माँ के लिए क्या करें जब वह दुखी हों यानि जीवनदायिनी माँ के चेहरे पर उदासी या उन्हें दुखी देख किस बच्चे का दिल नहीं भर आएगा।दिल से कोशिश और अनवरत प्रयास से आप अपनी जननी के चेहरे पर चिरपरिचित मुस्कान ला सकतें हैं।एक माँ भी हूँ और बेटी भी तो जीवन के अनुभवों को साँझा हूँ करती,माँ के लबों पर आएं हंसी वही है उन पर जो जंचती।
माँ के लिए क्या करें जब वह दुखी हों,जादू की झप्पी दे स्नेहिल प्यार से रोम-रोम हर्षित कर सुखी करें
माँ के लिए क्या करें जब वह दुखी हों पर 75 अनूठे उपाय
1.
प्यार भरा स्पर्श दें
माँ और आपका प्यार भरा स्पर्श-क्या आपने कभी महसूस किया कि कितना गहरा असर है इस स्नेह भरे स्पर्श का।आप माँ को जब भी प्रेम से छूते हैं तो उनका हृदय कितनी ममता और भावनात्मक रूप से भर आता है व वह पल भर में ही सारा तनाव भूल जाएगी।ऐसा दिल वाला लगाव माँ को जरुर दें।
2.
जादू भरी प्यारी सी झप्पी दें
मुन्नाभाई फिल्म ने लोगों को याद दिलाया कि जब कोई दुखी हो तो उसे आपके प्यार की,सहारे की एक जादू वाली झप्पी चाहिए होती है ठीक वैसी ही जैसी माँ बचपन में आपके रोते हुए समय झट से गले लगा कर देती थीं।माँ आज दुखी हैं तो आगे बढ़कर उन्हें अपनी ख़ुशी वाली झप्पी दें।
3.
आप को क्या हुआ माँ
एक छोटी सी पंक्ति कि आप को क्या हुआ माँ-अपनेआप में एक बहुत बड़ी दवाई का काम करती है।माँ जब परेशां दिखें तो यह समझ होनी चाहिए कि उन्हें किसी डाक्टर की नहीं सिर्फ उनके हालचाल पूछने की दरकार है।माँ को तसल्ली होगी कि बच्चों को उनकी परवाह है,बस यही उनकी असली दवा है।
4.
मुझे आपसे बहुत प्यार है
एक छोटा सा अपना प्यार इजहार करने का तरीका जो सदियों से बादस्तूर चला आ रहा है अपनी पूरी शानोशौकत के साथ। माँ से जब आप प्यार करने की बात कहेंगे न तो उनकी आँखों से मोती स्वरुप आंसूं बह निकलेंगे क्योंकि माँ तो हैं ही करुणा और ममता का दूजा नाम।बच्चे की प्यारी सी बात माँ का दुःख हर लेगी।
5.
मेरी प्यारी मम्मा यूँ चुप सी क्यों हैं
माँ जोकि हमेशा ही खिलखिलाती रही हैं और अब वह दुःख के सागर में डूबी हुई हैं।बस माँ को एक बार आगे बढ़ कर एक छोटे से बच्चे बन कर रुठते हुए अंदाज़ में पूछिए तो सही कि मेरी प्यारी सी मम्मा आखिर यूँ चुप-चुप क्यों हैं।मुझे अच्छा नहीं लग रहा है कि मेरी सबसे न्यारी माँ को हुआ क्या।माँ का दुःख भी चला जाएगा और माँ का मन भी प्रसन्न हो जाएगा।
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6.
उनका हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाएं
माँ के नरम हाथों को अपने हाथ में लेकर अपने वहां होने का अहसास करवाएं और उन्हें यह दिल से महसूस भो हो कि उनके दुखी होने से आप स्वयं भी दुखी है और उन्हें फिर से मुस्कुराते हुए देखना चाहते हैं।माँ आपके इस अंदाज़ पर यक़ीनन खुश होंगी और मुमकिन है अपनी बात भी बताएं।
7.
माँ से परेशानी की वजह जानें
माँ को कभी अवसाद में नहीं देखा क्योंकि वो अपने दर्द से किसी को भी आहत नहीं करना चाहती हैं।प्यार से माँ से उनकी दिक्कत को जानिए।आपके आग्रहपूर्ण व्यवहार से अपनी परेशानी को वह जरुर शेयर करेंगी और एक राहत भी महसूस करेंगी कि आप उनके साथ हैं।
8.
माँ से कहना नहीं,उन्हें समझना है
माँ जब अपनी दिक्कत को बताएं तो उस समय आपने अपनी कोई भी राय या बात नहीं कहनी है अपितु उनकी बात के मर्म को गहरे से समझना है कि आखिर क्या बात माँ को इतना अंदर से दुखी कर रही है।अपनी पूरी बात कह देने से भी माँ को बहुत अच्छा महसूस होगा।
9.
माँ की बात को बहुत धैर्य से सुनें
माँ से बात करते हुए सारा ध्यान सिर्फ उनकी बात पर रहना चाहिए। उस समय अपने फ़ोन को देखना,या जम्हाई लेना या इधर-उधर ताकना बिलकुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे वह समझ जाएँगी कि आप सुनने का दिखावा कर रहे हैं और यह बात उनकी पीड़ा को ओर ज्यादा बढ़ा देगा।
बात को बीच में न कांटे
कई बार जब माँ अपने दिल की बात आपसे शेयर कर रहीं हैं तो आप कुछ याद सा आने पर या कुछ तर्कसंगत बात बताने पर शुरू हो जाते हैं जो है तो काम की पर इससे माँ की बात का तारतम्य टूट जाएगा। हो सकता है कि फिर आगे कभी वो आपसे अपनी बात को पूछने पर भी न बताएं।इसलिए सिर्फ सुने बीच में कांटे नहीं।
11.
प्रासंगिक प्रश्न करें
माँ के द्वारा बात पूरी होने के बाद ही आप उस परेशानी से सम्बंधित प्रासंगिक सवाल पूछें।माँ जब उन सब प्रश्नों के जबाब देंगी तो हो सकता है इसी वार्तालाप के बीच कोई बढ़िया सा समाधान ही निकल आएं।दुःख को जब सही उत्तर मिल जाएगा तभी तो माँ का दुःख कुछ कम हो पायेगा।
12.
सलाह उपयुक हो तभी दें
माँ से बातचीत के दौरान जब आपको लगे कि माँ कोई सलाह या समाधान सुनने की इच्छुक हैं तभी उस स्थिति को भांप कर आप अपनी की सलाह माँ को दे सकते हैं। स्वयं भी यह सुनिध्चित कर लें कि क्या सच में आपका मशवरा माँ के दुःख का हल ठीक से निकल भी पायेगा।
स्वयं सहज भाव से बात करें
माँ की तकलीफ सुन कर खुद का भावुक होना स्वाभाविक सी बात है क्योंकि अपनी जननी का दुःख खुद के दिल को भी भारी कर देता है।अपनेआप को संयत और सहज रखें और अपनी उपस्थिति से माँ को भी सहजता का अहसास कराएँ।एक सकारात्मक माहौल में ही तो माँ अपने दुःख को आप संग बांट पाएंगी।
14.
गले में गलबहियां डालें
माँ बताते हुए अगर रो पड़ें जोकि बहुत एक नेचुरल सी प्रक्रिया है क्योंकि अपनों संग दुःख को कहते हुए आंसुओं की धार बह सकती है।मन भावुक हो कर गला रुंध सा जाता है और एक नम भरी आँखों से बात कही जाती है।माँ के गले में अपनी गलबहियां प्यार से डाल कर उन्हें अपना प्यार देकर शांत करें।
15.
बातचीत करते रहें
माँ जब अपनी बात को बता रही हैं तो ज्यादा कुछ न बोले,पर एकदम गूंगे बन कर चुपचाप भी न बैठे रहें जैसे-कि आप को समस्या से कुछ लेना देना ही नहीं है।माँ दुखी है और यही बात तो आपको भी अंदर से दुःख पहुंचा ही रही हैं न।बीच-बीच में बोलते रहें।बातचीत का सिलसिला जारी रखें
16.
किसी भी तरह की बहसबाजी से बचें
कई बार हो सकता है कि किसी बात पर आप को भी अच न लगे और आप न चाहते हुए भी माँ से बहसबाजी करने लगे और यह भूल जाएँ कि आप माँ के दुःख को कम करने के लिए बैठे हैं न कि अपनी तर्क-वितर्क को बताने।हर तरह की बहसबाजी की नौबत आने ही ना दें। खुद पर नियंत्रण रखें।
17.
माँ के गुस्सा होने पर शांत रहें
माँ दुखी हैं तो हो सकता है कि बिन बात भी किसी भी बात पर गुस्सा हो जाएँ क्योंकि वह अंदर ही अंदर जिस दुःख से विचलित है उससे वह बहुत-बहुत परेशां हैं तो ऐसे में कई बार बेवजह भी क्रोध आ जाता है।ऐसे में माँ पर चिल्लाने की जगह स्वयं शांत रहें,अपनी सहनशक्ति का परिचय दें।
18.
असहमति होते हुए भी सहमति दर्शाएँ
माँ की बात से हो सकता है कि आप की दिल से सहमति नहीं है और आप माँ की बात से अंदर से सहमत नहीं है पर उस वक्त समय की नाजुकता को ध्यान में रखते हुए असहमति के बावजूद सहमति ही दर्शाएँ ताकि माँ खुल कर अपनी बात को कह पाएं।असली मुद्दा माँ की परेशानी जान कर हल करने का है।
19.
माँ के कंधें पर अपना सिर रख कर प्रेम दिखाएँ
माँ के कंधें पर एक बार फिर से एक नन्हें से बालक बन कर अपना सिर रख कर प्यार दिखाएँ।माँ के अंदर ममता का ऐसा भाव आ जाएगा कि वह आपसे ही पूछेंगी कि क्या हुआ और यहीं पर आपको उन्हें अपना लाड दिखाना है और आँखों की भाषा से बताना है कि आप उनके दुखी होने से खुश नहीं है।
20.
माँ को उनके अद्धभुत गुणों की याद दिलाएं
हनुमान जी को भी उनके गुणों को याद दिलाया तो सारी रामायण ही बदल गई यानि माँ को भी उनके अद्धभुत गुणों को स्मरण करना होगा कि वह हमेशा औरों को दुःख से निकालने में माहिर मानी जाती रहीं हैं।आज वही सब ट्रिक्स उन्हें खुद पर भी आजमानी है ताकि वह फिर से खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकें।
उदास माँ के दुःख को कम करने के बेहतरीन सुझाव
21.
अकेले बिलकुल भी न छोड़ें
माँ जब दुखी हैं तो ऐसे में माँ को अकेला छोड़ने की गलती तो बिलकुल भी न करें।अकेले में दिल ओर भी ज्यादा घबराता है और पिछली न जाने कितनी नेगेटिव बातें रह-रह कर दिल को चुभने लगती हैं।अवसाद की स्थिति में कोई भी गलत कदम उठाने को मन करने लग सकता है,इसलिए माँ को अकेला न छोड़ें।
22.
माँ के अंदर की चुलबुली लड़की को निकालिए
माँ यूँ तो स्वभाव से बेहद खुशमिजाज है और आसानी से किसी भी समस्या से घबराती भी नहीं हैं पर हैं तो एक इन्सान ही न।अपने ऊपर के दुखों को माँ हंस कर झेल जाती हैं पर अपने बच्चों और परिवार पर आएं संकटों से चिंतित हो उठती हैं।माँ के अंदर की उस चुलबुली लड़की को बाहर लायें और उन्हें हंसाएं।
23.
माँ की रुचियों को जाने
माँ की भी अपनी अनेक तरह की रूचि होंगी जिनको करने का मन उनका होता होगा अपर घर-गृहस्थी में वह कभी कुछ इस ओर कोई कदम उठा ही नहीं पाई।अब मौका है उनके पास बैठ कर उनके मन को टटोलिये और जानने की कोशिश करे की उन्हें क्या करना सबसे अच्छा लगता है।इस बातचीत से उनका दुःख भी कम होगा और कोई रास्ता भी निकेलगा।
24.
माँ को आत्मनिर्भर होने में सहयोग दें
सामाजिक व्यवस्था कुछ ऐसी बनी हुई कि माँ अगर गृहिणी है तो पूरी तरह से पिता पर ही निर्भर हैं जो कई बार दिल में चुभता भी है कि हर छोटे से खर्चे के लिए भी पैसों को मांगते रहो।ऐसे में माँ को आत्मनिर्भर बनाने की सख्त जरूरत है।माँ से मिलकर किस तरीके से उन्हें इस दिशा में बढाया जाएँ,इसे देखें।
25.
एक हस्तलिखित सुंदर सा कार्ड बना कर दें
माँ से आप बहुत प्यार करते है या आपकी हमें बहुत जरूरत है या दुनिया में आप ही हमारी भगवान् है यानि माँ के लिए दिल के उद्द्गारों को छोटे-छोटे कार्ड्स बना कर व घर में जगह-जगह लगा कर,उनके कमरे में उनके बिस्तर के सामने,रसोई में प्रवेश द्वार पर लगा सकते हैं।एक हस्तलिखित सुंदर सा कार्ड बना कर दें। माँ का दुःख छूमंतर हो जाएगा।
26.
फ़ोन या विडियो कॉल करते रहें
माँ अगर दुखी हैं और आप घर पर भी नहीं है या कहीं दूर हैं और वहां से आना एकदम संभव भी नहीं बन पा रहा है तो ऐसे में फ़ोन या विडियो कॉल द्वारा माँ से बात करते रहें ताकि वह सामान्य रूप से फिर से अपनी हिम्मत को जगा सकें व् रोज की दिनचर्या में खुश हो पाएं।
27.
माँ को मोबाइल पर मेसेज के साथ स्माइली फेस इमोजी की भेजें
माँ से दूर होने पर बात भी करिए और साथ में अपने प्यारे से टेक्स्ट सन्देश भी भेंजे और साथ में स्माइली वाले इमोजी भी साथ में लगा दें ताकि माँ को देख कर हंसी आ जाएँ।आजकल तरह-तरह के इतने सुंदर स्टीकर मोबाइल में मिल जाते हैं जिनको देख कर एक मुस्कान तो माँ के चेहरे पर आ ही जाएगी।
28.
माँ की किसी न किसी रूप में तारीफ करें
माँ के निस्वार्थ त्याग और उनके अनगिनत दिन-रात के प्रयासों की किसी न किसी बहाने तारीफ करें और उन्हें भरोसा दिलाएं कि वह दुनिया की सबसे अच्छी माँ है और उनकी जगह तो कोई ले ही नहीं सकता है।माँ के किसी न किसी रूप में तारीफ करें माँ को इससे प्रसन्नता होगी कि उनके बच्चों की दुनिया में वह प्राथमिक रूप से मौजूद हैं।
29.
घर में किसी रिश्तेदार के अनावश्यक हस्तक्षेप का विरोध करें
कई बार घर में कई रिश्तेदार ऐसे भी होते हैं जो बेवजह माँ पर दवाब बनाने की कोशिश करते रहते हैं।ऐसे में इस तरह के किसी भी रिश्तेदार के अनावश्यक हस्तक्षेप का विरोध करें।माँ क्योंकि कभी कर ही नहीं पाई है तो उन्हें चुपचाप सुनने की ओर सहने की आदत पड़ चुकी है जोकि उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बिलकुल भी सही नहीं है।साथ खड़े होइए।
पितृसत्तात्मक व्यवस्था में परिवर्तन लाने की कोशिश करें
सामाजिक व्यवस्था घरों में कुछ ऐसी बन गई है जहाँ माँ के ऊपर सिर्फ कर्तव्य हैं और अधिकार कागजों पर,जिन्हें न माँ को किसी ने बताया और न ही माँ ने जानने की हिम्मत भी की।घर की शांति के नाम पर माँ ही अपनी कुर्बानी देती हुई दिखाई देती है।आगे बढ़ कर माँ का साथ दें और घर के माहौल में परिवर्तन लायें।
31.
काउन्सिलर की मदद लें
कई बार दुःख कुछ ऐसा भी हो सकता है जो माँ शायद किसी से शेयर न कर पाएं या करना ना चाहे।ऐसे में किसी परामर्शदाता,कोई उनका नजदीकी रिश्तेदार,आपकी नानी या मौसी हो सकती हैं जिनके आगे माँ अपने दिल की गिरह खोल पाएं,नहीं तो फिर काउन्सिलर की मदद ले जोकि इस कार्य में दक्ष और कुशल होते हैं।
32.
रोज की दिनचर्या से कुछ अलग करें
माँ का मन दुखी है और उन्हें फिर से उसी हैप्पी वाले मूड में देखने का आपका मन है तो दिनचर्या में थोड़ा परिवर्तन करके देखें व रोज माँ सबको सुबह उठाती है आज आप थोड़ा जल्दी उठ कर माँ के लिए उनकी पसंद की चाय बना कर उनके कमरे में ही ले जाएँ और नाश्ते में उनकी पसंद की कोई डिश बना कर खिलाएं।माँ दुःख को भूल जाएँगी।
33.
सुबह की सैर पर ले जाएँ
प्रकृति की गोद में जाकर सब ख़ुशी महसूस करते है और बहुत अच्छा भी।माँ को सुबह की सैर पर ले जाएँ या अगर वह पहले से ही जाती हैं तो आप साथ में चले जाईये, उन्हें बेहद सुकून मिलेगा कि उनके साथ बच्चें भी हैं। साथ होने का भाव किसी भी दुःख या मानसिक परेशानी में संजीविनी बूटी की तरह कार्य करता है। करके देखिये।
34.
रात्रि खाने के बाद घर में ही चहलकदमी संग में करें
रात्रि भोज के बाद भी माँ संग घर के अंदर ही या बाहर बरामदे में या माँ की बगिया में या छत पर थोड़ी चहलकदमी सेहत के लिए भी रामबाण साबित होती है अपितु माँ के दुखी मन को राहत पहुँचाने में बड़ा काम करेगी।दिन भर की सुख दुःख की बातें दिल को हल्का महसूस कराती हैं।
35.
उनके पैरों में तेल की मालिश करें
रात में सोने से पहले बचपन में माँ आपके पैरों की मालिश करके सुलाया करती थी तो अब आपकी बारी है।ले आइए तेल की शीशी और माँ के पैरों की मालिश करें,हो सकता है माँ थोड़ा नानुकर भी करें पर आपकी जिद उन्हें ज्यादा देर इस स्थिति में कहाँ रहने देंगी।दुःख के समय इस तरह की प्यार भरी मालिश बहुत आराम देती है।
36.
उनके सर की मालिश कर सकते हैं
माँ ने न जाने कितनी बार आप के सिर की मालिश की होगी और साथ में ढेर सारी बातें भी कहीं होंगी कि मालिश के क्या-क्या फायदे हैं।अब माँ मना करें तो आप भी हंस कर वहीँ बातें दोहरा सकते हैं। साथ में गाना भी गा सकते है कि सर जो तेरा चकराएँ या दिल डूबा जाएँ।फिल्म का सीन याद आते ही हंसी भी आ जाएगी और बस माँ मुस्कुरा उठेंगी।
37.
नाना नानी से बात करवा सकते हैं
जन्म से जुड़े रिश्तों में एक प्यारा सा लगाव और मीठा अपनापन होता है।जब भी माँ नाना या नानी से मिलती है तब वह बहुत ही ज्यादा खुश दिखती है ऐसा लगता है मानों उनका बचपन लौट आता हो।बस माँ के दुःख को कम करने के लिए उनकी मम्मी पापा को ले आएं या उन्हें वहां ले जाएँ।दुःख तुरंत सुख में बदल जाएगा।
38.
घर में खुशनुमा माहौल बनाएं
घर में यदि सीरियस या बीमारी जैसा वातावरण रहें तो भी माँ दुखी हो सकती है क्योंकि इस तरह के माहौल में बात तो कुछ नहीं होती पर बस ऐसे लगता है जैसे सभी बीमार से रहते हैं।घर में थोड़ी नोंक-झोंक,थोड़ी चुहलबाजी कभी कोई मज़ेदार किस्से सुनना-सुनाना बहुत जरुरी है ताकि सब खुश हो कर आपस में बातचीत करें।
घर में साफ़ सफाई में मदद करें
सफाई पसंद माँ को अगर घर साफ़ नहीं रहता है तो उनको अंदर ही अंदर गुस्सा आता रहेगा क्योंकि एक उम्र के बाद खुद माँ भी उतनी उर्जा के साथ सुरुचि पूर्ण से घर को नहीं रख पाएंगी।ऐसे में आप अपने कमरे को खुद साफ़ करें और बाकि लोग भी अपना सहयोग दें और देखें कि माँ के बर्ताव में कुछ फर्क आया या नहीं।
40.
आप खुद को कभी भी अकेला मत समझना
यह सन्देश माँ को देना बहुत जरुरी है कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थति हो वह अपने को कभी भी अकेला न समझें।बच्चे कई बार बच्चें खुद की दुनिया में इतने मस्त से रहते हैं कि माँ को लग सकता है कि जीवन संध्या में कहीं वह एकांत में तो अपना समय व्यतीत नहीं करेंगी।इस बात को सोच कर ही माँ दुखी हो सकती हैं।
माँ के दुखी मन को सँभालने के कारगर उपाय
41.
माँ को बाहर घुमाने ले जाएँ
माँ को किसी पहाड़ी स्थान पर या किसी समुन्द्र के किनारे या जहाँ उन्हें जाना अच्छा लगता हो,वह लेकर जाएँ।स्थान परिवर्तन से बहुत बार मन भी बदलता है और अपनी दिक्कातों से छुटकारा भी मिलता है क्योंकि जब आप बाहर की दुनिया के दुःख देखते हों तो आपको अहसास होता है कि औरों के पास ज्यादा गम है पर फिर भी वह जिंदगी में खुश रहते हैं।
42.
उन्हें उनकी पसंद के रेस्टुरेंट में खाना खिलवाएं
माँ के हाथ के व्यंजनों का स्वाद तो हर रोज ही चखते हो पर माँ को भी तो कभी कभी उनकी पसंद के रेस्टुरेंट या किसी ओर नयी जगह पर खाना खिलाने लेकर जाएँ।माँ को अच्छा लगेगा और लगे हाथ माँ के मन की परेशानी को भी समझ सकते है और हो सकता है कि माँ स्वयं ही बात शुरू करें।
43.
माँ को मॉल में ले जाएँ
मॉल में जाना आजकल बहुत प्रचलन में है क्योंकि घूमने का घूमना हो जाता है वहा एकदम लेटेस्ट चीजें मिल जाती हैं खाने की इतनी सारी चीज़े वहा मिलती ही कि अप माँ संग कुछ भ खाना खा कर आ सकते हैं।खरीदारी भी जम कर हो जाती है और माँ के मन में भी थोड़ा राहत की बात आ जाएगी।
उनकी पसंद की कोई ड्रेस दिलवाएं
अब जब आप माँ के साथ मॉल या बाजार में है ही तो बस उनकी पसंद की कोई भी ड्रेस या कोई ओर उनकी इच्छा के अनुसार चीज़ खरीद सकते हैं।घर की कोई ऐसी चीज़ जो माँ काफी समय से लेने की सोच रही हों तो वो भी उनकी पसंद की ले सकते हैं।शौपिंग से भी परेशां मन अच्छा फील करता है।
46.
कोई कॉमेडी मूवी देखने ले जाएँ
जब सब मिल कर कोई मूवी और खासतौर पर कोई कामेडी फिल्म या नाटक देखते हैं तो वह पल बहुत ज्यादा रुचिकर व सुहाने क्षण बन जाते हैं।बस माँ की जिंदगी में भी हास्य का पल शामिल करिए और खुद भी हंसिए और माँ के दुखी मन को भी हंसा कर फिर से उन्हें खुशमिजाज बनाइए।
47.
घर में बैठ कर हंसी मजाक की बातें करें
मनोरंजन जीवन में उतना ही जरुरी है जितनी बाकि सभी रोजमर्रा की चीजें।हँसना-हँसाना तो एक ऐसी खुराक है जिसे लेने वाले खुश रहते हिन् और एक स्वस्थ और लम्बी उम्र जीते है बल्कि ज्यादा सामाजिक व् मिलनसार होते हैं।हर कोई ऐसे लोगों के साथ दोस्ती करना चाहता है।माँ भी ऐसी ही है अब उदास है तो घर में महफ़िल सजाएँ।
माँ को सरप्राइज करने के लिए कोई गिफ्ट दें
तोहफे हर किसी को अच्छे लगते हैं और आपस में एक मजबूत रिश्ते को और भी सुंदर बनाते हैं।माँ के लिए कोई ऐसा गिफ्ट दें और वो भी बिना किसी अवसर के जिसे देख कर वह एकदम से चहक जाएँ।माँ पूछें कि यह तोहफा क्यूँ बस कहिए कि आपको देने के लिए किसे मौके की जरूरत थोड़े ही होनी चाहिए।माँ प्यार से गले लगा कर मुस्कुरा देंगी।
49.
हेल्थ चेकअप कराएँ
माँ स्वयं से आपनी किसी भी शारीरिक अस्वस्थता को नहीं बतायेंगी क्योंकि डाक्टर के पास जाने में न जाने क्या निकल आए, इस बात से डरती हैं।हेल्थचेक अप समय-समय पर और वार्षिक रूप से एक बार तो बहुत ही आवश्यक है ताकि शुरुआत में ही रोग का पता चाल जाए और उसका निदान भी ठीक से हो पाएं।
50.
स्वस्थ नाश्ता करवाएं
कम वसा,कम प्रोटीन लेकिन उच्च कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ खाएं जोकि अध्ययन के अनुसार दिमाग में
खाएं. वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि यदि आप उदास महसूस कर रहे हैं, तो कम वसा, कम प्रोटीन, लेकिन उच्च कार्बोहाइड्रेट वाला नाश्ता खाने का प्रयास करेंगें तो वे आपके मस्तिष्क में अमीनो एसिड ट्रिप्टोफैन को जारी करने की अनुमति देते हैं। ट्रिप्टोफैन फिर सेरोटोनिन में बदल जाता है, एक न्यूरोट्रांसमीटर जो आपके मूड को बेहतर बनाता है।
51.
संतुलित आहार से भरपूर थाली होनी चाहिए
सारे घर का इतना ज्यादा ध्यान देने वाली माँ खुद के प्रति अक्सर लापरवाही दिखा देती हैं जोकि बिलकुल भी ठीक नहीं हैं अपितु गलत है।माँ की थाली में वह सब आहार पूरा होना चाहिए जिसे वह सब की थाली में आग्रह करके सब चीजें एक संतुलित आहार के रूप में होनी चाहिए।विशेष ध्यान आपको देना होगा।
52.
माँ की पसंद की कोई डिश बनाएं
माँ को आपकी हर बात और क्या क्या पसंद है-यह सब कुछ पता है और खाने में कैसा स्वाद क्या खाना यह सब तो उन्हें एकदम पता होता है।पर क्या आपने कभी माँ की पसंद की कोई डिश बना कर खिलाई। अगर अभी तक नहीं तो आज ही खुद अपने हाथों से बनाएं और सुंदर सी क्रोकरी में परोस कर खिलाएं।
53.
अपनी बॉडी लैंग्वेज से परवाह जताएं
माँ को प्यार जताने के लिए शब्दों की किसे जरूरत होती है।वह तो आपकी माँ हैं जिन्हें आप जन्म से जानते हैं।अपनी भाव भंगिमा से अपने मीठे बर्ताव से उन्हें धिकाएं कि उनका दुःख आपको बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा है और आप हर हाल में उन्हें खुश ही देखना चाहते हैं।माँ खुश होने की कोशिश करेंगी।
54.
एक हस्तलिखित भाव पूर्ण पत्र लिख कर दें
एक हस्तलिखित भाव पूर्ण पत्र लिख कर दें हाथ से लिखे पत्रों की महत्ता पहले भी थी और आज भी उससे कहीं ज्यादा है।अपने शब्दों से माँ के दुःख का कारण जब आप भावुक होकर लिखेंगे तो निश्चित रूप से माँ को एकदम से यह आभास होगा कि उनके बच्चे भी दुखी हैं उर यह बात किसी भी माँ को बर्दाश्त नहीं हो पाती है।
55.
कोई कविता या शायरी सुना सकते हैं
माँ के पास जाकर चुपके से आप उनकी शान में कोई कविता या प्यारी सी शायरी गुनगुना सकते हैं या लिख कर माँ के कमरे में या रसोई में कही भी रख सकते हैं जहाँ माँ की नज़र खुद ही चली जाएँ।माँ के चेहरे पर संतोष व सुकून की सुंदर आभा उनके दुःख को हर हाल में कम करेगी ही।
56.
माँ की पसंद का संगीत चलायें
संगीत में वह जादू छिपा होता है जो मूक प्राणियों और यहां तक पेड़ पौधों पर भी असर डालता है।माँ तो स्वयं स्वर की देवी हैं जिन्हें गाना बेहद पसंद है और रसोई में काम करते हुए उनके भजन तो कभी गज़लें और कभी तो विज्ञापन का संगीत भी सुनाई देता है।माँ का दुःख संगीत से सौ प्रतिशत कम होगा ही होगा।
57.
योग कक्षा को ज्वाइन करवाएं
दुःख या स्ट्रेस को योग सही मायने में कम करता है।शारीरिक गतिविधियाँ मन को प्रसन्न और उत्साह बढ़ाने का कारगर उपाय माना गया है।माँ को योग कक्षाएं ज्वाइन करवा सकते हैं।एक जैसे समूह में वैसे भी माँ अपना दुःख भूल जाएँगी और उनमे चुस्ती-फुर्ती भी बढ़ जाएगी।
58.
लाफ्टर क्लब में जाएँ
माँ को लेकर लाफ्टर क्लब जैसी जगह पर ले जाएँ जहाँ सभी लोग अपने दुखों और हृदय को स्वस्थ रखने हेतु मिलते हैं और एक साथ मिलकर जोर से हँसते है।हँसना खूल कर हंसने से शरीर में एनेग्य लेवल बढ़ता है और तनाव दर्द कम होकर मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है।हर रोज जब भी मौका मिले खुल कर जोर से हँसे और माँ को भी हंसाएं।
59.
मैडिटेशन
मैडिटेशन एक बहुत पुँरानी धार्मिक और परंपरा है जिसमें ध्यान के अभ्यास पर जोर दिया जाता है।इससे माँ के सेहत पर सकरात्मक प्रभाव होगा और उनकी बैचनी व दुखी होने से हुई उत्पन्न अवसाद को भी आराम मिलेगा।रोज इसके अभ्यास सी पुराने से पुराना दर्द को भी राहत मिलती है।
60.
ऑनलाइन शौपिंग करना सिखाएं
आज का ज़माना तो ऑनलाइन का जमाना है।माँ ने ऐसी कोई पढाई की नहीं है क्योंकि तब इस तरह की शिक्षा थी ही नहीं।बस तो क्या हुआ आप को माँ ने पढ़ना लिखना लिखना अब आप को माँ को आज की पढाई सिखानी है।माँ का फिर काफी समय इस में लगेगा और मन भी बदलेगा।
माँ के दुःख को कम करने पर सुविचार
61.
नए कोर्सेज करने के लिए प्रोत्साहित करें
माँ को नए नये कोर्सेज ऑनलाइन या कहीं आसपास अगर हों तो जरुर ले कर जाएँ क्योंकि एक तो नया काम सीखने में नयी उमंग होती है और कुछ सार्थक करने जा रहे हैं ऐसा मनोभाव बनता है।माँ के बात करके उनकी पसंद के कोई भी कोर्स जो वह अगर चाहें तो उनके व्यवसाय में भी बदल सकते हैं,जरुर करवाएं।
उनकी खास सहेली को सरप्राइज पार्टी करके बुलाएँ
माँ को सरप्राइज दें और वो भी उनकी खास सहेली को बुला कर ,फिर उनके आने पर माँ के चेहरे के भाव पढ़िए कि कैसे वह एकदम हैरान होंगी और फिर हो सकता है अपनी सहेली से मिलकर गले लग कर रो पड़ें।मन की सारी परेशानियाँ किसी अपने को बता कर माँ का मन हल्का हो जाएगा और फिर से वह जीवन में ख़ुशी ख़ुशी रहेंगी।
63.
पार्लर में बुकिंग करवाएं
माँ को यूँ तो किसी पार्लर में जाने की जरूरत है नहीं क्योंकि वह बहुत खूबसूरत है लेकिन जब आप वहा जाते हैं और विभिन्न तरीकों से आपको सजने संवरने के तरीके पता चलते हैं तो एक आत्मविश्वास आता है व् कुछ समय के लिए माँ अपने दुःख को भी भूल जाएँगी।स्पा लेने से थकान मिटती है व् तनाव भी कम होता है।आज ही माँ के लिए पार्लर बुक कराएँ।
64.
बचपन की फोटो एल्बम देखने की इच्छा जताएं
माँ को अच्छा लगता है जब उनके बचपन और उनके बच्चों के बचपन की फोटोज दिखाई जाएँ।मोबाइल के ज़माने में एल्बम को अब कोई याद नहीं करता है तो उन्ही पुराणी सुनहरी यादों को बक्से से निकल लाइए और मजे से माँ के साथ सब बैठ कर शैतानियों को देख मुस्कुराइए।
65.
रसोई में माँ संग काम कराते रहें
रसोई में माँ का सबसे ज्यादा समय व्यतीत होता है क्योंकि किसी न किसी की कुछ न कुछ फरमाइश होती रहती है।अब माँ सब व्यंजन बनती ही इतना टेस्टी हैं।आप भी खुद माँ के साथ किचन में खड़े होकर सीखिए और माँ से बातें भी करते रहिए और देखिये कि माँ का दुःख गायब होता जा रहा है।
66.
माँ के अंदर की चुलबुली लड़की को निकालिए
नाना जी की उस नन्हीं परी को फिर से ससुराल वाली कैद से निकालिए और आज़ाद करिए व् फिर आप देख कर हैरान हो जायेंगे कि दुःख के साए में जो माँ गुमसुम सी थी वह तो असल में बहुत ही चुलबुली लड़की हैं जो घर गृहस्थी के कामों के तले दब कर इतनी शांत सी हो गई थी।माँ का मस्ती वाला रूप लौटा कर लाना होगा।
माँ के आराम में खलल न डालें
माँ को आराम करने का समय वैसे ही कम मिलता है और ऐसे में भी उन्हें यदि शोर-शराबा सुनाई देता रहेगा तो वह सो नहीं पाएंगी,क्योंकि सारे दिन अलसुबह से देर रात तक माँ घर के कामों में बस उलझी सी रहती हैं।आराम शब्द तो जैसे उनकी डिक्शनरी में बना ही नहीं हुआ है। यह गलत है,अब जब भी माँ सोने जाएँ या कुछ देर के लिए लेटी हो तो पूरा प्रयास करें कि उनकी नींद में खलल न हो।
68
.एक दिन की छुट्टी माँ के लिए भी होनी चाहिए
सप्ताह के सातों दिनों में,महीनों में,सालों में सब की तरह तरह की चुत्त्तियां होती हैं पर माँ के कैलेंडर में तो कोई अवकाश का प्रावधान ही नहीं होता है और उलटे छुट्टी के दिन उन पर ज्यादा काम रहता है।अब यह नहीं चलेगा।सब मिलकर काम करें और एक दिन माँ को पूरी छुट्टी का अहसास कराएँ।माँ का दुःख कितना कम हॉग नाहीं पता पर उन्हें अच्छा लगेगा।
69.
मी टाइम
सब की समय सारणी अपने अपने हिसाब से बनी रहती है पर माँ का तो कोई टाइम टेबल है ही नहीं।माँ अपने बारे में कुछ सोचना भी चाहें तो इतना वक्त ही नहीं होता कि अपने लिए कर पाएं या सोच पाएं।जब माँ को उनका मी टाइम मिलेगा तो स्वयं ही वह अपने दुखो को दूर करने में सक्षम हो जाएँगी।
70.
हारमोंस में बदलाव भी दुखी कर सकते हैं
माँ के दुःख का एक कारण यह भी हो सकता है कि उनके अंदर हारमोंस के असंतुलन से भूख में कमी,नींद ठीक से न आना,तनाव का लगातार बने रहना,सिरदर्द,थकान महसूस करना भी हो सकता है और जिसकी वजह से वह दुखी रहती हैं।ऐसे में डाक्टर से मिलकर उचित इलाज की जरूरत है ताकि वह स्वस्थ महसूस करें और दुःख की स्थिति से बाहर निकल सकें।
71.
बीमारी में दिल से पूरा ध्यान रखें
माँ की तबियत अगर ठीक नहीं हा तो आपको माँ का दिल से तन- मन से पूरा ध्यान देना चाहिए।बीमारी में वैसे भी मन कई बार थोड़ा कमजोर सा हो जाता है ऐसे में बच्चों द्वारा की गुई देखभाल माँ के हृदय को बुत छू जाएगी और अगर कोई दुःख उनके दिल में है तो वह या तो बतायेंगी या उसे दूर करने की कोशश करेंगी।
72.
इनडोर गेम्स खेलें
खेल हमेशा ही अपने साथ प्रसन्नता को ले कर आते हैं।चाहे जीते या हारें पर एक दुसरे को पटकी देने में सबको बहुत मजा आता है।साथ साथ में माँ और सब के बीच में मस्ती भी चलती रहती है जो किसी भी प्रकर के दुःख अवसाद या परेशानी को हटाने में बहुत सहयक सिद्ध होगी।इनडोर गेम्स जैसे चैस,कैरम बोर्ड,लूडो अदि कुछ भी खेल सकते हैं।
73.
आउटडोर गेम्स के लिए ले जाएँ
माँ को अगर बाहर यानि आउटडोर गेम्स पसंद हैं तो बस साथ जाएँ और जीभर के खूब उनकी चॉइस वाले खेल ही खेलें।बैडमिंटन,टेबल टेनिस,बास्केट बॉल या सिंपल तरीके से ट्रैकिंग भी की जा सकती है। सवाल यह नहीं है कि कौन सा खेल खेलना है बल्कि यह देखना है कि माँ को उनके दुःख से बस बाहर निकालें।करके देखें उन्हें अच्छा लगेगा।
74.
माँ की बगिया के लिए कोई पसंदीदा पौधा लाकर दें
माँ जोकि स्वभाव से सवेंदनशील है और सबसे बेहद नफासत तरीके से बात करती है और यहां तक ओपने पेड़ पौधों से भी।बस माँ के हाथ से पानी की पाइप लीजिये उनकी बगिया में प्यार से पौधों को सिंचिए और माँ के साथ साथ उनके मूक लगव वाले पेड़ों से भी बातें करिये।
75.
पसंद के फूलों का गुलदस्ता दें
फूल किसी भी मौके पर एक दिल को खुश करने वाली ख़ुशी देते है जो खुशबू-ए-रूह बन किसी के भिदिल को नदर तक प्रसन्न कर देते हैं। माँ दुखी हैं और आप चाहते हैं कि उनके चेहरे पर बस किसी तरह मुस्कान लौट आएं तो माँ के पसंद के फूलों का एक खूबसूरत गुलदस्ता बनवाइए और प्रेम से भेंट करिए। दुःख भला आखिर कैसे टिक पायेगा।
माँ के लिए क्या करें जब वह दुखी हों पर इस ब्लॉग में अनेक तरीकों पर बताने की कोशिश की है।सृजनहार माँ को प्रसन्न करने के अनमोल उपाय पढ़िए और अमल में भी जरुर लाइए।COMMENT BOX में अपने राय भी दीजिये।
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।