दायित्व पर शायरी अपने आप में एक खूबसूरत अहसास है,एक दूसरे के प्रति कर्तव्य को निभाए बिना जीवन की कल्पना भी अजीब सी लगती है|

दायित्व पर रचनाएँ अपने कर्तव्य बोध को स्वयं में जागृत करने,परिवार समाज और देश के प्रति कुछ अच्छा और बिना किसी अपेक्षा के करना सिखाता है| समाज में सुचारू रूप से बहुत कुछ हो रहा है इसलिए  क्यूंकि अधिकतर लोग अपने दायित्व को समझते हैं और निस्वार्थ भाव से कर भी रहें हैं|

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|समर्पण पर प्रेरक शायरी|

दायित्व पर शायरी

दायित्व पर शायरी स्वयं को और भी जिम्मेदार बनाने की आई बारी

दायित्व पर अनमोल वचन| 53 सुन्दर काव्य संकलन संग्रह

1)महत्त्व कर्म का,जिस दिन जान जाएँगे

दायित्व को ओर भी,जी-जान से निभायेंगे।

 

2)दायित्व का ज़िक्र,जब- जब भी आता है

पिता का मेहनती चेहरा, उभर कर आता है।

 

3)गिले-शिकवे यूँ तो रोज़ ही,ज़िंदगी सुनाती है

दायित्व पूरे करने की,मगर बात भी बताती है।

 

4)सत्यम् शिवम् सुंदरम्,जीवन का शाश्वत नियम है

दिल से दायित्व निभाना भी,इसके संग ही जुड़ा है।

 

5)ऐ-भीतर के कलरव-कोलाहल,थम जा ज़रा

अपने हिस्से के दायित्व,निभा तो लूँ सब ज़रा।

 

6)दायित्व को निभाना,लगता है सदा अच्छा

समझे कोई तो और भी,लगता है अच्छा।

 

7)कुछ इस तरह से,मैंने दायित्व को निभाया

ख़ुशी औरों को देकर,ख़ुद भी सुकून पाया।

 

8)स्त्रियाँ अगर दायित्व भूल जाती,ग़र सदियों पहले

दुनिया का स्वरूप होता वीरान और श्रीहीन पहले|

 

9)दायित्व का मतलब,जो ठीक से समझते है

वो लोग तो किसी ओर ही,माटी के बने होते है।

 

10)दायित्व घोलते,जीवन में खूबसूरत रंग

हर पल दिखते हर तरफ़,इंद्रधनुषी रंग।

 

11)आंसुओं से द्रवित करे,जब भी कोई आपका मन

दायित्व पहले फिर कोई बात,समझाए अपना मन।

 

12)मिलता है जिनको,यह प्यारा ईश्वरीय वरदान

दायित्व निभाने में कर देते,एक ज़मी आसमान।

 

दायित्व पर कोट्स

 

13)आज का दिन मिला,जैसे एक ईश्वरीय उपहार

यूहीं व्यर्थ न जाने देंगे,दायित्व करेंगे पूरे दें प्यार।

 

14)उस अनोखे कैनवास में,रंगो की छटा देखते बनती थी

समर्पण और दायित्व भावना से,ओत-प्रोत जो थी।

 

15)उमंगों की उषा,भोर की किरणों का बढ़ता तेज

दायित्व की भावना से,खिलखिलाते हृदय के वेग।

 

16)गुरु शिष्य परंपरा का दायित्व,हुआ अब थोड़ा कम

क्यूँकि जमाने ने बदला है,जब से अपना ही चलन।

 

17)ख़्वाब आँखों से निकाल,हक़ीक़त में बदलने हैं

दायित्व अपने मगर संग-संग,पूरे भी करने हैं।

 

18)दायित्व को निभाने में,सुकून महसूस होता है जब

आभार हृदय देता है ईश्वर को,नतमस्तक हो तब।

 

19)सिर्फ़ सोच लेने से ही,समस्या हल कभी नहीं होती है

दायित्व लिए बिना भला,कैसे कहाँ बात बन पाती है।

 

20)कठिन दौर होता है,जब ख़ामोशी ही अच्छी लगने लगे

दायित्व ने याद दिलाया,हौंसलो को तोड़ा नहीं करते।

 

21)माँ  का ऋणी धरा का हर शख़्स,हमेशा ही रहेगा

दायित्व निभाने में क्या कोई,दूजा नाम हुआ होगा।

 

22)जीवन का हर पड़ाव लगे,जब सलोना बचपन सा

दायित्व निभाते हंसी-ख़ुशी से,मान अपनापन सा।

 

23)सूर्य और चाँद अपने दायित्व पर,है अडिग आज तक

प्रेरणास्रोत सदियों से,न डिगे कभी भी कर्तव्य पथ पर।

 

24)मधुर सुरों से बाँध गीत,जीवन को देते ज्यों नवजीवन

दायित्व की भावना भी रहती बांधे,अपनों में अपनापन।

 

दायित्व पर बेहतरीन रचनाएँ 

 

25)दायित्व का महत्त्व, समझ में जब आता गया

जीवन है अनमोल, समय खुद ही यह बताता गया|

 

26)हर रिश्ते के दायित्व को,ताउम्र दिल से यूँ निभाया

आख़िर में मैं रहा अकेला,सबको आपस में जोड़ जो आया।

 

27))दायित्व निभाने के लिए,मन का भाव होना ज़रूरी है

परिस्थितियाँ तो अक्सर आगे बढ़ने से, डराती रहती है।

 

28)अबला कह स्त्रियों को,सदियों से है गया डराया

सच बात यह है कि दायित्व,उन्होंने पूरा दिल से निभाया।

 

29)बेरंग जीवन हो जब लिए,सूनेपन सा शृंगारहीन जीवन

दायित्व अपनों का भर देता उसमें,चाँद सा मोहक स्वप्न।

 

30)समुद्र की गहराइयों सा,व्यक्तित्व है उनका दिखता

शांत सतह पर उर में,दायित्व का फूल है जिनके खिलता।

 

31)दरिया आँखों से बह चला था उसके,न देखा गया हमसे

हंसाने का दायित्व था हमारा,सो वो पूरा किया हमने।

 

32)कई बार दायित्व निभाने के बावजूद,अकेले है रह जाते

समझ नहीं आता कैसे अपने ग़ैर और ग़ैर अपने बन हैं जाते।

 

33)अनगढ़ मूर्ति में भी,प्राण संचार सा हो ही जाता है

दायित्व जब प्यार से निभा,पलों को जीवंत कोई कर पाता है।

 

34)समुद्र की गहराइयों सा,व्यक्तित्व है उनका दिखता

शांत सतह पर उर में,दायित्व का फूल है जिनके खिलता।

 

35)स्मृतियों में सुन्दर पल ही,याद ज़्यादा आने चाहिए

धुंधली पड़ी घटनाओं में,दायित्व से रंग भर जाने चाहिए।

 

36)ख़ुशी से करते जब कोई काम,दायित्व बन जाता है

मजबूरी में होता जो काम,वह विवशता कहलाता है।

 

दायित्व पर प्रेरक शायरी

 

37)दायित्व निभाने की कला,

जब अंतर्मन से हो कर आती है

वो शख़्सियत एक अलग भीड़ में,

खूबसूरत नज़र आती है।

 

38)शिकन हो माथे पर ग़र,बेहतर है दायित्व न निभाया जाए

संस्कार क़ुर्बान होने की है,मुँह को ऐसे न मोड़ा जाए।

 

39)सूरज की किरणों सा तेज,

होता हृदय में ऐसे प्रज्वलित

जब कोई दायित्व होता पूरा,

ख़ुशी से होता दिल उल्लासित।

 

40)उसकी दूरी मुझे रह-रह कर,

दिन रात बहुत तड़पाती है

कसर दायित्व निभाने में कहाँ रही,

समझ नहीं आती है।

 

41)यह समर्पण की भावना ही तो,

आपस में जोड़ें रखती है

नहीं तो सब एक दूजे के लिए,

सोचना ही बंद कर देंगे एक दिन|

 

42)समय बदलता,साल बीतते,

हैं बदलते दिन और रात

दायित्व की भावना रहे इतनी प्रबल,

न करे असर कोई बात।

 

43)वनफूल की पंखुड़ियां,

चारों दिशाओं में बिखर जाती हैं

एक छोटे से दायित्व पर,

किसी की ज़िंदगी जब संवर जाती है।

 

44)दिक़्क़तों का आना स्वाभाविक प्रक्रिया,

है जीवन की

पर फिर भी दायित्व निभाना,

बेमिसाल प्रवृति है इंसा की।

 

45)नन्हा सा छोटा ग़रीब बच्चा,

दायित्व के नाम पर काम कर रहा था

खाने-खेलने की उम्र में,

घर का बुजुर्ग बन घर सम्भाल रहा था।

 

46)इस रंग बिरंगी दुनिया के,

अपने अनोखे अलग से क़िस्से है

दायित्व और समर्पण भाव वाले भी,

संस्कारों से मिले हिस्से हैं।

 

47)हृदय की नदियाँ में,

अविरल धार सी शांत बहने लगती है

दायित्व पूरा होने पर,

किसी के चेहरे पर हंसी जब दिखती है।

 

48)दृष्टिकोण की बात है,सही हो,

तो हर चीज़ में है दिखती सुंदरता

एक दैवीय शक्ति नवाजती दिन एक ओर,

याद दिलाने दायित्वता।

 

दायित्व पर Best inspirational poems 

 

49)दायित्व निभाने की आये बात,

तो कुछ लोग मुँह चुराते हैं

जो हंस कर ज़िम्मेदारी लेते हैं,

उन्हें सर का ताज पहनाती है।

 

50)दायित्व का सबसे सुंदर उदाहरण,

नहीं मिलता कहीं भी ओर

सीमा पर जाँबाज़ सैनिक के जज़्बे से,

नहीं कोई भी बढ़ कर।

 

51)दायित्व को निभाते वही,

रचाते जो सबके लिए सुंदर नवीकरण

जीवन है एक क़ीमती उपहार,

रखते सब के लिये एक सा समीकरण।

 

52)माधुर्य भाव से करना,

दायित्व को निभाना पुरानी परंपरा है

विशिष्ट है बहुत

और जीवट का जीवंत रूप रख पाना है।

 

53)रे-मनवा दायित्व अपना समझ,

कर्तव्य पथ पर बस चले जा

कौन कितना बदले में प्यार देगा,

परवाह किये बिना किये जा|

दायित्व पर शायरी जीवन के खूबसूरत पथ पर चलने की प्रेरणा देता है क्योंकि बिना दायित्व की भावना के कुछ भी हासिल नहीं होता।इसलिए दायित्व पर अनमोल वचन को ज़रूर पढ़िए और COMMENT BOX में अपनी राय भी बताइए।