रिश्तों की कदर पर शायरी मतलब जीवन के हर उस पन्नें की कहानी है जिसमें अनेक रिश्तों के नाम के किरदार रहते हैं| यदि हमारी जिन्दगी में रिश्तें ही नहीं हैं तो फिर बचता क्या है?

रिश्तों की कदर पर लिखना अपने आप में एक बहुत सुंदर अनुभव है|रिश्तों पर शायरी को मिलकर पढ़ते हैं और मुरझाये रिश्तों में सरसता गढ़ते हैं|

पढ़िए जरुर

|रिश्तें निभाने पर अनमोल शायरी| 

रिश्तों की कदर पर शायरी

रिश्तों की कदर पर शायरी की बात,बन जाएँ जीवन में हर पल खासमखास

रिश्तों की कदर पर शायरी वाली कविताएँ| 71 प्यार भरी रचनाएँ 

1)रिश्तों की कदर जो करना,

अपने आप से सीख गया

जन्नत की जरूरत फिर कहाँ,

सब कुछ जो यहीं मिल गया| 

 

2)रिश्तों की कदर में ही,

जीवन का सुख बसता  है 

वर्ना होते हुए सब कुछ,

अच्छा कहाँ फिर लगता है|

 

3)रूठे गर जो कोई रिश्तों में,

बढ़ कर गले लगा मना लीजिये 

कीमती माला के मानिंद इन मोतियों को,

प्यार से सजा लीजिये|

4)सिर झुका कर मैनें अपनों को,

जुदा न होने दिया

 इन के बिना गर जिया भी,

तो क्या खाक फिर जिया| 

 

5)चोट तो गहरी थी,

दिल भी घायल हुआ था 

रिश्तों ने ही पर संभाल भी,

मुझे बखूबी लिया था|

 

6)समझ रिश्तों को निभाने की,

अक्सर देर से है आती 

पर देर आए दुरस्त आए,

बात सही भी कर है जाती|

 

7)आँखों में नमी थी घर से,

रूठ कर चला था जब

माँ की याद ने पैरों के रुख को,

वहीँ रोक लिया तब| 

 

8)रिश्तों की कदर हम जब-जब,

यूहीं भूल है जाते 

जीवन के अनुभव बन विपत्ति,

आके याद है दिलातें|

 

9)बचपन से अपनों का कहना मानना था,

आदत में शुमार 

ख़ुशी या गम दोनों में अपनें ही याद आए,

बाँटने को बेशुमार|

 

10)रिश्तों की कदर करना,

माँ पापा ने सिखाया था 

पर फायदा बेवजह न उठाये,

कोई ये भी बताया था|

 

11)अपना कहने से गर रिश्तें कहलाये,

तो क्या बात हुई 

मुसीबत में संग चुपचाप खड़े हो जाए,

ये बड़ी बात हुई|

 

12)जरूरत हो और कहना पड़े,

वो रिश्तें नहीं हो सकते 

महसूस जो रूह को कर लें खुद,

रिश्तें वो कभी नहीं टूटते|

 

13)रिश्तों में हलकी सी भी चोट,

बड़ा घाव दिल पर दे जाती है 

बात जुबां से निकले बस पहले तौल लें,

ये वापिस नहीं आती है|

 

14)दिखावा कुछ बढ़ गया है,

जीवन में इस कदर 

असली रिश्तों की पहचान करना भी,

हो गया मयस्सर| 

 

15)ऊँगली पकड़ जो सिखाते है,

जीवन पथ पर चलना 

हे ईश्वर! सद्बुद्धि देना सदा,

उनको सुख दे सकूँ और चैना|

 

रिश्तों की कदर पर प्रेरक कविताएँ

 

16)रामायण कंठस्थ रहना चाहिए,

गर निभाने है रिश्तें 

इससे सुंदर परिवार की परिभाषा में,

क्या होंगे रिश्तें|

 

17)कलयुगी ज़माने में बिखरें है,

सब रिश्तें नाते 

आँखें दिखाते उन्हें,

सुगम  बनाये जो सारे रास्ते|

 

18)रिश्तों की कदर,

हमेशा जी जान से करिए

 खाता है ऐसा बेमिसाल,

प्यार से भरते रहिए| 

 

19)रिश्तें होते जहाँ मजबूत,

फिर क्या डरना  

आंधी तूफ़ान भी आए तो,

चिंता भी क्या करना| 

 

20)जीवन में  दिल हो जब भी,

उदास या परेशां 

रिश्तों में है इतनी ताकत,

हर बीमारी का होता इलाज|

 

21)सपनों को एक नयी दिशा,

ऐसे दिखाते हैं

ये रिश्तें ही तो है जो हर पल,

साथ निभाते हैं| 

 

22)अधखुली आँखों की भाषा को,

खुद से पढ़ लेते हैं 

ये रिश्तें होते ही ऐसे है,

जो बिन कहे सब समझ लेते हैं|

 

23)माँ से जिस दिन ऊँची आवाज़ में,

बात गर हो गई 

हासिल कुछ भी कोई कर ले,

पर उसकी कदर भी गई|

 

24)जब कोई दिल से,

किसी की कदर किया करता है

बिन गुलाबों के खुशबू, का अहसास,

सच में हुआ करता है|

 

25)मुरझाये चेहरे पर आजकल,

ताजगी नज़र खूब आने लगी है 

देर से ही सही,जरुर उसको रिश्तों की कदर

समझ आने लगी है|

 

26)रिश्तों की कदर में सब्र का,

होना जरुरी है 

तोड़ना नहीं निभाने की रस्म का,

होना जरुरी है|

 

27)बिन रिश्तों के जीना,

जैसे मानिंद हो खानाबदोश

महफ़िल विहीन दिखते घर,

देते रहते है किस्मत को दोष|  

 

28)ख़ुशी के पल होते बहुत कीमती,

सदा संभाले रखिएगा 

रिश्तों की जादूगिरी के नए जादू से,

खिलखिलाते रहिएगा| 

 

29)रिश्तें मिलते जन्म से,

जीवन पर्यन्त बने रहने चाहिए 

गर रूठे कोई अपना आगे बढ़ कर

गले लगा लेना चाहिए|

 

30)रिश्तों में आए जो खट्टास,

थोडा धैर्य अपनाना होगा 

आवाज़ लगे जब उस ओर से,

माफ़ कर आगे बढ़ना होगा|

 

रिश्तों की कदर पर अनमोल वचन

 

31)धन दौलत जब सिर चढ़ कर,

बोलने लगे रिश्तों में 

कुछ समय एक छोटी सी दूरी,

पास में लाती रिश्तों में|

 

32)अच्छाई का क्रेडिट कार्ड,

मिल जाता है उसे खुदबखुद

रिश्तों में जिसने वक्त और सम्मान दिखाया,

वक्त बेवक्त| 

 

33)रिश्तों को निभाने में की,

जिसने भी फिक्र 

हर लम्हा सुकून का,

अधरों पर होता उसका जिक्र|

 

34)रिश्तों की करें न जो कदर,

इन्सान क्या वो कहलायेगा 

जीवन में जब जरूरत होगी अपनों की,

अकेला खुद को पायेगा|

 

35)ये सच है कि चाल ज़माने की,

रुतबे को देखती है 

रुतबे तक पहुचनें के लिए,

पर अपनों की जरूरत होती है|

 

36)मन के गुस्से पर काबू,

जिसने कर लिया 

रिश्तों को निभाने का हुनर भी,

उसने सीख लिया|

 

37)उम्मीद कई बार जब ज्यादा,

रिश्तों में लगा लेते है 

बेमतलब बेवजह एक अनचाही दूरी,

खुद ही बना देते है|

 

38)मनमुटाव रिश्तों में होना,

तो लाजिमी है 

एक मुस्कान से ठीक करना भी,

जरुरी है|

 

39)दिल की चोट को,

खुद ही सहला दिया 

रिश्तें जरुरी थे इस तरह,

टूटने से बचा लिया|

 

40)हर बार हम ही ठीक हों,

यह कैसे हो सकता है 

सोच में हलके बदलाव से,

 

सब कुछ बदल सकता है|

 

41)उन रिश्तों की खूबसूरती को,अल्फाजों में  क्या कहिए 

बिन शब्दों के जो हो महसूस,

बस सलामती की दुआ करिए| 

 

42)रिश्तों की कदर करे कैसे,

बखूबी जानते हैं 

पर कोई जिद पर आ जाए,

तो निकलना भी जानते हैं|

 

43)दुनिया के ऐशोआराम है पर,

कसक कुछ गर चुभती है 

टटोल कर देखने की तभी,

सख्त जरूरत भी हुआ करती है|

 

44)माँ की सीख थी,

सरल सहजता से दिल जीत लेना चाहिए 

रिश्तों में कभी कभी,

एक महीन पर्देदारी भी बना लेनी चाहिए|

 

45)रिश्तों में जब बड़ों को आदर व्

छोटों को प्यार मिलता है 

ज़माने भर से लड़ने का सारा हौसला भी,

यहीं से ही  मिलता है|

 

रिश्तों वाली शायरी

 

46) बुरे वक्त में दिया साथ,

इन्सान नहीं भूलता कभी 

जो जाता भूल वो रिश्तों की कदर,

नहीं करता कभी|

 

47) ख़राब वक्त था मेरा,

साथ के कंधें पर सिर मेरा 

जीवन ने एक सही रिश्तें को मिलाया,

कुछ इस तरह|

 

48)उस पीत वर्ण के ख़त में,

ऐसा कुछ जादू था 

शब्द साफ नहीं थे,

अहसास मगर अब तक था|

 

49)बरसों बाद पुराने रिश्तों से,

मुलाकात हुई 

बात वहीँ से छिड़ी,

जहाँ से पहले थी कही हुई|

 

50)मुंडेर पर ढलकी सी धूप,

अपनों की याद दिला गई 

शाम को गली में खेलने की वो बात,

जवां फिर बना गई|

 

51)समय समय पर रिश्तों को,

जब भी परखा 

पहले से ज्यादा उन्हें मैंने फिर,

दिल से समझा|

 

52)मिलने मिलाने का सिलसिला,

जारी रखा करिए 

रिश्तों में आपसी समझदारी को भी,

बनाये रखिए|

 

53)रिश्तों में रूबरू होंगे,

ऐसा दिल ने सोचा है 

आत्मीयता बनी रहें,

गुफ्तगू करने का मौका हैं| 

 

54)चाहे हालात जैसे भी,

जीवन में मेरे आए 

रिश्तों पर आंच पर,

किसी भी तरह न आएं| 

 

55)यह जीवन अपना कुर्बान कर दूँ,

उन रिश्तों के नाम

जिन्होंने रिश्तों की कदर बताई,

नसीहत दी सुबहोशाम|

 

56)गमें-पिन्हाँ गर करता परेशां,

जो यूँ बार बार

झांक कर देखें रिश्तों में,

कहाँ आ गयी है दरार| 

(गमें-पिन्हाँ=छिपा हुआ दुःख)

 

57)दामो-दिरहम से रिश्तों की कीमत,

नहीं लग सकती 

सवेंदनशील है ये,

दिल के टुकड़ों में बंट भी नहीं सकती

करतबे-साहिरी का वजूद रखते है,

रिश्तें सदा हर पल 

सलामे-आखिर तक साथ देते है,

यूँ ऐसे ही नहीं छोड़ सकते| 

(दामो-दिरहम=रूपये-पैसे|करतबे-साहिरी=जादू का खेल)

 

58)ऊँचे विशाल दरख्त भी,कई मर्तबा सूख जाते हैं

जड़ों को जो पानी देना वक्त पर, अगर भूल जाते हैं 

प्यार ममता की देखभाल, सभी रिश्तों में होती है जरुरी 

सब्ज पत्ते भी बिन ख्याल के,समय से पहले टूट जाते हैं| 

(सब्ज=हरे-भरे)

 

59)आईना-मिजाज दिल है मेरा,घबरा सा जाता है 

अपनों की दूरी की बात से ही,परेशां सा हो जाता है 

कैसे रह सकती है साँस,शरीर से जुदा होकर कभी

बस सोच इन्हीं ख़यालातों से,चेहरा मुरझा सा जाता है| 

 

60)तर्जे-तकल्लुम हैं अहम हिस्सा, रिश्तें निभाने में 

कड़वे बोल अच्छे से अच्छे रिश्तों को, बिगाड़ देते हैं 

अतीत के पुलिंदों को, गठरी में ही बंधें रहने दीजिये 

खुलने पर रिश्तें बमुश्किल ही, बस संभल पाते हैं|

(तर्जे-तकल्लुम=बातचीत का ढंग)

 

रिश्तों की कदर पर बेहतरीन कविताएँ

 

61)रिश्तों की कदर शम्माए-अरमान बने, तो बहुत अच्छा है 

पुरफुसुं-लम्हों को वीरानी में बदलने में, देर नहीं लगा करती 

फिजाओं में महकती हवाओं की खुशबू,भाती है दिल को सबके 

पर प्रयासों की पहल हर तरफ से,ऐसी सोच सबकी हुआ नहीं करती|

 

62)अब्र से निकल कर चंद्रमा, मुखातिब हुआ हमसे 

हंसी की गूंज पहुँच  गयी फलक पर, खुद ही जब से

बज्मे -इश्रत जैसे दृश्य हुए है, ईद के चाँद की मानिंद 

रिश्तों की सुखद सुकून को, महसूस किया हमने तब से| 

(बज्मे -इश्रत=प्रेम की महफ़िल)

 

63)रुई के फाहे सा खरगोशनुमा दिल है,नाजुक हमारा

बिन अपनों को पास न देख,बेचैन होता हर पल बेचारा 

बहार-ए-बे-खिजा सा जीवन लगने लगा,एक पल में सारा 

रिश्तों के बिना व्यर्थ है जीवन,माजरा समझ गया हृदय हमारा|

 

64)तन्हाई का मात्र अहसास ही, हमें यूँ रुला गया 

मुसलसल दिल भी घबरा कर, धडकनें यूँ बढ़ा गया 

उसी बीच रौनके-गुलशन का नज़ारा, जो नजर आया

अपनों ने आकर दिले-बेसुकूं को,सुकून से मिलवाया| 

 

65)यकायक यूँ कल रात में, एक ख्वाब दबे पांव आया

नींद की खुमारी के बीच, खुद को ही तन्हा हमने पाया

शबे-शादाब ने आकर, उमीदे-आशियाँ फिर ऐसे जगाया

आँख खुलने पर अपनों के, नूरे-हसीं चेहरों को जो पाया|  

 

66)एक छोटी सी दिल से कही गयी बात 

उम्र भर की याद बन जाती है 

समय का काल चक्र घूमता भले ही रहे 

रिश्तों की गरमाहट महसूस होती रहती है|

 

67)न हाले-दिल पूछ मेरी तबियत का

अपनों के बिना महफ़िल में भी,तन्हा दिखता  हूँ 

अपनों से दूर रह  बेबसी सी,महसूस होती है

असली दौलत है रिश्तें,खुद को संजोये करता हूँ| 

 

68)रिश्तों को शाइस्तगी से, निभाने का हुनर आना चाहिए 

ऊँचाइयों पर भी लेकिन घर का आँगन, पसंद आना चाहिए  

चूल्हे की रोटी की मिठास, नहीं ला सकते मंहगे होटल भी

पैरों को हर हाल जमीं पर टिकाने का,इरादा अटल होना चाहिए|  

(शाइस्तगी=विनम्रता)

 

69)उम्मीद-ए-शोरदा रखना, नहीं कोई बहुत अच्छी बात 

खुद आगे बढ़ घर-परिवार के खेवनहार बने,है सही बात 

रिश्तों को किसी तराजू में नहीं कभी भी तोलना चाहिए

जो बन पड़े खुद से सबके लिए करें,वो बस फर्ज समझना चाहिए|

 

70)जीवन के पाठ्यक्रम में,सबसे पहला पाठ यही होगा 

रिश्तों की खूबसूरती को समझाने का, हर प्रयत्न उसमे होगा 

सुन ऐ-मेरे बेकल दिल,अव्वल मुझे इसी में आना होगा जरुर 

मेर घरवाले मेरे कार्यों से हो प्रसन्न संतुष्ट,पर न बनू कभी मगरूर|

 

71)रिश्तों की कदर जिसने की,दिल से ईश्वर को पा लिया

धरा पर भेजने के मकसद को,उस रब के पूरा उसने  किया

करिश्मा-ए-कुदरत है या महज एक इत्तिफाक, नहीं जानते हम 

हर जन्म-जन्मान्तर मिलें इन रिश्तों का हसीं साथ,दुआ करते हम|

रिश्तों की कदर पर शायरी लिखना मानों स्वयं से स्वयं का साक्षात्कार होने के अनुभव जैसा है| जीवन में हर रिश्तें की अपनी अहमियत है जिसे पूरी शिद्दत से निभाना चाहिए|रिश्तों पर शेरो-ओ-शायरी को पढ़िए जरुर|

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