पति पत्नी नाराजगी पर शायरी यानि दोनों के बीच कभी-कभी न चाहते हुए भी किसी न किसी बात पर मनमुटाव हो ही जाता है|शायद ही कोई ऐसे दम्पति होंगे जिनमें कभी ऐसी स्थितियां न आई हो| चलिए पढतें है कुछ अनकहें जज्बात,कह न पाया जो दिल सीधे अपनी बात|
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पति पत्नी नाराजगी पर शायरी,दिल की व्यथा बताये यूँ सारी
दम्पति के मनमुटाव पर कविताएँ|87 online रचनाएँ
1)आय-हाय ये कैसा हुआ
जालिम सितम
पति पत्नी ने नाराजगी में,
मुँह फेरा एकदम|
🙅🤷
2)प्रकृति के निर्माता हे-ईश्वर
और सबके सृजनहार
हमदम मेरा नाराज सा है,
प्यार के भर दो न रंग हज़ार।
3)रिमझिम बूंदें भी फेल,
कड़क चाय हुई बेदम
पति इधर और पत्नी उधर,
बोलचाल भी बंद|
4)घड़ी में तौला घड़ी में माशा,
जैसे ही रंग बदले
पल भर पहले ठीक-ठाक,
पल में नाराज़गी दिखें।
5)पति पत्नी की नाराज़गी,
बहुत तकलीफ़देह है होती
पैरों को दूर तलक चलने की अकेले,
आदत नहीं जो है होती।
6)जब से इश्क़-ए-हक़ीकी
उस खुशबू-ए-रूह से हो गई
ख़ुश हूँ अब और नाराजगी से भी,
उनसे मोहब्बत मुझे हो गई।
(इश्क़-ए-हक़ीकी=ईश्वरीय प्रेम)
7)नाराजगी जब हद से
ज्यादा बढ़ जाए
पति पत्नी को भला
कैसे कौन मनाए|
8)ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीदें,
बनती नाराज़गी की वज़ह
अब हर बात पर मनाते ही रहें
ऐसा कब तक चलेगा,बताओ तो जरा।
😅
9)आखिर किस कारण से,
उपवास रख लिया
नाराजगी में पति पत्नी ने,
खाना भी बंद किया|
10)हलकी सी मजाक पति पत्नी के बीच बन,
नश्तर चुभ गई
तलवारें तानाकशी की एक पल में,
दोनों ओर से चल गई|
11)एक दूजे को फूटी आँख,
नहीं है अब सुहाते
पति पत्नी नाराजगी में,
कुछ सह नहीं पाते|
12)बेवजह तालुक्कात
इस कदर बिगड़ गए
नाराजगी में अब तक सब वायदे,
स्वाहा हो गए|
13)इंस्टेंट वाले जमाने में,
रिश्तों में आई गिरावट
पति पत्नी नाराज़ क्या हुए,
सामने आई बनावट।
14)नाराज़गी कई मर्तबा,
नजदीकी भी बढ़ाती है
प्यार से बात जब दोनों को,
समझाई जाती है।
15)मन को इतना व्यथित न करिए
ऐ-मेरे हजूर
जाने अंजाने गलतियां है हो जाती,
हम हैं बेकसूर।
16)पति पत्नी का नज़रअंदाज़ करके जाना,
अखरता है
नाराज़गी में कौन पहले मनाए,
ये मायने रखता है।
😂😂
17)रूठने-मनाने की रस्म अदायगी,
अच्छी लगती है
बशर्ते पति पत्नी की नाराज़गी
दिखाने की होती है।
18)नाराज़गी में पत्नी,मायके को
बहुत याद करती है
उदासी देख उसकी पति की,
ज़िद भी झुकती है।
19)नाराज़गी का हक़ माना है,
मिला शादी के साथ
ज़्यादा में यक़ीनन,
दिल टूट न हो जाये बरबाद।
20)ख़ुद में ख़ुद की तलाश,
अभी तलक जारी है
नाराज़गी भले ही हो चार दिन की,
जंग दिखती पति पत्नी में भारी है।
पति पत्नी के तनाव वाली शायरी
21)रूठना अच्छा लगता है,
यूँ तो कभी कभी
मनाये वो यह बात,
पसंद है मुझे जाने वो भी|
22)पल दो पल की नाराजगी,
पति पत्नी में चलती है
मगर बदल जाएँ नफरत में,
बात कहाँ जंचती है|
23)जिसे हम बहुत प्यार करते है
नाराज़ भी ज़्यादा,उससे हो जाते है
नाराज़गी में प्रेम की जगह
पति पत्नी दूरी ओर बढ़ा जाते है।
24)काश।आज बस रुमानी बरसात हो
ठंडी ब्यार संग नाराजगी नहीं
पति पत्नी के बीच,हर वक्त
बूँदों की रिमझिम बौछार हो।
25)नाराजगी बन एक अहसास
अफ़साना सा बना होता है
समय के बीत जाने पर भी,
वो पति पत्नी पर अपनी पकड़
दिल में बनाए रखता है।
26)यूँ धड़कनों को दूर रहना,
नहीं है मंजूर
पर कैसे दोनों मनाये,
नहीं पता ये दस्तूर|
27)नाराजगी में चुप्पी,
रिश्तों को बचा लेती है
पति पत्नी की बेरुखी मगर,
तोड़ भी देती है|
28)हँसते चेहरे से पति पत्नी के,बीच
बस खिलखिलाहट हो गई
नाराजगी हार गई फिर से,
मोहब्बत की चहचहाट हो गई|
29)सबसे बड़ा कृतिकार जिसने
ये दुनिया नायाब बनाई
पति पत्नी के बीच के हर दिल में,
नाराजगी भला क्यों है बनाई ।
30)भावुक अंतहीन सिलसिलों को,
ढूंढता फिरता ये नाराज मन
हर पल हर लम्हे में,ढूंढें पति पत्नी,
अपने प्यार के खोए हर क्षण।
31)एक नज़्म सजनी के नाम,
लिखने को जी चाहता है
नाराजगी छोड़ो भी न,
प्यारा पैग़ाम देने को जी चाहता है।
32)नाराजगी कर लेंगे सहन
पर बेरुखी नहीं कभी
पति पत्नी चाहते तो यही
होती मगर दिखाते तभी|
33)घर-गृहस्थी में पति पत्नी में,
नाराज़गी हो जाती है
फिज़ा भी देखो न,
सुबह से शाम में कितना बदलती है।
34)पतझड़ यानी नाराजगी भरे पल,
आए जब बसंती हवा का झोंका
जीवन जीने का नाम,पति पत्नी ने प्यार से
जब दिल एक दूजे को फिर से सौंपा।
35)यूँ तो बंधें थे प्यार में एक दूजे के,
पति पत्नी बेशुमार
एक छोटी सी गलतफहमी ने,
सपनों को किया तार-तार|
36)नाराजगी नहीं प्यारी चाहत का
हसीन ख़ूबसूरत साथ हो जाए
रंग बिरंगी छतरियों के नीचे,
पति पत्नी का लिए,हाथों में हाथ आ जाए।
37)पति पत्नी का प्यार वो कविता है
जो नाराजगी में भी पुरफूँसूँ-लम्हे के
सुन्दर ख़्याल अपने ज़ेहन में
हर हाल बसाए रखता है।
(पुरफूँसूँ-लम्हे= जादुई क्षण)
38)खामोशी दोनों के दरम्यान की,
इस तरह से बढ़ गई
घर के कोने-कोने में,
पति पत्नी की नाराज़गी पसर गई।
39)प्यार करें तुम से तो क्या नाराज़ होने,
पड़ोस में जाएँगे
पत्नी हूँ तुम्हारी सुन लो पति जी,
हमें मनाने आप ही आएँगे।
40)यूँ छोटी-छोटी सी बातों पर,
रूठ क्यूँ जाती हो बार-बार
मालिक हूँ मैं तो नाम का,
रौब तो है चलता तुम्हारा ही हर बार।
नाराजगी status पति पत्नी का
41)देखो पत्नी जी,जानती हैं न आप तो,
हूँ मैं बहुत शरीफ़
नाराज़गी में कैसे मनाऊँ तुम को,
नहीं जानता कोई भी तरकीब।
42)पति जब प्यार से मनाए,
तो मान भी जाना ही चाहिए
पत्नी को मिले ग़र ऐसा मौक़ा,
नानुकर नहीं होना चाहिए।
43)औरों से हो के ग़ुस्सा,जीना
कई बार आसान लगता है
पति पत्नी का नाराज़गी में,
साथ रहना मुश्किल लगता है।
44)दो दिन की कह,एक लंबे अरसे से
नहीं आये हो तुम घर
नाराज़ ग़र जो हुई मैं,मना नहीं पाओगे,
फिर पति परमेश्वर।
45)रूठने-मनाने का सिलसिला है,
बहुत ही बहुत ज्यादा प्यारा
मोहब्बत का प्रतीक गुलाब,
लगता पति पत्नी को तोहफ़े में न्यारा।
46)इतनी भी क्या नाराजगी एक दूसरे से,
हो सकती है क्या किसी से
एक पल में दुनिया लगे वीरानी,
कोई अपना सा ना लाहे तभी से|
47)ऐ-दिल यूँ ए’तिबार न किया कर,
ग़ैरों पर यूँ ज़रूरत से ज़्यादा
घर-गृहस्थी में अक्सर दिले-ज़ार,
नाराज़गी दिखा,न फिर भुगते ख़ामियाज़ा।
(दिले-ज़ार=पीड़ित दिल)
48)ये नेमत,ये अनमोल तोहफ़ा जीवन का,
ऐ-हमसफर ये ही जिंदगानी है
गर मोहब्बत सच्ची,नाराजगी में भी
असंभव को संभव करने की ठानी है।
49)प्यार से जो बोल दे,मीठे बोल,
नाराजगी में यही दिल को तड़पाता है
नाजों-अन्दाज़ भी उठाता रहे-
दिल ही तो है,पाने को मचल जाता है।
50)चाँद तारें तोड़ के लाने वाले,
अक्सर नाराजगी में पीछे छूट जाते है
आँखो की नमी को भाँप ले जो,
वही पति पत्नी असल में रहगुज़र कहलाते है।
(रहगुज़र= हमसफ़र)
51)कागज़ों ने सुनी है
हो मौन निःशब्द,पति पत्नी की कहानी
सताईश रही या नाराज़गी जब कभी भी
मुस्कान लबों पर रखने की,रखी पर रवानी।
(सताईश=तारीफ़)
52)मन के पतझड़ का एक ही जवाब-
मोहब्बत से करो मन लबरेज़,
छोड़ो ये नाराज़गी की बातें
पति पत्नी मिलें,तभी होगा बसंत लाजवाब।
53)अनकहें शब्द पढ़ने के लिए आँखें नहीं,
दिल की धड़कन पति पत्नी के पास चाहिए।
नाराज़गी तो बिलकुल भी नहीं,
तेरा उसमें अहसास का साथ चाहिए।
54)कुछ कश्मकश सी छिड़ी हुई है,
पति पत्नी के दिल के अंतर्मन में आज
मोहब्बत रूठी है दोनों की,
कैसे मनाए कैसे लें,संग उनका साथ।
55)और आप,प्यारे पति परमेश्वर,
किस जगह से डिग्री हासिल करके आए हो
ये फ़ालतू के कर्मकांडो में,
नाहक हमें करके मज़बूर
नाराज़गी हमारी तो बढ़ाये जा रहे हो।
🧐😙
56)तेरी ख़ुशी थी अज़ीज़ हमें,
दिल से तेरी नाराजगी को भी अपना लिया
ग़म-ए-हयात को ही बस कह अपना,
मोहब्बत का एक चोला पहना दिया।
(ग़म-ए-हयात =ज़िंदगी का ग़म)
57)नाराज़गी में सदा ही पति पत्नी के
लिए गए फ़ैसले अक्सर तड़पाते है
क्यूँकि दिल-दिमाग़ नहीं होते एक साथ,
ख़ूब एक दूज़े को बेजा रुलाते है।
58)तमाम गिले-शिकवे दूर करने की,
दिल से कोशिशें की पति पत्नी ने
पर निराश हो उम्मीदें-आशियाँ की दुनिया,
अहसासों से बसा ली मन ने।
59)प्यार वो नहीं जो मिल न पाए
तो गिले-शिकवे करे दुनिया से हज़ार
सब्र रख करे पति पत्नी, इस अहसास को,
ख़ुशी से रखे चुप्पी में भी जबान पर इख्तियार।
60)नाराजगी में व्यंग से ऐवॉने-तअल्लुक,
पति पत्नी के पाते है जहमत
हल्की सी मुस्कान पिघला देती है जमी बर्फ़,
बस हो जब खुदा की रहमत।
(ऐवॉने-तअल्लुक=संबंधों के महल)
पति पत्नी नाराजगी कोट्स in hindi
61)घर का हर कोना,आँगन का नीम का पेड़
पति पत्नी की नाराजगी में चुप है
हर कोई,बस सोचता,है खामोश
न जाने किसकी लगी बुरी नज़र है।
62)आदम काल से है ये,
है प्रकृति का शाश्वत नियम,
पत्नी का हुक्म ही है चलता
हुआ भला इसमें क्या कोई जुल्म
काहे को फिर मुँह कान की,
शक्ल बिगाड़ते हो,पति महाराज
क्यूँ रोनी सूरत हो बनाते,होकर नाराज़।
🥺😋
63)दिल के पन्नों पर ख़्वाहिशों के गलियारों से
गुज़रते हुए नाराजगी भरे जज़्बे व जज़्बात की
रेशमी अल्फ़ाज़ों से लिखी कहानी
पति पत्नी की मोहब्बत ही तो होती है।
64)शाम-ए-अलम में यूँ न ख़ुद को पति पत्नी,
ऐसे बेबस बेज़ार कीजिए
नाराजगी हरगिज नहीं,
मोहब्बत में प्यार भरा, इंतज़ार कीजिये।
(शाम-ए-अलम= दुख भरी शाम)
65)नाराजगी से अब तो जानम,
बस निजात होनी ही चाहिए
सिलसिला हो बातचीत का शुरू फिर से
गरम चाय पकोड़ी से शुरुआत होनी चाहिए।
66)अहसास समझाने से भी न समझे जो,
वो हरगिज़ अपना हो नहीं सकता
सुना है दिल के तार तो हो बेतार,
नाराज़गी में भी दिलों तक पहुँच जाया करते है।
67)नाराजगी में-भोलेपन में जो भी कहे,
अच्छा नहीं कभी लगता है
वर्षों बाद याद करने पर उसे ही याद करना,
पति पत्नी को पर सबक सा लगता है।
68)अपने दिल पर लिखो
एक पैग़ाम मोहब्बत का
हसीन ख़ूबसूरत जज़्बातों का
ख़्वाहिशों के अहसासों का
चाहतों का हसरतों का
नाराजगी के पलों को हटाने का
इसी इस पल को महसूस करने का।
69)रिमझिम सावन में बूँदों की फुहारों संग,
मौसम झूम-झूम के रिझाये
नाराज़गी करने दूर पति पत्नी की
कुसुमित उर में नव कोमल,
प्रीत भरे गीत अधरों ने
मधुरता से हो ख़ुश गाये।
70)बेरंग सी-बेसुध सी रुकती,
नाराजगी में पति पत्नी की तेज़ रफ़्तार
बाँसुरी की तान छेड़ो न,सुलह की कान्हा
प्यारा सा फिर से कर लो दो हमारा संसार।
71)कभी बेचैन हो उठता नाराजगी में दिल,
ख़यालात में दिखती पति पत्नी को होती ज़िंदगी-ख़्वार
कहते ज़िंदगी तू मुक्कमल तो नहीं,
पर फिर भी हमें तुझ से है बेइंतहा प्यार।
(ज़िंदगी-ख़्वार=अस्त-व्यस्त ज़िंदगी)
72)देखो पिया,काम था अपना तो समझाना,
हम को क्या,बात को देते हैं पूर्णविराम
ये नाराज़गी वाला व्यवहार अब न चलेगा,
देना होगा हमारी ही बात को,पूरा सम्मान।
😀🤪🤓🤪😀
73)हसरतें बहुत थी कहना चाहा था ज़ुबान ने,
पति पत्नी की नाराजगी में कई मर्तबा
पर दूर थे दोनों इतने,बस जज़्ब कर ख़ुद में ख़ुद को,
दफ़ना दिया हर दफ़ा।
74)बिन चकोर खोया खोया चाँद,
मानों ग़ायब हुआ अब लुत्फे-हयात है
नाराज़गी में आसमां लगता बियाबान,
हुए बेजा से जज़्बात है।
(लुत्फे-हयात=ज़िंदगी का सफ़र)
75)वक्त चलेगा अपनी चाल
फ़िक्रें-दुनिया छोड़,ऐ-मेरे हमसफ़र
पुरफ़ूसूँ-लम्हे आयेंगे,करने ख़ुदबख़ुद
करेंगे नाराज़गी आपस की दूर
जब बढ़ करेंगे एक दूज़े का इस्तिकबाल।
(पुरफ़ूसूँ-लम्हे=जादुई क्षण।
इस्तिकबाल=स्वागत)
76)क्या होगा अब क्या करें,कैसे करें
पति पत्नी के दिलो-दिमाग़ में,है तकरार
मोहब्बत है दोनों को लगता है फिर भी डर,
न कहेंगे जब तक,रहेंगे ऐसे ही बेक़रार।
77)सच्चे दिल से से माँग कर तो देखो,
पति पत्नी सोचे,क्या सच में ऐसा होता है
प्यार से निकली दुआ को तो वो रब,
बेशक! सच में हर हाल क़बूल करता है।
78)यूँ पति पत्नी ने अपनी नाराजगी का
रंग-अफ़शानी से सरोबार कर दिया
अब क्या माँगे खुदा से,दुआ क़बूल कर
एक आबिदे-पाक दोनों ने, दोनों को दे दिया।
(रंग-अफ़शानी=रंग का छिड़काव
आबिदे-पाक-पवित्र उपासक)
79)चाय की प्याली,आँखों से होती बात
गर्मागर्म पकोड़े भी हो संग जब साथ
महकती ख़ुश्बू अदरक व इलायची की
उफ़्फ़!! न चाहते हुए भी नाराज़गी में भी
ज़ाहिर हो ही गए प्यार के,अनकहें जज़्बात।
80)याद में आँसू ख़ुद जज़्ब हो जब,
ख़ुशी के नीर में फिर तब्दील हो जाए
समझ लीजिए मोहब्बत की गिरफ़्त में है,
नाराजगी में हो अब यूँ ख़फ़ा
कहीं पति पत्नी अलहदा न हो जाए।
पति पत्नी की नाराजगी पर बेहतरीन रचनाएँ
81)ये जो मोहब्बत हैं न,सुनिए
बिन बात सिखाती मुस्कुराना
रोम रोम का महक सा जाना
रूह से रूह का ख़्वाबों में मिलवाना
खुदा की इनायत को समझ पाना
ज़माने से लड़ने का हौसला जगाना
ख़्वाहिशों को तस्व्वुर में सजाना
अल्फ़ाज़ नाराजगी वाले नहीं चाहिए -बस
आँखो की ज़ुबा से ही,आपसी हाले-दिल बताना।
82)सासू माँ काहे शोर मचाती हो,
ज़रा चार दिन अपनी भी
पतली कमरिया हिलाओ न
सुनो!माते श्री!घर के काम न होंगे हम से अब
बेटा आपका नाराज़ है हम से जब तलक
ये जो कमरा बनी कमर हैं न,
थोड़ा सा मटकाओ न।🤪😎
83)इतिहास में सबसे ज़्यादा कहा लिखा पढ़ा गया
शब्द यक़ीनन मोहब्बत ही होगा
पति पत्नी हों जब नाराज़ एक दूसरे से
मिलने को तड़पें,प्यार मज़बूत वहाँ होगा।
84)मुजरिम बना यूँ खड़ा हूँ चुप सलाखों के पीछे,
आख़िर नाराजगी में कारण पूछने का,जुर्म किया है
गर यह भी जुर्म है सजनी तुम्हरी नज़र में,
तो बेशक!!ये जुर्म तो मैंने किया है।
85)एक प्यार भरे अमान के आशियाँ की,
है अपनी जुस्तजू
जन्नत की ज़रूरत,फिर महसूस नहीं होगी,
सोचूँ कुछ यूँ
ऐ-ईश्वर! सुनो! बस एक छोटी सी ,
तो की है आरज़ू
सान्निध्य रहें हम दोनों का,नाराज़गी नहीं,
करते रहें गुफ़्तगू।(अमान=सुरक्षा भाव,हिफ़ाज़त)
86)दिल में की दफ़्न बातें,
दिल को बना क़लम
दिल से हाले-दिल,
पति पत्नी ने लिख दिया
ऐतबार दिल ने महसूस किया,
सुकून से जैसे ही
नाराज़ दिल को स्वर्णिम-जर्री भी
पिला दिया।
(स्वर्णिम-जर्री=स्वर्णिम प्याला)
87)जब ख़ुद से प्यार किया
जाना ज़िंदगी लम्बी या छोटी नहीं
बस कितनी हसीन होती है
और दिल की धड़कनों ने भी इजहार किया
जियो ज़िंदगी बस हर पल ख़ुश होकर
छोड़ी नाराजगी जीवनसाथी ने सोच,कल क्या होगा
बढ़ कर दोनों ने हर पल का,यूँ इस्तिकबाल किया।
(इस्तिकबाल=स्वागत)
पति पत्नी नाराजगी पर शायरी, हर घर की कहानी है|दोनों के बीच होती नाराजगी की बहुत सी वजहों को बताने की कोशिश की है|पढ़िए पति पत्नी के झगड़ों पर कविताएँ|COMMENT BOX में अपनी पसंदीदा रचना के बारें में लिखिए भी जरुर|🙂
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।