माँ बाप की सेवा पर शायरी लिखना स्वयं को एक गर्व की अनुभूति कराता है  । ब्रह्मांड का सबसे ख़ूबसूरत रिश्ता माँ बाप का ही होता है । दुनिया जहान में इसका कोई भी दूजा मुक़ाम नहीं होता है।

माँ बाप की सेवा पर शायरी लिखने का सौभाग्य नसीब वालों को ही मिला करता है| होते है दुनिया के सबसे अमीर बादशाह,जिन्हें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

माँ बाप की सेवा से महसूस होती है, बादे-ए -सबा हर वक़्त,आफताब की तपिश में भी महताब की शीतलता रहती हर वक़्त।

(बादे-ए-सबा=सुबह की हवा)

पढ़ना न भूलें

|रिश्तों की मिठास पर प्रेरणादायी शायरी|

 

माँ बाप की सेवा पर शायरी

माँ बाप की सेवा पर शायरी लिखना जैसे अपने प्यार को जताने का सर्वोत्तम तरीका है

माँ बाप की सेवा पर अनमोल वचन।51 दिल से लिखी कविताएँ

1)सेवा भाव है स्वयं में,

एक सुंदर सुसंस्कृत व्यवहार

माँ पापा को दिल से प्रणाम

व प्यार भरा बहुत आभार।

 

 

2)सेवा की भावना माँ बाप के,

पालन पोषण के प्रति दिखाता प्यार 

पूजा पाठ भला क्यूँ मंदिर में,

घर ही है शिवाला,करो मन से जय जयकार।

 

 

3)जीवन की पहली गुरु है माँ

तो दोस्त पहले होते है पापा अपने 

उनके चेहरे पर मुस्कान,

संतुष्टि मिलती ऐसी हासिल की जन्नत हमने।

 

 

4)माँ की ममता व पापा की मेहनत के आगे

होता हूँ सदा ही नतमस्तक

सेवा भावना थोड़ी से भी मेरी,

उन्हें लगता है कि वो ही हैं जग में सबसे ख़ुशक़िस्मत।

 

 

5)दुनिया भर के तमाम कारागार बंद हो गए होते,

ख़ुशहाली होती हर ओर

गुनाह गर क़बूल कर लिया होता माँ बाप के सामने,

माफ़ी मिलती ज़रूर।

 

 

6)माँ पापा की सेवा ही है,

दुनिया का सबसे बड़ा ईनाम

करने वाले को हमेशा है मिलता,

दुनिया में मान-सम्मान।

 

7)कामयाबी को जाँचने का बस

एक ही हो पैमाना

माँ बाप की सेवा के जज़्बे में

कितना है मन दीवाना।

 

8)बातें कर बड़ी बड़ी नहीं बनता,

कोई भी घर स्वर्गाश्रम

माँ बाप की सेवा की होती गर दिल से,

क्यूँ दिखते इतने वृद्धाश्रम।

 

9)ईश्वर को पढ़ा सुना हमेशा,

पर देखा नहीं मैंने कभी

माँ बाप की सेवा में सर झुकाया

ज्यूँ,दर्शन किए तभी।

 

10)सोचती हूँ माँ पापा की ज़िंदगी में,

कैसे ख़ुशी दिखें मुझे इनकी

कोशिश है मेरी अपनी सेवा-भाव से,

उम्र बढ़ा दूँ बेहिसाब उनकी।

 

11)सदाबहार फूलों जैसी माँ बाप की महक,

रहती है घर आँगन में

मैं प्यार से बस हालचाल पूछ लूँ,

वो इतनी ही चाहते है सेवा अपने मनभावन में|

 

12)ज़िंदगी के जिस भी पल में,

हम माँ पापा का दिल दुखा देते है

यक़ीनन कोई सेवा भरपाई नहीं कर पाती,

यूँ मुस्कान ओढ़ें वो रहते है।

 

13)जीवन के दो मज़बूत स्तंभ,

माँ बाप का प्यार-दुलार

सेवा धर्म निभाए सदा मन से,

मिले ज्यूँ अवसर बार बार।

 

14 )पढ़ लें चाहे कितने भी ग्रंथ-शास्त्र,

चाहे वेद या पुराण

मन में जब हो सेवा का भाव,

जीवन सफल करना होगा तब आसान।

 

 

15)कामयाबी हासिल क्या कर ली ज़रा सी,

चाल ही बदल गई

लड़खड़ाए क़दम तो माँ पापा की तस्वीर,

सामने आ दुआ दे गई।

 

 

16)उँगलियाँ पकड़ क़दम दर क़दम,

चलना सिखाया था बचपन में मुझे

आज बारी मेरी है उसी प्यार से,

उनकी सेवा करने की है अब मुझे।

 

 

17)हर बार हर ग़लती पर हमेशा

माँ पिता ने मुझे समझाया

आज सेवा का मौक़ा जो मिला

तो मन मेरा बहुत ही हर्षाया|

 

 

18)हर ज़िद व ख़्वाहिशें पूरी करते है,

माँ पिता बड़े शौक़ से हर बार

सेवा की जो मैंने बस थोड़ी सी ही,

लुटाया प्यार उन्होंने फिर बेशुमार।

 

 

19)झुक के बीमार माँ बाबा के माथे को चूम लिया,

हौले से करने प्यार का इजहार 

नयनों से नीर ऐसे बरसा मानों,

इस पल का था उन्हें भी बरसों से इंतज़ार।

 

 

20)मैंने खुदा से अपने लिए माँगी,

इज़्ज़त व दौलत दोनो एक साथ

या खुदा करिश्मा उसका,

माँ बाप की सेवा का मौक़ा दिया साथ साथ।

 

 

माँ  बाप की सेवा पर सुविचार स्टेटस् व् कोट्स 

 

21)दुश्मन सोच में रहते है कि कैसे बचता हूँ,

हर बार होते हैं जो घात-प्रतिघात

लोग कहते है माँ बाप की सेवा का आशीर्वाद,

रहता है सदा ही जो मेरे पास।

 

 

22)जन्म पर अपने अंश के माँ पिता ख़ुश हो लेते हैं,

हाथों में अपने थाम 

उनके सुकून का कारण बनूँ सदा,

बस यही दुआ करता हूँ प्रभु से सुबह शाम|

 

 

23)अंतिम साँस तक माँ पिता का साथ,

बहुत कम लोगों को नसीब होता है

गर मिले तो ये पूर्वजन्मों के कर्मों का ही,

मिला मीठा फल ही होता है।

 

 

24)यूँ मुझ नास्तिक को देख मंदिर में

रब हुए कुछ हैरान

माँ पापा जल्दी ठीक हुए

मेरी सेवा का प्रभु ने रखा मान।

 

 

25)दर्द की इंतिहा देख माँ बाप की,

सब कुछ बेबस हो बेकार लगता है

सेवा से ईश्वर सुनेगें ज़रूर,

ये सोच रोज़ उनकी सेवा किया करता हूँ।

 

 

26)वो लम्हा दिल को चीर सा रख,

यूँ आँखों में आँसू भरता है

सामने हो माँ बाप बीमार,सेवा कैसे करूँ,

नासमझ सा लगता हूँ।

 

 

27)उन माँ बाप के चेहरे की चमक,

चाँदनी को भी फीका किया करती है

जिनकी संतान  उन्हें मान सम्मान का तोहफ़ा,

सेवा के रूप में दिया करती है।

 

 

28)फ़िक्रें-दुनिया को छोड़ जो,

अपने माँ पिता की फ़िक्र ज़्यादा किया करते है

इंसान तो क्या ख़ुद ईश्वर भी उनसे ख़ुश हो,

हर ख़ुशी उनको ही दिया करते हैं।

 

29)सेवा परमो धर्म बचपन से

घर और स्कूल में सिखाया जाता है

माँ बाप की सेवा को ही ईश्वर प्राप्ति का

सुंदर रास्ता बताया जाता है।

 

 

30)परलोक से ज़्यादा इहलोक के ईश्वर

यानि माँ बाबा पर भरोसा रखता हूँ

उनकी  सेवा से मिलते आशीर्वादों से ज़्यादा,

कुछ और की तमन्ना नहीं रखता हूँ|

 

31)शिक्षा की ऊँचाइयाँ उस दिन लगी हुई पूरी,

माँ पापा ने दिल से दिया था आशीर्वाद

ज़रा सा ध्यान ही तो रखा था उनकी सेवा में,

दुआओं की भरमार से पूरी की सब मुराद।

 

 

  32}सोचता हूँ कि माँ बाप के प्यार का

कैसे उतारूँ इतना बड़ा क़र्ज़

 रब बोले हँस कर,दो घड़ी संग बैठ बतियाया कर,

बस इतना ही निभा लो फ़र्ज़।

 

 

33)जानता हूँ ईश के सामने अच्छे बुरे का हिसाब

सलामे-आख़िर में लिया जाएगा

माँ पापा भी तो होंगे वहीं,

प्यार की वर्षा का आनंद वहाँ भी लिया जाएगा।

(सलामे-आख़िर=आखिरी वक्त )

 

 

34)अतिथि देवों भव वाले देश में नहीं अच्छे लगते,

ये खुलते रोज़ के वृद्धाश्रम

माँ बाप की सेवा से नहीं बचूँगा,

घर को ही बनाऊँगा सुंदर सा स्वर्गाश्रम।

 

 

35)माँ बाबा की कर सेवा मिलता जो सुकून,

ब्यां किया नहीं जा सकता 

ये तो वो नज़राने है जिन पर सिर्फ़ खुदा की इनायत है,

इसे नकारा नहीं जा सकता।

 

 

माता पिता पर बेहतरीन शायरी 

 

37)इबरात सी चर्चा-ए-आम हो जाएगी शहर भर में

ये ख़बर,मालूम न था

जन्नत समझ लिया घर मेरा,

माँ बाबा की दिल से की सेवा से,मालूम न था।

(इबरात=एक ऐसी घटना जिसकी चर्चा हो)

 

 

38)हरीफ भी मेरे इस तरह हार मान लेंगे

मुझ से,हूँ बेहद हैरान

सजदा किया झुकके मुझे,बोले माँ बाप की सेवा में

अव्वल है तुम्हारा नाम।

(हरीफ=दुश्मन)

 

 

39)जीवन भर अपने महल बाग़ बगीचों से ही न दिखाना,

अपना रुतबा और रसूख़

माँ बाप की सेवा के समय देना सहारा उन्हें,

न करें वो महसूस ख़ुद को मंसूख।

(मंसूख=परित्यकत)

 

40)माँ बाप की सेवा का समय है मेरे लिए तो,

मेरी असली बंदगी

ये दुनिया भर की रस्मों रिवाज से नहीं वास्ता,

क्यूँकि नहीं  करता कोई रिंदगी।

(रिंदगी=पाप)

 

 

41)बीमार मेरे होने पर माँ के नज़र उतारने पर

पापा हँस दिया करते थे

अंदर से वो इस प्यार को इस रूप में देख कर

,ख़ुश भी ख़ूब हुआ करते थे।

कोशिश मेरी भी जारी है कि माँ पापा की नज़र

उतार दूँ  वैसे ही

सेवा करना मान अपना सर्वोच्च धर्म,

कुछ इस तरीक़े से नज़र उतार दी वैसे ही|

 

 

42)लोग जाते है पूजा करने दिन रात,

फिर भी दिखते है सदा उदास

मुझे मारते है ताना क्यूँ खपाते हो ख़ुद को,

माँ बाप की सेवा में बेहिसाब

अरे! कैसे बताऊँ तुम सबको,

कितने नाफ़हम हो फिरते हो क्यूँ इधर उधर.कोई शक 

माँ बाप है सुंदर स्वरूप ईश्वर के,

उनकी सेवा ही है असली पूजा पाठ बेशक| 

(नाफ़हम=नासमझ।)

 

 

43)ओराक़-ए-शजर में रहें सब्ज़ से मेरे माँ बाबा,

है बस इतनी सी आरज़ू

हसरतें उनकी पूरी कर पाऊँ,

दरीचों को न्यौता दिया आ बसें,है मेरी जूँस्तज़ू

कंपकँपाते हाथों में लाठी सा सहारा रहूँ बन के,

उनके सदा ही पास

यही है मेरा अन्दाज़ उनकी सेवा करने का

और करूँ ढेरों उनसे गुफ़्तगू।

(ओराक़-ए-शजर=पेड़ के पत्ते|सब्ज़=हरे भरे|)

 

 

44)आतिश-फ़िशाँ सी हो जब ज़िंदगी,

धैर्य का आभूषण पहन लिया करो

ज़माना हो जाए जब ख़िलाफ़,

अच्छे कर्मों की गिनती बढ़ा दिया करो

माँ बाबा की सेवा को ही मान लिया अपना सर्वोच्च कर्म,

ऐसे ही सोचता हूँ अक्सर

ईश्वर की इनायत है ये मुझ पर,

ये भी कभी हँस कर मान लिया करो।

(आतिश-फ़िशाँ=ज्वालामुखी)

 

 

45)तर्ज़े-तकल्लुम सिखाया बड़ी नफ़ासत से आपने,

मानते है ये बात

बातरन्नुम गाई जाती है कर लयबद्ध,सुरों की

अहसासे-ग़ज़ल जानते है जज़्बात

माँ बाप की सेवा हर धर्म में बताई जाती है,

करना सदा ही दिल से

न छोड़ना मँझधार में,क्यूँकि फल मिलेगा कर्मों का

कहते जिसे ज़िन्दगी की किताब|

(तर्ज़े-तकल्लुम=बातचीत का तरीका )

 

 

46)पूरफूँसूं-लम्हे बन जाते है मेरे,

जब बैठता हूँ वालदियात के पास

सेवा का अवसर भला क्यूँ छोड़ूँ

,मिलते न जाने कितने आशीर्वाद

गुम़ा अपनी तक़दीर का भी हो जाता है यूँ मुझे,

सुनो हे ईश्वर!मेरे 

ख़ुशनसीब हूँ मौक़ा दिया बंदगी का,

बस ऐसे ही रखना मुझ पर अपना हाथ।

(पूरफूँसूं लम्हे=जादुई पल| वालदियात=माता पिता|) 

 

 

47}क्या कहूँ कैसे कहूँ और किससे कहूँ,

हूँ कितना क़िस्मत वाला

माँ पापा करते बहुत प्यार,लाडला बेटा

जो ठहरा उनका दिलवाला

उनकी सेवा करना है मेरा धर्म,

यही है मेरा कर्तव्य सदा निभाऊँगा

मैं उन्हें और वो मुझे यानि हम,

समझते साथ है हम सब का मतवाला।

 

 

48)माँ पापा है मेरे सबसे जुदा,

बस सिलसिला बना रहे सुनो न भगवान

हर जन्म में संग साथ यूँही बने हमारे बीच,

यही एक दूजे के लिए सम्मान 

मुआफ़िक होगा मिले मुझे सेवा करने का,

सुनहरी मौक़ा हर बार

ग़मनाक है मेरे माँ बाबा,बस निभा पाऊँ सारी जिम्मेदारी

पूरे हो शम्माए-अरमान।

(ग़मनाक=गम दूर करने वाले| शम्माए-अरमान=दिल के अरमान|)

 

 

49)जीवन में हो जब तमस गहरा,

जुगनू बन माँ बाबा आ जाते है

कर मन को मेरे शांत फिर प्यार से,

समस्या से जूझना सिखाते है

ज़िंदगी है चार दिन की,सुनता आया हूँ

पर न हो जाए इतनी भी छोटी

अपने फ़र्ज़ को दिल से निभाने की रस्म,

सेवा हो मन से ये बताते है।

 

 

50)दिले-बेकल ठहर ज़रा,

माँ पापा की सेवा का मौक़ा आया है

जो न ज़ुबा पे भी लाते थे,

अपनी परेशानी कभी भी अब तलक

लाडली हूँ उनकी ही बस,

उनकी आँखों में चुपचाप पढ़ आयी हूँ

हे रब जी साथ रहना मेरे,

लम्बी उम्र की दुआ नहीं तो करूँगी तब तलक।

 

 

51)दुनिया की सबसे ख़ुशनसीब बेटी,

मैं ही बनना चाहती हूँ 

माँ बाप की सेवा की सबसे बड़ी मिसाल देना,

मैं ही चाहती हूँ

सज्द-ओ-इबादत करती हूँ शबो-रोज़,

खुदा के सामने झुका सिर अपना

बेटियों से चंदन से महका करते है घर आँगन,

ये ऐलान सरे-आम जताना चाहती हूँ।

(सज्द-ओ-इबादत=प्रार्थना करना|)

माँ बाप की सेवा पर शायरी या कविताएँ  लिखना व् उस अहसास को महसूस करना निसंदेह एक प्यार भरा भाव और  हमारा परम  कर्तव्य भी है|आप भी इस बात से सहमत है न!माँ बाप ही हमारे जीवित भगवान है| प्यार से सेवा कीजिये| Maa-Baap Emotional Shayri In Hindi पढना न भूलिए|

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