परिवार की इज्जत पर शायरी यानि सबसे अहम् और खूबसूरत अहसास अपने परिवार का होना है,इसलिए हर संभव प्रयास उसकी इज्जत को बढ़ाने का ही होना चाहिए|
परिवार की इज्जत से ही हर व्यक्ति का अवलोकन होता है और परिवार से ही पहचान है और इस पहचान को बनाये रखना सभी लोगो की जिम्मेदारी भी है,कैसे हमारे कार्यों से इसका सम्मान बना सकते है|कुछ रचनाएँ प्यार से लिखी है|
जरुर पढ़िए
|रिश्तों की मर्यादा पर अनुकरणीय शायरी|
परिवार की इज्जत पर शायरी यानि अपनी जिम्मेदारियों से रूबरू होने की तैय्यारी
family की मर्यादा पर कविताएँ| 61 जज्बाती रचनाएँ
1)मेरा घर मेरा परिवार,है मेरे जीवन का आधार
नमन दिल से बहुत बहुत,करते सभी से प्यार बेशुमार|
2)बात जब परिवार की, आन-शान पर आ जाती है
यह जान कुर्बान हो जाए भी तो,फिक्र किसे सताती है|
3)परिवार की इज्जत, गर है बढ़ानी जब
संकुचित नहीं, विशाल दिल बनाये तब|
4)हर रोज अपनी दुआ में मांगते, सलामती परिवार की
समाज में इज्जत रहे,खुदा की नेमत और ईमान की|
5)पूछे उनसे जो रहते है, प्यार से महरूम
परिवार की इज्जत में ही मिलता,बहुत सुकून|
6)दिन भर की थकान, मिनटों में मिट है यूँ जाती
परिवार के मान से,उसी अंदाज़ से बात है जब होती|
7)परिवार की इज्जत बनती,हर पीढ़ी की रहगुजर
घने अन्धेरें में भी जुगनू सी चमक लिए,कहती ना डर|
(रहगुजर=सहयात्री)
8)यूँ अचानक आ जब-जब दर्द ने,दुखों को बढ़ाया
परिवार की इज्जत ने,चोटों पर प्यार से मरहम लगाया|
9)माँ-पापा की डांट,उस दिन समझ में आई
उनको मिली इज्जत ही,वक्त पर काम जब आई|
10)विशाल बरगद सी मिलती,परिवार तले ठंडी छाया
दुःख में कांधे पर कमाई इज्जत से, मिलता बड़ा साया|
11)परिवार की इज्जत ने, जीवन में बहुत नाम दिया
मैंने भी,उत्तम कार्य करने का, प्रण अब ठान लिया|
12)परिवार की इज्जत, तब आती बहुत काम
जब दलदल में फँस जाते हैं, आप अपनेआप|
13)कमा लेना बड़ी बात,नहीं इतनी है होती
कैसे है कमाया,इज्जत इस बात की है होती|
14)घर के बड़ों की इज्जत, जहाँ होती है
जन्नत भी असली वहीँ ही, बसी होती है|
15)परिवार की इज्जत, हर हाल बचानी चाहिए
विश्वास प्राण को जान देकर भी,दिखानी चाहिए|
परिवार के सम्मान पर शायरी
16)दादा जी के चेहरे पर, सौम्यता का भाव जचंता है
परिवार की इज्जत का नाम भी,उनसे ही तो बनता है|
17)प्रयास बनाते,परिवार की इज्जत करे जो सभी
सिर्फ सोचने से ही तो, कुछ होता नहीं कभी|
18)परिवार की इज्जत, एक कोमल धागे सी होती है
मोतियों से पिरोने में,इसकी मजबूती बहुत होती है|
19)जन्म से बंधें रिश्तें यानि खुदा की है मर्जी
इज्जत इसकी बड़ी दौलत,बाकि सब कुछ है फर्जी|
20)जिस घर में बड़ों का स्नेह,बच्चों पर बना रहता है
,इज्जत में इजाफा करने का मन, छोटों का भी रहता है|
21)था बहुत हैरान, देख अपना इस्तिकबाल
परिवार की इज्जत का, हुआ था यह कमाल|
22)चंचल लहरों सा जीवन,डगमग-डगमग है जब करता
परिवार बन पतवार,साहिल पर ला अपनी इज्जत का दम भरता|
23)उम्र बीतती इज्जत कमाने में,परिवार की बनाने में धरोहर
दुःख जाते दिल सबके,एक कंकड़ से हिल जाता जब शांत सरोवर|
24)परिवार की इज्जत कैसे बढ़े,बचपन से सिखानी चाहिए
हर कार्य हर बात में एक शालीनता की, दृष्टि दिखानी चाहिए|
25)होते खुशनसीब मिलती जिन्हें,विरासत में इज्जत मयस्सर
एक ऐसा अकूत खज़ाना,जिसका कोई न होता ओर-छोर कहीं पर|
( मयस्सर=प्राप्त)
26)परिवार की हर दीवार रहे मजबूत,कोशिश है रहती
इज्जत अक्सर घटाते वहीँ,कमजोरी है जिन्हें पता होती|
27)दिल गहरी चोट उस वक्त, बहुत ही खा जाता है
परिवार की इज्जत पर,अनजाने में दाग लग जाता है|
28)उस ऊँचे दरख्त के नीचे, चौपाल खूब लगा करती है
परिवार की इज्जत यूँही रातोंरात,नहीं बन जाया करती है|
29)छोटी-छोटी बातों को यूँ दिल से,नहीं कभी लगाया है करते
पारिवारिक इज्जत के सामने, कभी खुद भी झुक जाया है करते|
30)परिवार की इज्जत आड़े समय में,काम आती है ऐसे
बियाबान जंगल में,रौशनी की दूर से चमक दिख जाए जैसे|
Best परिवार की इज्जत पर status
31)पैसों से मुफलिस रहना था, मंजूर मुझे हर हाल
इज्जत परिवार की छोड़ना, कतई गवारा नहीं किसी भी हाल|
32)कौस-ए-कुजह सा, एक रुतबा हुआ है कितना
परिवार की इज्जत को, पुरखों ने है कमाया इतना|
(कौस-ए-कुजह=इन्द्रधनुष)
33)इज्जत उस परिवार की,बादे-ए-सुबह सी है
जिसमे हर शख्स की शोहरा, महकी हवा सी है|
(बादे-ए-सुबह=सुबह की सुहानी हवा|
शोहरा=प्रसिद्धि)
34)परिवार की इज्जत, कुम्हार की भूमिका निभाती है
बचपन से ही बच्चे को, अच्छे जीवन मूल्य सिखाती है|
35)इज्जत अपनों की मुनक्कश, है रहती जेहन में
आईना बन दिखता रहेगा,लिखा दिल की दीवारों पे|
(मुनक्कश=चित्रित)
36)असली खज़ाना तो बस,अपनों का प्यार ही होता है
सब का संग-साथ ही तो,इसकी दौलत यानि इज्जत होता है|
37)परिवार की इज्जत बन खुशबू-ए-रूह,महकती है हर ओर
भरी महफ़िल में परिचय हुआ,मेरे पिता के नाम का हवाला देकर|
38)जिस घर में संस्कार और अदब कायदा होता है
परिवार की इज्जत का ख्याल, सबको सबका ही होता है|
39)परिवार की इज्जत के लिए,सदा झुक जाना चाहिए
धन दौलत आनी-जानी है,अफ़सोस नहीं मनाना चाहिये|
40)लोग पूछते है अक्सर मिले कहाँ से,दिलाबेज ख्यालात
सुनते परिवार का नाम,करते ताजपोशी बहुत इज्जत के साथ|
41)जिस परिवार में रहती, इज्जत सदा ही बरक़रार
ईश्वर के आशीर्वाद से,है वो घर- बार ख़ुशी से सरोबार|
42)इज्जतदार परिवार एक सुंदर,
अनमोल उपहार है
संभाले रखना हर सदस्य का भी,
जन्मजात इकरार है|
43)जन्म से मृत्यु-पर्यन्त तक
परिवार ही हर हाल साथ निभाता है
हर हाल उसकी इज्जत बढाने का,
अहसास भी बना रहता है|
44)सबसे बड़ा इन्सान है वो ही,
करे जो परिवार की इज्जत
आचरण और व्यवहार ही बनाता,
उस इंसा को सर्व-सम्मत|
Family की इज्जत पर भाव पूर्ण रचनाएँ
45)एक गर्व का भाव,
मुझे मोहित कर गर्वीला बनाता है
कोई मेरे पारिवारिक जिक्र को,
बातों में इज्जत से बताता है|
46)परिवार की इज्जत
,मानों भोर की किरणों सी उज्जवल
रौशनी से नहाया रहता हर जन,
सुंदर लगता हर पल प्रज्ज्वल|
47)परिवार की इज्जत करती,
बेहतरीन काम जैसे दवाई का
सीना फूल जाता सुनकर,लगती सफल जिन्दगी,
असली कमाई का|
48)परिवार की इज्जत गर हुई घूमिल,
जिन्दगी-ख्वार बन जाएगी
दुनिया होती कितनी जालिम,
दिन मे भी तारें जरुर गिनवाएंगी|
49)परिवार मेरा स्वाभिमान और
मिली इज्जत मेरी किस्मत
जी-जान लगा कर बढ़ाऊंगा,
आखिर खुदा की मिली यह नेमत|
50)परिवार को इज्जत मिले,
है सबका शम्माए-अरमान
स्वयं जिम्मेदारियां उठाने का दम भी हो,
शामिल सुबहोशाम|
51)दुनिया भर घूम लो चाहे कितना भी,
परिवार से ही जाने जाते हैं
इज्जत होती जिन घरों की,
उनके लिए आदर भाव झलक जाते हैं|
52)परिवार की इज्जत है,
एक संजीविनी बूटी के समान
विपत्ति में संग हो बिन कहे,
इलाज मुक्कमल मिलता मान|
53)परिवार की इज्जत को मापने का,
पैमाना भी खास होता है
अदब से मिल कर ख़ुशी जाहिर कोई करे,
पल वो बहुत खास होता है|
54)मुझको परिभाषित ज़माने ने,
परिवार की इज्जत से किया
बहुत बड़ी जिम्मेदारी कन्धों पर है,
बढ़ने का निर्णय मैंने भी लिया|
55)परिवार की इज्जत के लिए,
दिमाग नहीं दिल में झाकिएं
रिश्तों में तर्क से हर मसला सुलझता नहीं,
दिल की बात मानिए|
परिवार की इज्जत पर बेहतरीन शायरी
56)परिवार की इज्जत में प्रशंसा व् आलोचना में
सम-भाव रहना चाहिए
घर के बड़ों की डांट में,भलाई है छुपी,
यह स्वभाव ही बनना चाहिए|
58)परिवार में बड़े अपनी सहनशक्ति,
कमाल की निभाते है
इज्जत खुद आगे बढ़ देकर,
औरों को भी सही राह दिखाते है|
59)धुंध की चादर ओढ़े हुए था जमाना,
कुछ भी नज़र नहीं आए
परिवार की इज्जत सुबह की,
पहली किरण बन के जब दिख जाए|
60)कसरते-ग़मों का आना
जीवन का शाश्वत नियम है
उनसे कर मुकाबला,
उभरना ही इज्जत हासिल करने की हसरत है|
61)परिवार की इज्जत को, रखना कायम
बन जाए जब जिन्दगी में, दीवाना-मिजाजी
आबिदे-पाक सा बन, इनायत करे खुदा की
सरबुलंद जिए शान से,भूले आईना मिजाजी|
आबिदे-पाक=पवित्र उपासक)
परिवार की इज्जत पर शायरी यानि अपनों के लिए लिखने की आई बारी|परिवार से बड़ी कोई दौलत नहीं होती|जीवन के मर्म को समझाती पारिवारिक मूल्यों की सुंदर कविताएँ पढ़िए जरुर|COMMENT BOX में आपके विचारों का इंतजार रहेगा|
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।