माँ के आँचल की ठंडी छांव से हर व्यक्ति भली भांति परिचित होता है। इसलिए माँ के आँचल पर शायरी लिखना या समर्पित करना एक खूबसूरत कोशिश है।अपनी मम्मी, माँ, अम्मी या मदर कोई भी नाम दे दीजिए पर जज़्बात सब के एक से ही होते है।

बस अब जब भी अपनी भावनाओं को जाहिर करने को दिल चाहे तो आप मेरी लिखी हुई माँ के आँचल पर २ लाईन की शायरी के रूहानी व अनूठी शायरी संग्रह से अपनी पसंदीदा पंक्तियां चुन सकते है।

इन्हें पढ़ना न भूले

|माँ की तारीफ में ख़ुशी से भरी शायरी|

माँ के आँचल पर शायरी

माँ के आँचल पर शायरी जो सिद्ध होगी आपके लिए हितकारी

 

1)जीवन की हर धड़कन हर श्वास में,है माँ आप समायी

कैसा भी पल प्रतिपल रहा मेरा,हर घड़ी आप याद आयी।

 

2)स्नेहिल सुमधुर करुणामय ममता है, माँ के आँचल तले

प्यार अनुराग निस्वार्थ भावना ही, हमेशा मिलती जिसके तले।

 

3)ओम् सा पवित्र सूर्य का तेज़ व चाँदनी की शीतल छांव

एक आँचल माँ का ही है ब्रह्मांड में,पथिक क्यूँ ढूँढ़े नगर-नगर गाँव।

 

4)नन्हा-नन्हा मृदुल स्पर्श कोमल हाथों का

माँ का उमड़ता उसमें ढेर सा प्यार निगाहों का।

 

5)मन के गहन तमस् में घिरी हो जब नीरव शांति

आँचल माँ का है न,जुगनू की रोशनी लिए हुए।

 

6)बुझी-बुझी थी आँखें,हुआ था निस्तेज चेहरा

माँ ने आगे बढ़,आँचल का दिखाया असर गहरा।

 

7)आफताब की चमक व महताब की शीतलता गहरी

माँ तो जादूगर है उसकी ममता में,दोनो की मौजूदगी आ ठहरी।

 

8)लिए रहती मन का अनुराग,मोहब्बत के जज़्बात से लबरेज़,

माँ सिपहसालार,उनका प्यार करता हर मर्ज़ का निदान,दिखती हमेशा परवेज़।

(सिपहसालार=परामर्शदाता।परवेज़=विजयी)

 

9)जन्नत पाने की हर कोई रखता है एक दिली आरज़ू

माँ से मिलो न,महसूस यहीं होगी,करो न कुछ गुफ़्तगू।

 

10)जीवन की पतंग जब भी घबरा के नीचे को गिरने आई

माँ ने फैला अपना मज़बूत आँचल,हर बार हिम्मत ख़ूब बढ़ाई।

 

11)माँ की एक सीख क़दम-क़दम पर बढ़ाती उनके लिए प्रीत

कहा उन्होंने सदा यही कि मन के हारे हार है,मन के जीते जीत।

 

12)बचपन के बाद जीवन के पूरफूँसूँ-लम्हे लौटा नहीं करते

गोद में रख बेफ़िक्री की नींद के लिए,आँचल के पंखे फिर नहीं दिखते।

(पूरफूँसूँ-लम्हे =जादुई क्षण)

 

13)चाँद की दूधिया रोशनी तुम्हें बहुत भाती थी न माँ

आसमां के नीचे तुम संग हो,चाँद सितारें मेरी तुम हो,है न माँ।

 

14)चंदा को बताया मामा और वहाँ बतायी एक चरख़ा कातती बुढ़िया नानी

मुझे भी संग ले चलो,देखूँ तो माँ के आँचल से भी क्या बड़ी थी उनकी कहानी।

 

15)दुनिया की हर शै से बढ़कर है माँ,एक बेशक़ीमती सौग़ात

माँ का आँचल तो अनमोल,रहता दिल की धड़कन के ही आसपास।

 

16)जीने के लिए जिद्दो-जहद की जंग ही जीवन को निखारती है

माँ की ये बात अब समझ आ,सच में जीवन को सँवारती है।

 

17)मुश्किल समय में गुरू,ख़ुशहाली में बन जाती हो अभिन्न सहेली

माँ के संग लगता जीवन सरल क्यूँकि हल हो जाती ख़ुद ही हर पहेली।

 

18)सादा सरल ख़ाना पर तड़का बेहद अपनेपन का

जीवंत लगाव का,माँ के सौंधी ख़ुशबू भरे आँचल का।

 

19)माँ है तो ममता का आँचल है

ताउम्र एक नटखट बचपन है।

 

20)ये भोलापन मेरा और छोटी-छोटी सी मेरी ख़्वाहिशें

साथ जीवन भर का चाहे माँ का,बस इतनी सी है हसरतें।

 

21)ज़माने भर के दुख-दर्द,मिटाने की है एक ही दवा

माँ के आशीर्वाद से रहोगे आबाद,पूजोगे दिल से जो उन्हें सदा।

 

22)माना जीवन की राह है बहुत ही पथरीली

इरादे रखो बुलंद माँ देती सलाह,बन हमजोली।

 

23)माँ के आँचल में मिलते सुकून के बेहिसाब सहारे

मानों फ़लक में ज्यूँ चमचमाते अनगिनत चाँद-सितारें।

 

24)घर था एक बाग़ों-बहारॉ,तितली सी बन करती थी मैं अठखेलियाँ

माँ की मंद मुस्कान में बेफ़िक्र हो,झूला झूलती संग रहती थी सहेलियाँ।

 

25)तूफ़ाँ दिल के गलियारों से हो,गुज़र गया आसानी से

माँ ने बड़े प्यार से आँचल फैला आग़ोश में ले,चूमा जो पेशानी पे।

(पेशानी=माथा)

 

26)इतना कठिन जीवन माँ तुम,कैसे सहज हो जी लेती हो

संघर्ष से ही होता सब हासिल,समझा मुझे हँस देती हो।

 

27)छोटे-छोटे से मेरे सपनों को देख साकार माँ लेती ख़ूब बलैय्या

कह ज़्यादा कुछ न पाती,आँसुओं की बह जाती मानों पुरवैय्या।

 

28)मान-सम्मान,स्वाभिमान-अभिमान के अर्थ माँ को देख समझ है आते

हारे मन में न जाने कितनी उमंग की हिलोरें,फिर मन ही मन मचलाते।

 

29)इतिहास में झाँका और देखा बलिदानों की सूची को

माँ के त्याग से बढ़ कर कोई ओर नहीं दिखा इसमें मुझको।

 

30)दृढ़ विश्वास व हौसले का जीता-जागता प्रमाण है माँ

जो सुकून मिलता उसके आँचल तले,वो नहीं मिलता ढूँढो चाहे सारा जहाँ।

 

31)हर दर्द हर ज़ख़्म की माक़ूल दवा है सिर्फ़ माँ के आँचल में

यूँ तो तमाम हकीम दावा करते है शर्तिया इलाज हर मर्ज़ के करने का।

 

32)माँ की आत्मीयता का पैमाना,न हुआ कोई न ही हो सकता है

ममता की छांव का सुकून,न कहीं मिला न ही कहीं मिल सकता है।

 

33)बचपन के खेल जैसा बेपरवाह बहता पसीना अब नहीं आता

थक गयी होगी,ऐसा लाड-मनुहार माँ के सिवा कोई नहीं दिखाता।

 

34)मुट्ठी भर नींद ले संग ख़्वाबों की पोटली,माँ की गोद जो मिली

हल्के नर्म माँ के हाथों की मालिश से,थकान पल में दूर भाग चली।

 

35)मिट्टी से सने हाथों से माथे पर बनी बिंदिया को देख माँ ख़ूब हँसी

मेरी बिटिया अभी बड़ी नहीं हुई,रहेगी मेरे पास कुछ और घड़ी।

 

36)मेरे ख़्वाबों की सुंदर सजीली तस्वीर हो तुम माँ

मेरी हर थिरकन का मधुर सुरीला संगीत हो तुम माँ।

 

37)ज्यूँ कान्हा की बाँसुरी अधरों पे उनके जँचती है

वैसे ही माँ मेरे जीवन के हर श्वास में धड़कन सी बसती है।

 

38)यूँ बहुत शिकायतें है ईश्वर से और लंबी है फ़ेहरिस्त

पर ममता की छांव भूला देती है,माँ है जो दानिस्त।

 

(दानिस्त=जिसे ज्ञान हो)

 

39)सीने में छिपाए लाखों दर्द,चेहरे पर रखती हैं मुस्कान

माँ के आँचल के सामने तो छोटा लगता है ये खुला आसमान।

 

40)ख़्वाहिशें देख होती साकार माँ सबसे ज़्यादा ख़ुश होती है

जन्नत है हर वो घर जहाँ माँ की हँसी दिखाई पड़ती है।

 

41)माँ की ख़्वाहिशों व सामाजिक डर को अब पहचान पाई हूँ

माँ के किरदार से ख़ुद माँ बन के हर बात की गहराई जो पकड़ पाई हूँ।

 

42)ममता की गोद में बैठ सवेंदनशीलता का पाठ पढ़ा है

छोटी सी एक कोशिश होगी उन ऊँचाइयों को छूने की,ये अरमां है।

 

43)आज ठंड बहुत है,तुलसी की चाय बनाती हूँ

ये आवाज़ सिर्फ़ माँ की ही हो सकती है।

 

44)अचार-मुरब्बे खट्टी-मीठी चटनी के चटकारे की महक

माँ के हाथ से बने हुए के स्वाद को तो प्रभु भी रखते है ललक।

 

45)परम्पराओं अपनी संस्कृति पर सदा करो गर्व व क़िल्लोल

माँ ने पर आँगन की खिड़की नए विचार के लिए रखी थी हमेशा खोल।

 

46)स्वर में भरा ओज माधुर्य,उल्लासित हृदय विशाल है

माँ की ममता में दुनिया भर का सुख-सौंदर्य स्वयं समाहित है।

 

47)काँटों के बीच मीठी सुगंध बनाए रखने की कला माँ जानती है

माँ की ममता हर चुनौती से मुक़ाबला करने की शक्ति भी संग देती है।

 

48)दुखों को घोल चाशनी में समझ अमृतमयी सुधा पी लेना चाहिए

हर बात का जवाब तभी दिया जाए,ये परिपक्वता नहीं,समझ जाना चाहिए।

 

49)मर्मस्थल पर लगी चोट बिन बहाये आँसू बहुत रुलाती है

कमाल है माँ अपने आँचल से,बिन दवा सकूँ बहुत पहुँचाती है।

 

50)दहलीज़ के भीतर आदर मिलना चाहिए पहले हर नारी को,ज़रूरी है

मेरे निर्णय पर माँ की मोहर की क़द्र दिल आज भी बहुत करता है।

 

51)शक्तिस्वरूपा सृजनहार ममता की छांव लिए होती माँ हर बार

हर घर आँगन की तुलसी तो कभी बनती दुर्गा का अद्भुत अवतार।

 

52)जब जब अपने बच्चों पर संकट काल गहरा गहराया

माँ के मजबूत आँचल तले सबने सुकून ही है हमेशा पाया।

 

53)समय बदला सोच बदली पर माँ का नज़रिया आज भी वही

घर से जाओ खा कर,बाहर मिले पका कर,दुनिया भी पूछती है तभी।

 

54)शब्द हो जाए जब निशब्द स्तब्ध और हो जाए मौन

इतना क्यूँ सोचते हो,रास्ता निकलेगा,माँ के सिवा ये कहेगा कौन।

 

55)सर्द रात हो या तपती दोपहरी या तेज़ हो बरसात

दहलीज़ पर चहलक़दमी करती दिखाई देती माँ दिन-रात।

 

56)माँ बच्चों का प्यारा नाता,इंसान तो क्या पशु-पक्षी में भी भाता है

ये दिल से जुड़ा एक स्नेह-बंधन है,सदियों तक जुड़ा ख़ुद को पाता है।

 

57)मन हो जब बेबस-बेज़ार,मानिंद महसूस होता जंगल सा बियाँबान

माँ की गहरी झांकती आँखों से,कुछ भी छिपा पाना नहीं होता इतना आसान।

 

58)नन्हीं बच्ची बन होते है मेरे नख़रे हज़ार

पता है,माँ की आदत है मनायेंगीं ही हर बार,बार-बार।

 

59)बाहरी दुनिया के सामने अक्सर जब हड़बड़ाहट हो जाती है

माँ किस मिट्टी की बनी है आख़िर,चट्टान बन संग में खड़ी नज़र आती है।

 

60)पुरख़ौफ़ सहरा पसरा दिखता है हर उस गुलशन में

माँ के आँचल की जिसमें नहीं बहती,ठंडी पुरवाई है।

 

61)माँ से यूँ बस पल दो पल बतियाना

और उनका चहक जाना,अच्छा लगता है।

 

62)जीवन है सुख-दुख तो आएँगे जाएँगे,जज़्बा बनाए रखना

माँ की ये सीख थी हर हाल बस शम्माए-अरमान की लौ जलाए रखना।

 

63)जीवन डगर नहीं इतनी आसान लाडो,हो जाए बिन मुश्किलों के पार

बस इरादा पक्का रखना,बिन किश्ती लहरें आती-जाती है नदियाँ के उस पार।

 

64)मन को घेर लेती है जब भी उदासी और नितांत सूनापन

माँ के आँचल की ख़ुशबू,अहसास दिलाती फ़िज़ाओं में वहीं अपनापन।

 

65)नींद थी उखड़ी-उखड़ी अचानक दरवाज़े पर एक परिचित आहट आई

दिवा स्वप्न था या हक़ीक़त,माँ के आँचल की सरसराहट भी दी सुनाई।

 

66)एक छोटी सी विनती हे!प्रभु बस दे दो न ये वरदान

सलामे-आख़िर में सर पर हो ममतमायी आँचल,निकले जब प्राण।

 

67)बेशक़ीमती किताब से भी ज़्यादा पूजनीय होती है माँ

जिसका हर शब्द अमूल्य,हर पन्ना पावन गीता जैसी माँ।

 

68)माँ जीवन का गुणा-भाग कर्म सिद्धांत से सबसे अच्छा समझाए

दुख-सुख में रखना एक भाव और कोई दूजा क्या बतलाए।

 

69)जज़्बातों को काँधे पर रख,नरम हाथों से सहला गई

ममता की छांव में छिपा मेरे सारे ग़म,

चुपके से मिटा गई।

 

7०) माँ जननी के लिए मन में बसते सदा कोमल अहसास

कभी कविता कभी मीठे बोलो से दिखाऊँ अपने जज्बात|

 

71) मैय्या तू ही मेरा प्यारा संसार,बसते जिसमें सपनें हज़ार

बस ममता की छांव बनी रहे मुझ पर,इच्छा ये पूरी हो हर जन्म बार-बार

माँ का आँचल में मन के ये कोमल अहसास आप के हृदय में अपनी जननी  के लिए, माँ की ममता पर 2 line शायरी द्वारा  प्यार की मीठी दस्तक जरुर दें पाएँगे। ऐसा पूर्ण विश्वास है ।