,लगते दौड़,कोई बाहर तो कोई अंदर|

 

44)छोटों  में भरता जोश,

देख बड़ों की प्रबल इच्छा शक्ति 

कुटुंब में उदासी ना ना,दादी में है न,

माँ दुर्गा सी आदिशक्ति|

 

45)जीवन के हर आंधी तूफान भी,

दहलीज से लौट जाता  हैं .

कुटुंब की मानव शक्ति से तो स्वयं,

डर भी खौफ खा जाता है| 

 

कुटुंब पर सर्वश्रेष्ठ शायरी

 

46)गलती होने पर पापा-दादा की,

पड़ती जब फटकार 

दादी चुपके से ले जाती अलग,

कुटुंब के फायदे हज़ार|

 

47)बड़ों के गुस्से में भी,

जीवन का एक सबक छुपा होता है

कुटुंब है न अपना,

सिखाने का अंदाज़ भी अलग सा होता है|  

 

48)कुटुंब में किस्से कहानियों से 

जीवन मूल्यों को सिखाना एक रिवाज है 

पीढ़ी दर पीढ़ी बनता ऐसे ही इतिहास 

यही संस्कृति और मिलती विरासत है|

 

49)मेरा कुटुंब मेरी है शान,

इससे ही है मेरी पहचान

बड़ों के सुकर्मों का है यह फल,

मिलता मुझे भी सम्मान|  

 

50)जिसने पा लिया जीवन में  

कुटुंब जैसा अनमोल खज़ाना

चाहत क्या रहेगी जन्नत की फिर 

स्वर्ग सरीखा घर का सुख पाना|

 

51)बना एक सामाजिक प्राणी,

 ईश्वर ने भेजा धरा पर 

मिलजुल कर रहने की आदत से,

 की फिर ऐसी संरचना 

प्रथम कड़ी इस सिलसिले में

 होता एक मजबूत परिवार 

आपसी सुख दुःख में रहते 

जो सदा एक साथ हर बार|

 

52)प्रबल सम-भावना चाहिए, 

एक कुटुंब में रहने के लिए 

वैचारिक मतभेद होंगे जहाँ,

टकराव होते है वहां भी अक्सर 

एक बात हमेशा रहती विद्धयमान,

सभी के दिलों के अंदर

वैश्विक स्तर पर पहुचेंगे तभी,

जब प्यार करेंगे पहले घर पर|

 

53)उच्चतम जाति मानव की ही,

इस पृथ्वी पर है पाई जाती 

शारीरिक और बौद्धिक रूप से भी

श्रेष्ठ बुद्धि है मापीं जाती

आपसी टकराव यदि मन में रखेंगे,

हम परिवार में पाल कर 

बड़े बुजुर्गों की ऐसे में सलाह, 

कुटुंब की काम खूब है आती|  

 

54)माना चेहरे अलग,

सबकी चाहते हसरतें भी अलग 

स्थान वातावरण की अनुसार 

जरूरतें  भी होती अलग 

संस्कार कुटुंब के यहीं तो,

सिखलाते सभी को दे प्यार

दूरी भी नहीं बने कभी,

आपसी रिश्तो की डोर कमजोर|

 

55)”वसुधैव कुटुम्बकम्” की धारणा, हमारी सभ्यता की पहचान 

सदियों से अमल करता आया,भारत हर कोने में  हर इन्सान

टूटते परिवार क्यों अब है दिखते  इधर-उधर,देख मन है परेशां 

एक बार मिल कर बांटों तो सही,अपनों के संग अपने दिली अरमान| 

 

56)भूल गए हुम सभी, अब बचपन की रामलीला 

रामायण के सजीव पात्रों में, वर्णित सुंदर जीवन लीला 

अधिकार ही गर याद रखेंगे, हर क्षण,हर पल हर प्रहर

हासिल क्या होगा,यदि कुटुंब ही बिखर गया इधर उधर|

 

57)कुटुंब ही है सिखाता, समान भाव से,करना सबका सम्मान

बड़ों का आदर व् अपने छोटों से,सदा ही देना प्यार का वरदान 

साथ बढ़ने से ही परिवार में सब,सफलता की ओर होते है अग्रसर 

शांति पूर्ण सह-अस्त्तिव सहनशीलता से ही,खुलते नए-नए अवसर|

 

58)आशा है मुझे और पूर्ण विश्वास,एक दिन ऐसा होगा 

एक दूजे की जरूरत होती सबको,मानव यह समझेगा 

भेद भूला अपने सारे,एक सुंदर परिवार का आचरण होगा 

,”वसुधैव कुटुम्बकम्” का सपना, जग में फिर साकार होगा|

 

59)पूर्व वैदिक काल के कुटुंब,अब तो बस लुप्तप्राय हो  गए 

सारे नाते सब रिश्ते भी अपने -अपने में,व्यस्त है अब हो गए 

सोच विचार सब को मिल कर,यह तो करना ही होगा एक बार 

खुशियाँ किस के साथ मनाओगे, जब न बचेंगे अपने  परिवार|

 

60)संस्कृत हमारी साहित्यिक रूप से, सबसे समृद्ध भाषा है 

,”वसुधैव कुटुम्बकम्” इसी सोच से, उत्पन्न हुई सुंदर आशा  है 

वसुधा यानि धरा और कुटुंब माने परिवार,प्यारी बनी धारणा है 

 हर प्राणी इन्सान हो या कोई भी जीव-जंतु, इसका हिस्सा है|

 

 कुटुंब शायरी पर status 

 

61)कुटुंब शब्द इतिहास के पन्नों में, हो रहा अब दर्ज

आधुनिक बच्चे तो शायद जानते भी नहीं, इसका अर्थ 

किस महान सभ्यता का करेगी,आने वाली पीढ़ी जिक्र

वर्चअल लाइक्स के जाल में फँस,नहीं किसी को फिक्र|

 

62)धर्म जाति रंग भाषा संस्कृति में,बंट गयी बशर

हिंसा,युद्ध में है उलझे,नहीं किसी बात का कोई असर

प्रेम कुटुंब सिर्फ किताबों में,व्यवहार में नहीं आता नजर

आखिर किस दिशा में जा रहा है सारा विश्व,कौन करे पहल|

 (बशर=मानव जाति)

 

63)यूँ ग्लोबल विलेज फैशन में है आजकल 

दुनिया सिमट आने लगी है मुट्ठी में हर पल

दूरियां मिट रहीं है,मिलती पल पल की खबर

कुटुंब भावना को विकसित करने की हो अब पहल|  

 

64)देंखे  जब एक नज़र से दुनिया को,अंतर नहीं दिखता 

भौतिक रूप से या आध्यत्मिक रूप से, फर्क नहीं मिलता

कुटुंब में सब ज्यूँ भावनाओं से जुड़े,है एक दूजे पर निर्भर

किसी न किसी रूप में,हर देश भी है ऐसे ही आपस में निर्भर|

 

65)है अस्पष्टता का दौर,जीने को हर कोई मजबूर 

असुरक्षा,गरीबी,आतंकवाद का हर ओर बोलबाला

मानवता भी लगी दांव पर,रिश्तों का मोल है घट रहा 

कुटुंब इन सब सवालों का सही उत्तर,आज भी लग रहा|

 

 

66)कुटुंब एक सिर्फ शब्द नहीं,विशाल सोच है 

 मैं-मैं कहने से किसी का भी भला नहीं होता है 

मेरा  परिवार और सिर्फ मेरा परिवार सही नहीं है 

इस अंतर को समझने में ही, अंतत सब ठीक है|

 

 

67)जिस दिन शस्यश्यामला,वसुंधरा का अर्थ जान पाएंगे

पूरी प्रथ्वी के भूखंड के प्राणी,इस के वासी है,मान पाएंगे 

जीने के तरीके तो सब के, अलग-अलग हुआ ही करते है

कुटुंब ही एकमात्र सुंदर उपाय,मान जीवन सुंदर बना पाएंगे  

 

 

68)कुटुंब को मान प्रगति का रास्ता अपनाना होगा 

अलग-अलग विचारधारा के बावजूद एक है,मानना होगा 

उंच नीच जाति की भावना से स्वयं को मुक्त करना होगा 

सही मायनों में जीवन को सत्यम शिवम् सुन्दरम बनाना होगा|

 

 

69)पूरी दुनिया-जहाँ में मिलता,जहाँ  मानसिक आराम है 

दुःख में  मैं अकेला नहीं, साथ मेरे स्वजन खड़े है का भाव है 

जीवन के सुख दुःख में,जिनकी सलाह से ही आगे बढ़ता हूँ

ऐसे अपने प्यारे कुटुंब को, हृदय से नमन श्रद्धा से करता हूँ| 

 

 

70)होते वो बहुत खुशनसीब, जो एक कुटुंब में रहते है 

एक विशाल बरगद की ठंडी छाया में, सुकून से सोते है 

ज़माने की आंधी-तूफान उसे, क्या डरा पाएंगी कभी भी 

अरे! वो तो अपने, परिपक्कव बुजुर्गों की संगत में रहते है| 

 

 

71)मिले हर जन्म मुझे यही मेरा कुटुंब,ख्वाब यही रखता हूँ   

हे-ईश्वर मेरे करना इतनी कृपा,विनती हाथ जोड़ करता हूँ

ममता भरी छांव से रहूँ सदा आबाद,दिल से माँगा करता हूँ

जन्म कहीं भी मिले,बस संग साथ इन्हीं का हो,दुआ करता हूँ| 

कुटुंब पर शायरी लिखते हुए दिल बहुत भावुक हुआ,अपनों को हर जन्म में मिलने की इच्छा का मन रहा|

Best कुटुंब statusकविताएँ लिखने की पूरी कोशिश की है|आपके दिल को छुए तो जरुर COMMENT BOX में बताइये|