माँ को कैसे स्वस्थ रखें,यह बहुत ही गंभीर विषय है और अगर आपके मन में यह ख्याल आता है तो यह बेहद उत्साहवर्धक विचार है और आप बधाई के पात्र है जो अपनी जननी के लिए आपका स्नेह व प्यार दर्शाता है। स्वयं एक माँ हूँ और बेटी भी,तो बस अपने और आसपास के अनुभवों को सबके साथ साँझा करने का एक प्रयास रहेगा।
(ब्लॉग के अंत में लिखी कविता जरुर पढ़िए,अच्छा लगेगा)
माँ को कैसे स्वस्थ रखें,हर हाल खुश रखने के तरीके अपना कर रखें
माँ को कैसे स्वस्थ रखें पर 81 बेहतरीन उपाय
1.
पहला सुख निरोगी काया
इससे अभिप्राय यह है कि सबसे बड़ा सुख स्वस्थ शरीर है।प्राचीन काल से स्वास्थ्य पर ध्यान देने पर बहुत जोर दिया गया है।माँ के स्वस्थ न होने पर न सिर्फ उनकी सेहत का नुक्सान है बल्कि पूरा घर भी अस्त-व्यस्त हो जाएगा।बच्चे और घर के बाकि लोग अगर बिना खाए जायेगे तो माँ को इससे कहीं ज्यादा कष्ट होगा।इसलिए माँ को यह बात दिलानी है कि उनका स्वस्थ रहना बहुत जरुरी है।
2.
मेडिकल टेस्ट समय पर कराते रहें
माँ थकी है या सुस्त है या कुछ ओर वजह है यह बात खुद से पता नहीं चलती और माँ यह सोच सोच कर ही परेशां हो जाती हैकि कहीं उन्हें कुछ हो तो नहीं गया है।मेडिकल टेस्ट ही एक ऐसा तरीका है जिससे सही रुप से क्या बीमारी है या नहीं है,पता लग सकता है।किसी बीमारी का पहले ही पता होने पर उचित इलाज किया जा सकता है।
3.
मेंटलहेल्थ
मानसिक स्वास्थ्य आज का बेहद प्रचलित शब्द है,हर कोई परेशां सा नज़र आता है। माँ जब अपनी पूरी क्षमताओं के होते हुए भी अपने कार्यों को ठीक से अन्जाम नहीं दे पाती हैं तो मतलब कहीं न कहीं वो किसी बात से झूझ रही है।एक अस्वस्थ मन से कैसे कोई भी जीवन को सुंदर ढंग से जी पायेगा। इसलिए माँ के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
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4.
दांतों की नियमित चेकअप कराते रहें
माँ मुस्कुराती हैं तो घर सारा मुस्काता हैं।दांतों के स्वस्थ रहने से हृदय और ब्लडप्रेशर की समस्याएं कम रहती हैं,क्योंकि दांतों की सफाई से मुँह में बेक्टारिया कम होते हैं जिसकी वजह से हृदय रोग की सम्भावना कम होती है।दांतों व मसूड़ों का ठीक रहना बहुत जरुरी है ताकि सेहत पूरी तरह से अच्छी रहे।उनके दांतों की नियमित चेकअप कराते रहें,ताकि समय रहते किसी भी समस्या का निदान हो सके।
5.
फिजिकल एक्टिविटी
माँ यूँ तो दिन भर काम में लगी रहती है पर सब कुछ एक ही जगह होने से मूवमेंट इधर से उधर की कम रहती हैं।फिजिकल एक्टिविटीज और एक्सरसाइज में अन्तर रहता है।फिजिकल एक्टिविटी में आप लगातार गतिशील रहते हैं पर एक्सरसाइज में किसी खास अंग की क्रियाशीलता बढ़ने के लिए खास तरीके की गतिविधि अपनाते हैं।अब सवाल यह है कि आप को तय करना है कि कम से कम माँ कुछ एक्सरसाइज को रोज करती रहें।
6.
तबियत ख़राब होने पर पूरा ध्यान दें
माँ की तबियत अगर ठीक नहीं है तो आपके लिए वह सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।सबसे बढ़िया डाक्टर को दिखाएँ और उनके परामर्श के हिसाब से ही दवाइयां समय पर और पूरी तरह से देने की जिम्मेदारी को समझ कर अपना स्नेह और प्यार दर्शाएँ।माँ के लिए ईश्वर से जल्दी स्वस्थ होने की दुआ भी मांगिये।दुआओं में बहुतअ सर होता है जब भी सच्चे मन से मांगी जाती हैं।
7.
योग
माँ को स्वस्थ रखने की चाह बहुत अच्छी है और इसके लिए उन्हें किसी योग्य प्रशिक्षक से योग क्रियाएँ सीखने और करने के तरीके बताएं और वह नियमित रूप से योग करें और ठीक ढंग से करे।उन्हें अपने अनुरूप किस तरह के योग की जरुरत है यह चेक करना भी जरुरी है।एक बेहतर जिंदगी जीने के लिए शारीरिक रूप से पूरी तरह एक्टिव रहना आवश्यक है।
8.
भोजन नियमित और नियमित समय पर
माँ का सही समय पर और नियमित समय पर भोजन करना बेहद अहम् है।प्रकृति भी अपने नियम से चलती है और अगर उसका नियम से न चले तो सारे ब्रहामंड का काल चक्र ही बिगड़ जाएगा।ऐसे ही भोजन को नियमित समय पर करना बहुत जरुरी है ताकि उनके शारीर की घड़ी भी ठीक चले और सही चले।किसी भी चीज़ में नियमता गहरा असर दिखाती है।
9..
पानी खूब पिये
माँ के कामों के हिसाब से उनका पानी ठीक से पीना जरुरी है ताकि किसी तरह की थकान,तनाव और हानिकारक पदार्थ शरीर में जमा न होने पाएं। रिसर्च के अनुसार कम से कम 7 से 8 गिलास पानी एक व्यस्क व्यक्ति को पीना चाहिए।हालाँकि इसमें फलों का जूस,सॉफ्ट ड्रिंक्स,व अन्य पेय पदार्थ भी शामिल हैं।पाचन तंत्र को दुरस्त रखने के लिए,वजन को नियंत्रित करने के लिए और त्वचा में मुलायम रखने के लिए पानी का प्रचुर मात्रा में पीते रहना जरुरी है।
10.
बी पी और शुगर को रेगुलर चेक करते रहें
माँ जो स्वभाव से ही चिंतित रहती है और इसका परिणाम-स्वरूप बी.पी और शुगर उन्हें घेरे रहते हैं।यह दोनों ही खतरनाक बीमारी हैं जो न सिर्फ रोजाना की दिनचर्या को दिक्कत पहुंचाती है वरन आगामी जीवन में भी परेशानियाँ बनी रहती हैं।माँ अपनी दवाइयां ठीक समय पर और रोज ले रहीं हैं इसका कोई चार्ट या किसी ओर तरीके से देखना बहुत जरुरी है।
11.
जीवन में कुछ लक्ष्य बनायें
माँ को भी यह बताना है कि वह अपने अधूरे रहे सपनों को एक बार फिर से पूरा करने की भरपूर कोशिश करें।अब आप भी साथ में हैं तो उनको नये और आसां रास्ते बता सकते है। online का जमाना है जिस के जरिये उनके सामने अनेकों दिशाएं खुली हुई हैं।लक्ष्य प्राप्ति की धुन माँ को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करेगी।सामने मंजिल दिखती है तो माँ भी और इन्सान की तरह आशावान होकर अपनी सेहत पर भी ध्यान देंगी ही देंगी।
12.
रात की नींद पूरी हो
माँ की पूरे दिन भागा दौड़ी तो हद से ज्यादा है,घर उनकी सहायता के लिए मेड्स भी हैं पर माँ तो अब माँ ही हैं,उन्हें आसानी से किसी का काम पसंद ही कहाँ आता है ,इसलिए खुद भी साथ में लगी रहती हैं। मना करो तो भी नहीं मानती हैं।ऐसे में उनकी नींद भी पूरी नहीं होती है जोकि उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। रात में प्रयाप्त सोने से सुबह एक तरोताजगी रहती है और उर्जावान शक्ति महसूस होती है।
13.
एक समय परिवार के साथ भोजन करें
आज के समय में पैसा तो सब खूब कमा रहे हैं पर एक साथ बैठ कर अपने सुख दुःख को साँझा करने का वक्त किसी के पास नहीं है।माँ अपने दिल की बात किस से बांटे।अपने बच्चों की समस्याएं सुनने और उन पर विचार करने का समय ही नहीं है। ऐसे में माँ की सेहत पर इसका विपरीत असर होगा ही क्योंकि माँ की दुनिया तो उसके बच्चों से ही है।कोई एक वक्त एक साथ पूरे परिवार के साथ बैठ कर भोजन करे व् आपसी बातों को शेयर करें।
14.
बाहर का ख़ाना ज़्यादा न खायें
माँ को बाहर का खाना ज्यादा पसंद नहीं है और बच्चे अब बाहर से मंगवाने में बिलकुल भी नहीं सोचते हैं। जंक फ़ूड इस समय बेहद लोकप्रिय है। बस झट से आर्डर करो और पट से घर बैठे मनपसंद खाना खाओ।अपने साथ माँ को भी खिलाने का रिवाज है ही और इसका सीधा परिणाम माँ की सेहत बताती है जिसमें कभी सिरदर्द तो कभी ज्यदा मिर्च मसालों से पेट गड़बड़।बेहतर होगा कि स्वयं भी बाहर का कम खाएं और माँ को भी न खिलाएं।
15.
पौष्टिक ख़ाना खायें
माँ हमेशा ही अपने पूर्वजों द्वारा बताये गए खाने को ही पसंद करती है और वैसा ही बनाती है पर मिलावटी चीजों की भरमार इतनी है कि पूछो ही मत।अच्छी ब्रांडेड कम्पनी की चीज़े ही लें और थाली में स्वास्थ्य के हिसाब से पौष्टिक ख़ाना ही खाया जाए जिसमें हरी सब्जियां,फल,दही,सलाद और दाल चावल आदि सब खाद्य पदार्थ शामिल हो ताकि माँ एकदम सेहतमंद रहें।
माँ की सेहत के लिए नायाब उपाय
16.
हरी सब्ज़ियाँ ज़्यादा खायें
माँ को सबकी सेहत का ध्यान रखना खूब आता है पर खुद के लिए लापरवाही कर जाती हैं।नहीं माँ,हरी सजियाँ खूब खाइए क्योंकि इससे आयरन,विटामिन्स,कैल्शियम होने से आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होंगे जिससे आपको भरपूर नींद आएगी,रोगों से बचाव की प्रक्रिया बनी रहेगी और आप हमेशा ऐसे ही सुंदर दिखेंगी।
17.
सलाद को आहार का हिस्सा बनायें
कई तरह के फलों और सब्जियों को मिला कर बनाया गया सलाद पाचन को एकदम दुरुस्त रखता है।फाइबर की मात्रा खूब होने से पेट भरा सा रहता है जिसकी वजह से ओवर ईटिंग से बच जाते हैं तो माँ का वजन भी नहीं बढेगा और वो ज्यादा चुस्त -दुरुस्त रहेगी। माँ के खाने में सलाद हो,इस पर ध्यान दें।
18.
फलों को जी भर खूब खाएँ
माँ जानती हैं कि हर रोज फल खाने चाहिए पर खुद नहीं खायेंगी कभी यह सोच कर कम है कभी यह सोच कर कि यह उसे पसंद है।माँ भी फल जरुर लें क्योंकि शरीर की मजबूती के लिए खनिज पदार्थ,फाइबर,विटामिन्स का लेना आवश्यक है,जो उनके लिए भी उतना ही जरुरी है जितना माँ आपके लिए चाहती है।
19.
नमक व चीनी का सेवन कम हों
नमक यूँ तो जीवन के लिए एक बेहद जरुरी चीज़ है और मीठा भी। कहने के बाद हर कोई कुछ मीठा खाने की इच्छा रखता ही है पर माँ कभी कभी थोड़ा ज्यादा ले लेती हैं,जो सेहत के लिए ठीक नहीं हैं क्योंकि ज्यादा नमक और चीनी से बने खाद्य पदार्थ दिल को बीमार बना कर हृदय से जुड़ी हुई बिमारियों को बढ़ा देते है और जोकि सेहत की दृष्टि से बहुत ही नुकसानदायक रहेगा।
20.
साबुत अनाज खायें
माँ को साबुत अनाज जैसे गेंहू पराठा,दलिया,मक्का,भुट्टा,बाजरा,जौ,चावल आदि जैसी वस्तुएं खिलाएं।साबुत अनाज यानि माँ को मिलेगा प्रोटीन,फाइबर,कार्बोहाइड्रेट,विटामिन्स और खनिज जैसे लाभकारी पोषक तत्व का पूरा पैकेज का काम करेंगे।बस माँ रहेगी पूर्णत स्वस्थ।
21.
छोटे-छोटे आहार लें
आमतौर पर तीन बार आहार लेने की सलाह दी जाती है पर आजकल एक नयी विचारधारा के अंतर्गत दिन भर में बार बार छोटे छोटे भोजन खाने की बात भी कही जा रही है।पर यह भी माना जाता है कि लगातार पञ्च घंटे से ज्यादा भूखा न रहा जाएँ क्योंकि लम्बे समय तक भोजन के बिना कई बार निर्णय लेने की क्षमता पर असर आता है। माँ के लिए देखना है कि वो अधिक समय तक भूखी न रहें और समय पर खाती भी रहें।
22.
स्वस्थ रहने के लिए साप्ताहिक व्रत सहायक होते हैं
माँ के व्रत उपवास की लिस्ट बहुत लम्बी है। धर्म के नाम पर किसी न किसी के लिए वो व्रत रखती रहती है। व्रत सेहत की दृष्टि से शरीर की अंदरूनी सफाई के लिए सही है पर बहुत ज्यादा नही होने चाहिए। साप्ताहिक व्रत इस दृष्टि से सही रहते हैं। माँ से बात करके उन्हें अपना नजरिया बताने की जरूरत है।
23.
पेट साफ़ है या नहीं ध्यान दें
माँ का पेट साफ़ है या नहीं यह जानना जरुरी है क्योंकि इससे कब्ज रहने से पाचन तंत्र प्रभावित होता है और नतीजा गैस की समस्या का होना,पेट में भारीपन,भूख न लगना,सांसों में बदबू व चेहरे पर मुहांसे होना आम बात है।माँ को भी इन सब समस्याओं से न गुजरना पड़ें इसलिए ध्यान देना चाहिए।
24.
स्वस्थ रहने के संकल्प में सहयोग करें
माँ से किसी दिन खुद स्वस्थ रहने का संकल्प लेने को कहें,हो सकता है वो थोड़ा मना करेगी पर बच्चों की जिद के आगे माँ कब तक नहीं मानेगी।जब वो आपका मन रखने का संकल्प लें तो आप उन्हें रोज याद दिलाते रहें मगर प्यार से,दुलार से थोड़ा मनुहार से। स्वस्थ रहने के तरीके माँ स्वयं ही खोज लेंगी क्योंकि उन्होंने आप से प्रॉमिस जो किया है।
25.
अख़बारों में पढ़ कर कोई नेगेटिव सोच न बनाये
माँ अक्सर अखबरों या किसी मैगज़ीन में छपे लेख को पढ़ कर चिंता में पड़ जाती हैं और उन्हें लगता कि उस लेख में किसी भी बीमारी के जो लक्षण बताएं है वो तो उनमें भी हैं। अरे माँ खुद से कोई कैसे बीमार खुद को मान सकता है जब तक कोई टेस्ट न हुआ हो।व्यर्थ में अपने दिल पर इतना बोझ मत रखा करिए।माँ से बातचीत करते रहना ही इसका समाधान हैं।
26.
आराम भी ज़रूरी है
माँ जोकि काम ही काम को अपना धर्म सा मानती हैं और आराम करने को जैसे कोई गलती हो रही हो,ऐसा सोचती है।माँ सुनो! आराम करना भी प्रकृति का नियम है ठीक वैसे ही जैसे दिन रात नियम से चलते हैं।दिमाग को सक्रिय रखने के लिए और शारीरिक रूप से उर्जावान रहने के लिए बीच-बीच में थोड़ा आराम बेहद जरुरी है ताकि आप शारीरिक रूप से पूर्णत स्वस्थ रहें।
27.
खेल कूद/आउटडोर के लिए प्रोत्साहित करे
माँ को बाहर किसी पार्क या वैसे ही अपने घर के बाहर टहलने ले जा सकते हैं क्योंकि घर से बाहर निकलने पर हर इन्सान को अच्छा लगता है। किसी खास खेल को अगर वो पसंद करती हैं तो फिर यह बहुत अच्छी बात है,उन्हें उसी गेम को दिखा सकते हैं या खुद उन्हें उस गेम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते हैं।मन भी प्रसन्न और सेहत भी फिट एकदम।
28.
आपको उनका कोई पसंद का खेल सिखाने के लिए माँ से कहें
घर बैठे भी आजकल टी.वी पर भी खेल सीखे जा सकते हैं।इनडोर गेम्स भी इतने हैं कि माँ को खेलने में अच्छा लगेगा। सांप-सीढी,लूडो,कैरम -बोर्ड,ताश आदि अनेकों गेम्स है जिसमें समय कितना लग जाएँ पता ही नहीं चलेगा। माँ से कहिए कि खेलों के नियम कायदे वो बताएं। माँ की सेहत के लिए किसी भी तरह के खेल बहुत ही फायदेमंद रहेंगे।
29.
छोटे-छोटे लक्ष्य पैदल चलने के बनाएं
माँ जोकि काम में इतनी व्यस्त रहती है और साथ में यह भी मानती हैं कि उन्हें बाहर निकल कर पैदल चलने की कोई जरुरत है ही नहीं क्योंकि घर में सारे दिन वो काम में चलती फिरती रहती हैं।पैदल चलने के लिए प्रोत्साहित करें क्योंकि इससे उनके दिल को खुश,हड्डियों को मजबूत,वजन पर कण्ट्रोल,इम्युनिटी बूस्टिंग,बी.पी पर नियंत्रण,जोड़ों में आराम,ब्रेन फंक्शन में सुधारऔर नतीजा एक बढ़िया सुकून भरी नींद।पैदल माँ संग चलिए,अपनी और उनकी सेहत बढ़िया करिए।
30.
जीवन शैली में परिवर्तन लायें
एक सी जीवन शैली में बहुधा एक सी सोच भी बनती जाती है क्योंकि वहीँ बातें दिमाग में घूमती रहती हैं।दिनचर्या का ठीक से चलना जरुरी है पर कभी थोड़ा सा परिवर्तन जिंदगी में एक नयी उमंग ले आता है और प्रेरित भी करता है जैसे-रोज माँ अगर 7 बजे उठती हैं तो एक दिन आप उन्हें थोड़ा सा पहले उठा कर पास ही कहीं घूमने ले जाए,रास्ते में आते जाते लोगों से अभिवादन होगा,पक्षियों की गूंज मन को एकदम फ्रेश कर देंगी।इसी तरह से ओर छोटी छोटी बातों में परिवर्तन जीवन को आनंदमय बना देगा।
माँ को स्वस्थ रखने के सुंदर नियम
32.
उनके बचपन के गेम्स के बारे में याद दिलायें
माँ के बचपन के गेम्स जिसमे रस्सा कूदना,लूडो,सांप सीढी,छुप्पन-छुपाई,अन्ताक्षरी खेलना आदि जो उन्हें बहुत पसंद होंगे और आप जब उनके साथ खेलने की बात करेंगे तो वो खुश भी होंगी और उनकी सेहत पर एक सकारात्मक प्रभाव भी पड़ेगा।बचपन के गेम्स दिल के करीब जो होते हैं।
33.
स्वास्थ्य सम्बंधित प्रोग्राम में हिस्सा लें
स्वास्थ्य से जुड़ें तीन प्रकार के कार्यकर्म रहते हैं जिसमें शारीरिक,मानसिक व सामाजिक।माँ को तीनों रूप से सेहतमंद होना है ताकि वो पूर्ण रूप से स्वस्थ कहलाएं।सरकार द्वारा आयोजित अनेक स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ उठाना,टी.वी पर इससे के लिए तरह तरह के कार्यकर्मों को देखना,योग शिविर में जाना और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के प्रोग्रम्मेस को जरुर चेक करते रहना चाहिए।
34.
फिटनेस ट्रेकर तोहफ़े में दें
माँ को किसी खास मौके पर जैसे उनके जन्मदिन पर या किसी ओर समय पर फिटनेस टेकर तोहफे के रूप में लाकर दें जिससे वो इस्तेमाल करेंगी ही करेंगी।साथ में उसको कैसे किस तरीके से उपयोग में ला सकते है या आप स्वयं बताएं या किसी ट्रेनर से उन्हें बता या सिखा सकते हैं।रेगुलर वो इन सभी फिटनेस ट्रेकर का इस्तेमाल करें यह आपको देखना जरुरी है।
35.
इनोवेटिव ट्रेवलिंग कार्यक्रम के बारे में बतायें
माँ की सहेलियों के साथ कोई इनोवेटिव ट्रिप प्लान करके दें
घर से बाहर जाना सेहत की दृष्टि से बहुत काम की चीज़ है क्योंकि एक तो आप बंधे-बंधाये दिनचर्या से थोड़ा अलग हट कर भी जीते हैं।अब ऐसे में माँ की सहेलियों के संग उनके घूमने का कार्यकर्म बनाइए और आप हैरान होंगे कि माँ के चेहरे पर तो एक अलग सी चमक आ गई है।इस शुभ काम में देरी न करें।
36.
स्मार्ट वॉच से डेली कदमों को नापने के लिए उत्साह बढ़ायें
जब सेहत की बात हो तो स्मार्टवाच आज की अहम जरूरत बन गई है क्योंकि माँ को फिटनेस के लिए जागरूक बनाने में यह उपयोगी होगी क्योंकि यह कितने कदम चलती है,कितनी दूर चली हैं,कितनी कैलोरी खर्च की,हृदय गति और तो और नींद को भी ट्रेक करता है।बस आज ही माँ को स्मार्टवाच पहनाइए और सेहत मंद बनाइए।
37.
घर पर एक्सरसाइज संबंधित इक्विपमेंट लाकर दे सकते है
माँ के लिए जिम पर जाना हो सकता है कि संभव न हो तो इस में क्या समस्या है।अब घर पर कुछ ऐसे इक्विपमेंट ला कर दे सकते हैं जैसे योग मैट,रस्सी कूदना,जिम बॉल,इनडोर साइकिल जैसे उपकरण जोकि बहुत उपयोगी है और आसानी से इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
38.
संगीत से जोड़ें
माँ जो स्वयं संगीत की उपासक है पर अपने लिए समय निकलना भूल गई हैं ऐसे में संगीत के जादुई स्वरों से जब वो खुद को फिर से जोड़ेंगी तो उकी सेहत पर इसका असर बहुत ही अच्छा होगा क्योंकि संगीत में मन को प्रसन्नता देने का स्वाभाविक गुण है।अब तो बहुत से एप्पस मोबाइल पर भी मिल जाते हैं। डाउनलोड कर दें या उन्हें बता दें।
39.
छोटे से प्रयास पर भी तारीफ़ करें
माँ जैसे आपके हर छोटे से काम की तारीफ करती हैं ठीक वैसे ही अब आपको माँ के हर छोटे से प्रयास की दिल खोल कर प्रशंसा करें। जैसे माँ ने पहले दिन 500 मीटर ही चली पर अगले डीमन कुछ ओर ज्यादा चलने का प्रयास किया तो उन्हें प्रोत्साहित करिए और जैसे माँ आपको एक टोफ्फी या चोकलेट देती आई है अब आप उन्हें यह इनाम दीजिये।
40.
विटामिन लेने जरुरी है
विटामिन्स हमारे शरीर के लिए ईंधन का काम करते है।अब माँ देखो शरीर के अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है।हड्डियों को मजबूती देने में,इम्यून सिस्टम को ठीक करने में,घाव भरने में बहुत सहायक होते हैं।इसलिए माँ विटामिन भरपूर ले,इसका ध्यान रखें।
41.
धूम्रपान,गुटका जैसी आदतों से तौबा करें
कई घरों में गुटका सिगरेट का पीना जैसी चीज़े बड़ी आम सी बात हैं,लेकिन सेहत के लिए और खासतौर पर फेफड़ों के लिए यह तो बहुत ही घातक है। कहीं आपके घर में तो ऐसा नहीं हो रहा है। जरुरी नहीं कि माँ के सेवन से ही असर पड़े। ऐसा रिसर्च बताती है कि धुम्रपान के धुंएँ से उसके आसपास के लोगों में भी कैंसर होने का डर बना रहता है।गुटका से भी फेफड़ों,दांतों में कैवेटी,बी पी का बढ़ना आम है।
42.
त्वचा पर कोई अचानक बदलाव तो नहीं है
माँ की त्वचा के रंग में तो कोई बलव तो नहीं दिख रहा हैं न क्योंकि इसका मतलब है कि शरीर के अंदर कुछ गड़बड़ चल रही है जिसका समय रहते इलाज करना जरुरी है।अगर रंग में पीला पन ज्यादा है तो यकृत में खराबी का संकेत है और नीला रंग साँस जैसी बीमारी का सूचक माना जाता है।माँ की अच्छी सेहत के लिए आप प्रयासरत है तो उनके रंग में बदलाव पर ध्यान दें।
43.
आलस आने पर कोई रुचिकर काम करें
माँ की चुस्ती की हमेशा तारीफ होती आई है पर अगर वो थोड़ा आलस करती है जोकि उनकी आदत बिलकुल भी नहीं है तो ख्याल करना चाहिए क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार बढ़ा हुआ कफ शरीर में भारीपन लाता है या कोई चिंता अगर लगातार बनी हुई है तो भी काम में अरुचि होने लगती है।ध्यान दें कि माँ खूब पानी पियें,लगातार काम न करें,पौष्टिक खाना खाएं,मोबाइल से दरी बनाएं और भरपूर नींद लें।
44.
नकारात्मक विचारों से दूर रहें
माँ हमेशा ही सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत रही है पर कई बार वो भी किसी न किसी बात से नकारात्मक हो जाती हैं। ऐसे में माँ से बात करिए,उनसे उन विचारों को अपने ऊपर हावी न होने देने की प्रयास करें। स्वयं को दोषी माँ न माने इस ओर ध्यान दें क्योंकि नेगटिव लोग अपना दोष दूसरों पर डाल देते हैं।माँ खुश रहें इसलिए माहौल को खुशनुमा बनाएं।
45.
सकारात्मक लोगों के साथ रहें
सकारात्मक सोच और सकारात्मक लोगों का साथ जीवन में उत्साह और नव उर्जा को भर देते हैं।माँ का साथ किन लोगों के साथ है यह देखना जरुरी है।रचनात्मक आलोचना और सही प्रतिक्रिया जिंदगी के सार्थक मायने बताती है और माँ को अपने लक्ष्य की अगेसर करने में बढ़ाएगी और स्वस्थ भी।
माँ की सेहत के लिए Health Tips
46.
लाफ्टर क्लब जैसे समूह को जॉइन करें
घरों में किसी को किसी से बात करने का मौका ही नहीं है वजह सब अपने कामों में व्यस्त और सोशल मिडिया को ज्यादा तवोज्जो देने की आदत पर माँ जो घर में ही रहती हैं वो क्या करें।अब बहुत सारे लाफ्टर क्लब खुल गए हैं जहाँ माँ का अकेलापन भी कम होगा और साथ में एक अच्छे वातावरण में खुशमिजाज लोगों का साथ भी मिलेगा।
47.
स्वयं को हमेशा व्यस्त रखें
बच्चे क्या बड़े हुए माँ जो पहले अति व्यस्त थी अब समय काटे ही नहीं कटता।माँ से बात करके उन्हें खुद को बिजी करने के अनेक सुझाव दीजिये जो उन की रूचि के हो।बागवानी ह या नए नए व्यंजनों को बनना और मार्किट में बेचना,सिलाई बुनाई का केंद्र खोलना आदि। माँ तो फिर इतनी व्यस्त हो जाएगी कि आपको उनसे मिलने के लिए वक्त लेना पड़ेगा।
48.
मैडिटेशन को रोज़ करें
माँ को मैडिटेशन करने के लिए उत्साही बनाएं ताकि वो दिमागी रूप से एक असीम शांति महसूस कर सकें।दिमागी कसरत इससे अच्छी ओर क्या होगी।माँ ध्यान की प्रक्रिया को अपनाएं और उनकी एकाग्रता,तनावहीनता और उनके प्रफुल्लित चेहरे की चमक को देख कर खुश हो जाइए।
49.
माँ से अनावश्यक बहसबाजी न करें
कहीं आप माँ से हर बात पर बहसबाजी तो नहीं करते हैं।माँ से बात करते हुए आवाज़ धीमी रखें और शांति से अपनी बात कहें।समस्या का समाधान खोजना है न कि जोर से बोल कर माँ को पीड़ा पंहुचाना।माँ के पॉइंट्स को समझने की कोशिश करें ताकि माँ के दिल और दिमाग पर जोर न पड़ें।माँ से अपनी बात कहें पर कोई भी और किसी भी तरहकी बहसबाजी बिलकुल भी न करें।
50.
माँ से बातें करते रहें
आप माँ के जीवन में सर्वाधिक महत्त्व पूर्ण है यह बात हमेशा स्मरण रहें।आप की व्यस्त दिनचर्या हो सकती है पर माँ को यह कभी भी महसूस न हो कि अब उनसे बात करने का आपके पास समय ही नहीं है क्योंकि यह बात दिमागी तौर पर उन्हें अस्वस्थ बना देगी जो माँ की सेहत के लिए बहुत ख़राब साबित होगी।
51.
माँ की चिंताओं को जानने की कोशिश करें
माँ जो हमेशा अपनी चिंताओं को बताती ही नहीं और अंदर ही अंदर घुटती रहती है।यह सर्व विदित है कि अगर मन स्वस्थ नहीं है तो उसका सीधा असर शरीर पर पड़ेगा ही पड़ेगा।आप माँ के करीब रहें हैं इसलिए माँ से बात करके उनकी चिन्ताओं को जानें और बुद्धिमता से उसका निवारण ढूंढे।
52.
माँ दवाइयाँ समय से लें,ध्यान दें
माँ यूँ तो अपना ध्यान रखती हैं पर कई बार बीमार भी हो जाती है। याद कीजिये जब आप छोटे थे तो माँ रात रात बहार जाग कर आपका ध्यान देती थी तो बस अब आपकी बारी है।माँ की दवाइयों समय सी ली जाएँ और पूरी ली जाएँ यह आपको ध्यान देना है ताकि माँ जल्द से जल्द स्वस्थ हो पाएं।
53.
फ़ोन पर अलार्म सेट कर सकते हैं
अब तक आप बच्चे बने हुए हैं कि सुबह माँ ही आपको उठाए। थोड़ा सोचिये कि माँ की नींद कैसे पूरी होगी जब उन्हें आपको जागने का काम मिला हुआ हो। स्वयं अपना अलार्म सेट करके सोये और माँ को भी सोने दें।माँ के स्वास्थ्य की बात करते हैं तो वैसे ही प्रयास दिखने भी तो चाहिए।
54.
भावनात्मक रूप से माँ के साथ नज़र आएँ
यूँ आप माँ के साथ बहुत ज्यादा जुड़ें हुए है और अपनी माँ के खिलाफ कुछ सुन भी नहीं सकते पर कई बार जब आपका साथ चाहिए होता है आप बोल नहीं पाते हैं। माँ को दिल से यह लगना चाहिए कि उनके बच्चें उनके हर निर्णय में साथ है भले ही वो दूर रह रहे हो।
55.
प्रेरक किताबों को खूब पढ़ें
दुनिया में हर मानव समूह में यह शाश्वत सत्य है कि माँ के बाद किताबें ही गुरु जैसा काम करती हैं।माँ ने आपको हमेशा प्रेरक किताबे तोहफे में दी थी और उन पर चर्चा ही खूब होती थी। माँ को याद दिलाए कि अपनी वहीँ प्रेरणा से भरी पुस्तकें उनका इंतजार कर रही हैं।गुरु का साथ गुरु को भाता ही है।
56.
आत्म-विश्वास को बढ़ाने में साथ दें
माँ के आत्मविश्वास में भागीदार बनिए।आखिर किन बातों की वजह से उनका आत्म विश्वास कमजोर हो जाता है,इसे जानने की कोशिश करें और पूरे मनोयोग से उन कारणों को दूर करने मे सहायता करें। एक आत्मविश्वासी माँ की हस्ती ही अलग होती है,यह किसी से भी छुपा हुआ रहस्य नहीं है।
57.
पितृसत्ता व्यवस्था में कुछ परिवर्तन लाएँ
समाज की सबसे बड़ी कुरीति अगर कोई है तो वह है हर घर में पितृसत्ता व्यवस्था को होना। पितृसत्ता व्यवस्था सदियों से न जाने कितनी माएं इस व्यवस्था से पीड़ित होकर पूरी जिंदगी कष्टदायक स्थितियों में गुजर देती हैं।पितृसत्ता व्यवस्था जब बच्चे माँ के साथ खडें होते है तब घर में माँ को घर की फीलिंग होती है।पितृसत्ता व्यवस्था में अपने प्रयासों से परिवर्तन महसूस कराइए।
58.
उनकी रुचिकर कोई कोर्स जॉइन करवा सकते है
माँ अभी डिजिटली रूप से उतनी सक्रिय नहीं हैं क्योंकि उन्होंने उस तरह की पढाई कभी की ही नहीं।माँ के रूचि वाले क्षेत्र जानिए और कैसे वो उसमे महारत हासिल कर सकती है। इस्क्के लिए आप उनसे जुड़ें कोर्सेज को ढूंढ कर उन्हें बता सकते है और कैसे आगे बढ़ना है उसमें साथ दें।
59.
पेड़-पौधों की देखभाल में साथ में घूमें
हरे भरे पेड़ पौधे किस का मन नहीं नहीं मोहते।माँ की तो जैसे इसमें जान बसती है।माँ को स्वस्थ रखने के लिए यह जरुरी है कि उनका साथ दें न कि कई बार उन्हें उलाहना दें कि क्या आप इन सब में लगी रहती हो।उनको नए नए पौधे या जो सेहत के लिए लाभकारी हैं वो लाकर दे सकते हो।स्वस्थ तन और मन के लिए उनकी बगिया में आप भी साथ रहें।
60.
पालतू जानवर घर में पाल सकते हैं
माँ के स्वास्थ्य के लिए अगर उन्हें पालतू जानवरों की संगति अच्छी लगती है तो कोई भी उनकी पसंद का जानवर आप घर में ला सकते है जिसमें कालभैरव माने जाने वाला और वफादार जानवर कुत्ता सबसे ज्यादा भाता है।कोई भी पालतू जानवर जल्दी ही घर का ही हिस्सा बन हमें अधिक देखभाल करने वाला,ज्यादा सहानुभूति पूर्ण और हमारे भावनात्मक विकास में सहायक सिद्ध होते हैं।बस कुत्ता,बिल्ली,खरगोश या कोई अन्य जानवर लाइए और माँ की खिलखिलाहट को दिनरात सुनिए।
माँ को कैसे स्वस्थ रखें पर अच्छी आदतें
61.
तीज़-त्योहारों में अपनी रुचि दिखाएं
माँ अपनी संस्कृति को बहुत पसंद करती है और प्यार से हर तीज-त्यौहार को मनाती हैं।बच्चे कभी कभी इन में या तो रूचि ही नहीं दिखाते या कई बार मजाक भी बना देते हैं जिससे माँ के हृदय को ठेस लग सकती है। स्वयं आगे बढ़ कर अपना उत्साह दिखाइए और किस चीज़ की जरूरत हैं उसे में सहयोग दें।
62.
शॉपिंग में साथ जायें
माँ को शौपिंग करना बेहद पसंद है और ढेर सारी चीज़े लाना भी। अब पर अकेले जाने में थोड़ा कतराती हैं और क्योंकि सभी व्यस्त नज़र आते हैं तो किसी को भी साथ चलने में कह भी नहीं पाती हैं। आप थोड़ा खुद को फ्री करें और माँ के साथ जम कर शौपिंग करे। खुश माँ की सेहत तो खुद ही ठीक रहेगी।
63.
माँ को सबसे ज़्यादा सम्मान दें
घर में या बाहर कहीं भी जब आपकी तारीफ हो तो सबसे पहले माँ को इसका श्रेय दें और खूब सारा दें क्योंकि उनकी परवरिश और संस्कारों की वजह से ही आप तरिक्की कर पाते हैं।माँ को सम्मान जब दिल से देते हैं तो एक सुकून और हृदय को छूनेवाली भावना माँ को पुलकित कर देगी जो की उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बढ़िया बात होंगी।
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64.
अपने उत्तम आचरण से गर्वित महसूस कराएँ
किसी भी माँ के लिए जीवन का वो सबसे ज्यादा गर्वित क्षण होता है जब दुनिया में उस के बच्चे के आचरण की मिसाल दी जाती हैं। माँ को यह सुंदर पल का अहसास आपका सभ्य व्यवहार और बोली करवा पायेगी तो इससे माँ को जरुर गर्व भरे भावों से भर दें। माँ की सेहत के लिए सबसे बढ़िया और लाभकारी टॉनिक साबित होगा।
65.
तनाव पूर्ण अवसरों को अवॉयड करें
गह्रों में अक्सर किसी न किसी बात पर न चाहते हुए भी तनाव की स्थिति हो जाती है और इसका सबसे ज्यादा असर माँ के ऊपर होता है। घर के बड़े लोग भी कई बार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से घर की स्वामिनी यानि माँ को दोषी करार करते हैं जिसकी वजह से वो बहुत तनाव में आ जाती है और नतीजा उनकी सेहत का ख़राब होनाप्रत्यक्ष आप सीसी स्थितियों से माँ को बचाएं और अवॉयड भी करें।
66.
रिश्तों में नई ताजगी दें
गहर में एक बंधी बंधाई दिनचर्या में वाही बातें रोज होती रहती हैं। ऐसे में माँ को नयी ताजगी भरी सुबह दें। सुबह की भोर की किरणों में ओम का जाप हो सकता है,अपनी सफलताओं का जिक्र उन्हें ख़ुशी से भर देगा। माँ पापा के संग कहीं दूर घूमने निकल जाइए और दिल की बहुत सारी बातें करिए और यह सब माँ की सेहत के लिए बहुत अच्छा काम करेगी।
67.
वायरलेस इयरबड्स लाकर दें
माँ के लिए कई बार क्या ज्यादातार संगीत या भजनों को सुनने का वक्त ही नहीं है पर उनका मन तो करता ही है। वायरलेस इयरबड्स इसका जवाब हैं जो माँ को लाकर दें और गुन्गुनते हुए जब वो सब काम करेंगी तो उनमें एक अलग सा उत्साह दिखेगा जो स्वास्थ्य की दृष्टि से एक बहुत ही नायाब बात सिद्ध होगी।
68.
उनके पसंदीदा खिलाड़ी कौन है?
माँ से उनके पसंदीदा खिलाड़ी के बारें में बातें करिए और अपरोक्ष रूप से उन्हें प्रोत्साहित करिए।उनका धीरे धीरे मन होगा कि वो उस खास खिलाड़ी के खेलों को देखने के लिए वक्त निकालें और देखने भी। खेल सिर्फ खेलने वालों को ही नहीं अपितु देखेने वालों को भी ख़ुशी देता है। हो सके तो बड़े स्टेडियम में लेजाकर उन्हें डायरेक्ट उस खेल को दिखने का प्रयास भी करें।
69.
अख़बारों में स्वास्थ्य संबंधित लेख पढ़ते रहें
माँ को अखबार में या किसी भी मैगज़ीन में सेहत से जुडी खबरे पध्मे को कहे और आप उनके संग चर्चा भी करें।कई बार एक छोटी सी जानकारी भी बहुत बड़े परिवर्तन ले आती है।चाय की जगह हर्बल चाय या मिठाइयों की जगह फलों को लेने की आदत सुनने में छोटी सी है पर सेहत में कितने बड़े बदलाव ला सकती है,सोच कर सुखद अहसास होने लगता है।
70.
सामाजिक कल्याण के कार्यों से जुड़ने में साथ दें
माँ जो स्वभाव से बहुत मिलनसार और मददगार हैं और जहाँ भी उन्हें मौका मिलता है वह वहां दिल खोल कर दान करती हैं। ऐसे में अगर वह किसी ऐसी संस्त से जुड़ जाएँ जहाँ सामाजिक कल्याण की बातें होती हो और कुछ न कुछ कोई कार्यकर्म भी आयोजित होते हो,तो वहा उन्हें अच्छा लगेगा।
माँ को स्वस्थ रखने की नयी युक्तियाँ
71.
दूसरों के सुझावों पर एकदम से अमल न करे
माँ को बहुत सारे रायचंद अपनी अपनी सलाह देते रहते है और माँ क्योंकि उन पर विश्वास करती है और ऐसे में कई बार बजे अपने शरीर के हिसाब न देख कर उन लोगों की सलाह तुरंत मान कर आहार में परिवर्तन कर देती है जिसका नुकसान भी हो सकता है। इसलिए किसी भी नए सुझाव पर थोड़ा पढ़ कर ध्यान दें।
72.
ईश्वर में आस्था बनाये रखें
माँ ईश्वर की सच्ची उपासक है यह बात बहुत अच्छी है। ईश्वर से हमें एक शक्ति और साथ में जब कोई भी नहीं होता तो भगवन तो हमारे साथ है,यह हमें आत्मिक बल देता है। घरों में कई जगह इस बात की मजाक बनती है या ईश्वर के अस्तित्व पर ही सवाल उठने लगते है ऐसे में माँ के दिल को गहरी ठेस पहुँचती है।,जो सेहत के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है। ऐसे में आप माँ के साथ खडें होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँ।
73.
हर बात को दिल से न लगाएँ
सवेंदनशीलता किसीभी व्यक्ति को जानने के लिए देखि जाती है। माँ दूसरों के प्रति दयाभाव रखती है और कुछ ज्यादा ही रखती हैं पर वो कुछ ठीक से न होने पर उस बात को दिल से भी लगाये रखती हैं और निरंतर उसी के बारें में सोचती रहेंगी जो उनके हेल्थ पर प्रतिकूल असर डालती है।माँ से बातें करके उन्हें हलके में बातों को लेने के लिए कहें।
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ओवरथिंकिंग बचें
आज के ज़माने की सबसे बड़ी समस्या है ओवर थिंकिंग। माँ भी इससे नहीं बची हैं। माँ को कोई भी समस्या या बात हो वो इतना ज्यादा सोचती हैं जिसकी वजह से उनकी तबियत भी बिगड़ जाती है।सोच विचार करना अपने आप में बहुत अच्छी बात है पर बस सोचते रहना सही नहीं है। आप ध्यान दें कि कहीं माँ भी तो इस बीमारी से गर्सित न हों।
75.
हर रोज़ कुछ न कुछ अच्छा करने की सोचें
माँ से जब आप कहते है कि किसी की बात का बुरा न माने जो कि उन्होंने ही आपको यह बात सिखाई थी। माँ सरस्वती हम को देखती है और किसी भी पल में कही या सोची हुई बात सच भी हो जाती है,ऐसा कहा जाता है। माँ जो किसी भी बात से आहत हो जाती है और नेगेटिव सोचने लगती है। उन्हें ऐसा करने से रोकें।
76.
बदलाव को स्वीकारें
तेजी से बदलती दुनिया मेंकी रफ़्तार ही इतनी ज्यादा है कि उसके साथ कदम से कदम मिला कर चलना मुश्किल है।सोच में,व्यवहार में,रहन सहन में,रीति-रिवाजों में हर जगह बदलाव दिखता है जो कभी अच्छा भी है तो कहीं हमें हमारे कम्फर्ट जोन से निकलने पर मजबूर करता है। माँ को दुनिया के इस बदलाव को सकारात्मक रूप से लेने में मदद करें।
77.
दिमाग़ी कसरत वाले गेम्स खेलें
माँ को थोड़ा घर के कामों से फ्री करवा कर उन्हें दिमागी कसरत वाले गेम्स के लिए बताएं और न पता होने की स्थिति में उनके मोबाइल पर डाउनलोड करके दें।यह खेल न सिर्फ उन्हेंव्यस्त रखेंगे बल्कि उनकी सेहत पर बहुत अच्छा प्रभाव डालेंगे। ज्यादा सोचने से मुक्ति मिलेगी और कुछ नया करने का संतोष भी। बस यह काम तो आज ही कर दें।
78.
हर किसी में कोई एक अच्छाई ज़रूर ढूँढें
आप की एक आदत माँ को बिलकुल भी पसंद नहीं है और वो है किसी में भी कोई न कोई आप खोज ही लेते हैं। माँ की कही बातें भी आप भूल जाते हैं जिस की वजह से भी चिंतित हो जाती हैं और परिणामस्वरूप माँ की सेहत पर बुरा असर। इसलिए आप भी अपनी इस आदत को बदलिए और माँ को सेहतमंद बनाइए।
79.
अपनी कमियों को सुधारने पर ध्यान दें
आप की बहुत सी बाएँ माँ को पसंद नहीं होंगी और अक्सर वो आप को टोकती भी रहती होंगी। आपने कभी शायद महसूस भी नहीं किया होगा कि कमियों को न सुधारने की आदत से माँ को पीड़ा पहुंचेगी। कमिय होना कोई ख़राब बात नहीं है पर उन पर ध्यान न देकर वैसे ही रखने से माँ तो परेशां होंगी ही। इसलिए अपनी कमियों पर ध्यान एन और माँ को सेहतमंद बनाएं।
80.
उनके बचपन को ज़िंदा रखिए
माँ हमेशा से ही अपना बचपन बना कर रखे हुई थी पर बस घर गृहस्थी में ऐसी उलझी कि अपना नटखट बालपन भी भूल गयी। आप फिर से उनके बचपन वाले गेम्स या उनकी शैतानी वाली चुलबुली घटनाओं का जिक्र कर सकते हो,जिन से वो याद करके अपने सुनहरी अतीत में खो जाएँ और खुश रहें। एस में सेहत में हैरानी वालीए सुधर दिखाई देंगे। आजमा कर देखें।
81.
स्वभाव में शुक्रिया का भाव बनाए रखिए
माँ के प्रति नाराजगी या गुस्से का भाव न सिर्फ माँ का दिल दुखता है अपितु घर का वातावरण भी बोझिल करता है। ऐसा नहीं होना चाहिए।थोड़ा परिवर्तन अपने व्यवहार में करके देखिये ताकि घर जन्नत बन जाएँ जहाँ हर कोई चहक-चहक कर बातें करें। एक प्रफुल्लित माहौल सब की सेहत के लिए बेहद अहम् होता है और आप इसमें निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
एक कविता माँ के नाम—
“माँ सबसे बड़ी डाक्टर”
माँ का आँचल व प्यार से बना सादा सरल खाना,
पर था उसमें बेहद प्यार और परवाह
कोमल भावनाएँ,एक अपनेपन का अहसास
जीवंत लगाव का घुला मीठा-मीठा स्वाद ।
💞❣️💞
तन्मयता से रचा बसा,पकता धीरे-धीरे और
उससे ज़्यादा आत्मीयता का मिला हुआ अनुराग
मठरी और नमकीन, मीठे शक्कर पारे
तो कभी पन्ना का खट्टा-मीठा अन्दाज़।
🌺❣️🌺
कढ़ी चावल में कढ़तीं,कढ़ी की सौंधी महक की चटकार
हींग-जीरे का छौंक और कभी पुदीने की चटनी वाह-हर बार।
रात को गरमा गर्म मलाई डाल,बादाम वाला दूध
तो कभी हल्दी की डली के काढ़े से,भागता बुख़ार।
🌹❣️🌹
हर छोटी बड़ी बीमारी, बहती नाक व बंद हुआ गला
सिरदर्द में सहलाते नाज़ुक हाथों की गरमाहट।
बन नर्स करती देखभाल,तो कैमिस्ट बन देती दवाइयां हर बार
बिन डिग्री के माँ ही थीं, सबसे बड़ी डाक्टर होशियार।
♥️❣️♥️
माँ को कैसे स्वस्थ रखें पर अपने अनुभवों को ब्लॉग में बताने की पुरजोर कोशिश की है और आशा है आप को यह लेख पसंद आएगा।माँ की बेहतर सेहत के कामयाब नुस्खे पढ़िए और माँ के संग अपनाइए।COMMENT BOX आपकी राय का इंतजार करेगा।
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रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।