रिश्तों के अपनेपन पर शायरी,सच तो यह है कि हर कोई अपनापन चाहता तो है पर इसे जताने,बताने और गहराई से महसूस करने का वक्त किसी के पास नहीं हैं।

जीवन एक बसंत की तरह बीते,इसके लिए थोड़ा समय दीजिए ख़ुद को,अपनों को और उनके लिए प्यार भरे अपनेपन को ताकि जीवन का सफ़र सुहाना बने और हर पल महका हुआ लगे।

जरुर पढ़िए

|रिश्तों की मिठास से भरपूर शायरी|

रिश्तों के अपनेपन पर शायरी

रिश्तों के अपनेपन पर शायरी की हो जब बात,प्यार भरे निकलते हैं सुंदर जज़्बात

संबंधों पर रचनाएँ| 63 दिलकश कविताएँ

1)यूं निःशब्द उसकी ज़ुबा थी

पर बहुत अपनेपन से भरी थी।

 

2)उसकी बातों में,एक अपनापन था

क्या है ग़ज़ब बात,एक निरालापन था।

 

3)जिनमें  एक अपनापन,हुआ करता है

साथ उनका कुछ ख़ास,हुआ करता है।

 

4)उदास मन हो तो मधुर राग,तुम गा देना

टूटा हो विश्वास तो अपनापन,दिखा देना।

 

5)अपनेपन एक अलग सी तो,कुछ बात रहती है

पल-पल मिलने की,उनसे ही तलब रहती है।

 

6)कड़वी बोली अखर सी जाती है,कभी कभी

अपनापन मगर लिए होते है,दिल से वो सभी।

 

7)जानते समझते हुए भी,किनारा कर लेते है

ताउम्र जो अपने होने का दावा,किया करते है।

 

8)अपनों व परायों में,सिर्फ़ वक्त फ़र्क दिखाता है

दुख भी ज़रूरत की अहमियत,खूब बताता है।

 

9)नये सपनों और नयी डगर को,अपनाना होगा

अपनों में भी कौन है अपना,पहचानना होगा।

 

10)ज़िंदगी तेरे फैसलों से,निराश नहीं है हम

अच्छा हुआ अपनों को,पहचान सकें हम|

 

11)बड़बोलेपन की ही,उसकी पहचान बनी हुई थी

वक्त ने साबित किया,कि ठीक ही बनी हुई थी।

 

अपनेपन का अहसास कराती शायरी

 

12)काँधे पर हैौले सा उसका स्पर्श,कुछ ख़ास था

उसके दिल में मेरे लिये अपनापन,लिए आस था।

 

13)यूँ महफ़िले-शौक़ से,उठ कर हम जाने लगे थे

अपनेपन की निगाहों ने,कदम वहीं रोक लिए थे।

 

14)दिलासे देते रहते है दिल को,अपने हैं न संग

वक्त ने आईना दिखा,बताया सपनें हुए बेरंग।

 

15)अपनेपन की ख़ुशबू ,जब शब्दों में ढल जाए

जीवन का सफ़र ओर भी,सुहाना नज़र आए।

 

16)एक साथ अपना सा हो,उम्मीदों की दौलत लिए

ख़ुशनसीब बहुत होते हैं वो,फ़ौलादी जिगर लिए।

 

17)यह अपनों का अपनापन ही हुआ करता है

वक्त बेवक्त संग में साथ खड़ा हुआ दिखता है|

 

18)चेहरे पर एक आत्म-विश्वास,उनमें झलकता है

जो अपनेपन की दौलत के,संग-साथ चलता है।

 

19)मेरे हैं वो सबसे ज़्यादा क़रीब,दावा किया था ऐसा

मुझे वो नज़र ही नहीं आए,मौक़ा दिया भी था वैसा।

 

20)दर्दे दिल को जत्न करके,चाहा था बहुत छुपाना

अपनेपन की गर्मी से, एक पल में देखा पिघलना।

 

21)काश!कुछ ऐसा तरीक़ा दुनिया में ईजाद हो जाए

मन में जिनके खोट हो बसा,जगज़ाहिर हो जाए।

 

22)हृदय हो जब व्यथित और करे अंतर्मन क्रंदन

अपनेपन के दो मीठे शब्द,करेंगे आपका वंदन।

 

अपनेपन को ब्या करती शायरी

 

23)बोलने काअंदाज़ क्या खूब अपनापन बता देता है

गैर अपने और अपनों के गैर होने का अंदेशा दिखा देता है

 

24)मुझे वसीयत में महल-हीरे-जवाहरात,नहीं चाहिए

मुझे बिन कहे समझ लें,ऐसे अपनों का साथ चाहिए।

 

25) अपनापन जो उसने,हमेशा बढ़ चढ़ कर दिखाया था

वक्त की तराज़ू पर,साबित ग़लत फिर ठहराया था।

 

26)अपनापन कभी कह कर,जताया नहीं जाता

दिल से महसूस होता है,बताया नहीं जाता।

 

27)बिन कहे भी अपनेपनका अहसास नज़र आता है

लबों पर हमारी फ़िक्र,करने का अंदाज़ साफ़ नज़र आता है|

 

28)उसका अपनापन सरे-आम,चर्चा-ए-आम हो गया

सही सबने ठहराया,मगर ऐन मौक़े पर धोखा दे गया।

 

29)लोग बहुत प्रैक्टिकल अब होते जा रहे हैं

अपनापन भी, फ़ायदा देख कर ही दिखा रहे हैं।

 

30)हर किसी को मधुर राग सा,सुरों का साथ चाहिए

प्रीत से रंगा,अपनेपन से भरा दिल का उपहार चाहिए।

 

31)भौतिकता की चकाचौंध में,व्यस्त इतने हैं हो गए

अपनों से बतियाना भूल,अपने में मशगूल हैं हो गए।

 

32)दिल के दर्द को इलाज,सिर्फ़ इतना ही तो चाहिए

दवा है अपनापन,दिखा दें जरा,और फिर क्या  चाहिए।

 

33)अपनेपन की आड़ में,साज़िशें भी खूब रची जाती है

पर नाकाम होती सब,ख़ुदा की इनायत तब बचाती हैं।

 

अपनों के अपनेपन पर स्टेटस्

 

34)रिश्तों से परे भावनाओं के बंधन में,बांधा है तुम्हें

मान-मनुहार और अपनेपन की डोर से,बांधा है तुम्हें।

 

35)थोड़ी सी नोंक-झोंक,थोड़ा अपनापन ही तो माँगा था

छोटी सी ज़िंदगानी में थोड़ा सा ही,सब कुछ माँगा था।

 

36)वो उसका अपनापन ही था,जीवन की सौग़ात सा

ग़मे-हयात को भी साथ दे,बनाया लुत्फ़े-हयात सा।

 

37)दुनिया भर की भाषाओं का ज्ञान,बहुत सीखा है सबने

दिल के अपनेपन को पढ़ने में, कहीं न कहीं चुके सबके सपनें।

 

38)सार्थक परिवर्तन के लिए,समय तो निकालना ही होगा

बचपन से बच्चे में अपनेपन का, प्यारा बीज बोना ही होगा।

 

39)जीवन में एक नया जोश और उमंग,स्वयं भर जाता है

कोई प्यार से आप में,जब अपना विश्वास दिखाता है।

 

40)गाँव की गलियों में,फिर लौट जाने को दिल चाहता है

अपनापन किसे कहते है,ढूँढने कहीं नहीं जाना होता है।

 

41)रिश्तों की डोर होती है बहुत नाज़ुक,थामे रखा कीजिए

दिल के अपनेपन से भी मज़बूती से,सम्भाल रखिए।

 

42)अपनापन ग़र साथ हो अपनों का,और क्या जीवन में चाहिए

कर लेंगे मुक़ाबला तूफ़ा का,हौंसला और क्या चाहिए।

 

43)नयनों से शिकायत नहीं करेंगे किसी से,सोचा था हमने

जादू था उस अपनेपन में,सब्र का बाँध रोके ना रुका हमसे।

 

44)ज़रूरत के हिसाब से ही अब तो,दुआ सलाम होती है

चिंता में अपनों के,रात स्याह अब कहाँ किसकी होती है।

 

अपनेपन का मधुर अहसास जगाती रचनाएँ

 

45)दौरे-ख़िज़ाँ में भी दिखता बसंत,

हाल चाल पूछ ले कोई अगर

ये बेरुख़ी के मौसम अब रोज़ रोज़,

इतने आम से क्यूँ है आख़िर।

 

46)न जाने क्यूँ आँखों से आंसू,

बेहिचक उमड़ जाते हैं

उसकी शख़्सयित के अपनेपन में,

कुछ छिपा नहीं पाते हैं।

 

47)धन दौलत से बढ़ कर,

कहीं ज़्यादा अपनापन हुआ करता है

दुख में काँधे पर जिसका स्पर्श,

तसल्ली दिया करता है।

 

48लड़ाई अपनों से थी,

दिल चोट चोटिल था पर हारना मंज़ूर किया था

क्योंकि वक्त-बेवक्त साथ उसने ने भी,

शिद्दत से निभाया था।

 

49)दिल ने अपनापन दिखा,

बीज आस का किया ऐसा प्रज्वलित

हृदय झूम उठा ख़ुशी से,

हुआ तन-मन फिर उमंग से तरंगित।

 

50)भरी भीड़ में उसका व्यक्तित्व

,बिलकुल जुदा नज़र आया

सब सजे-धजे थे पर अपनापन,

उसने ही आ कर दिखाया।

 

51)टूटे हुए हृदय को अपनेपन का,

मधुर स्वर जोड़ देता है

भावपूर्ण अभिव्यक्ति माहौल को,

ख़ुशनुमा कर देता है।

 

 

52)हर मौके पर तारीफ़ों के ही शब्द,

जो सदा बोला करते हैं

समय पड़ने पर अक्सर,

किनारा कर लिया करते हैं।

 

53)न दिखाना झूठा अपनापन,

ग़र ना माने आपका मन

गुनाह ही साबित होगा,

उसके दरबार में एक न एक दिन।

 

54)अपनापन है जिसमें कुदरती,

वो सबसे नायाब रिश्ते ही निभाएगा

नेमत है मिली जिसे परवरिश में,

वक्त पर वही साथ आएगा ।

 

55)अब नहीं दिखते अपनेपन के वो नायब,

दिल को छूते हुए अहसास

ख़ाना पूर्ति करते है सलामे-आख़िर में भी,

दिखा नक़ली जज़्बात।

 

अपनेपन पर Best कोट्स

 

56)मन की सरिता हो विमुख,

स्थिर सी यूँही कई बार हो जाती है

अपनेपन की हो उम्मीद जहां,

वहाँ देख चालाकी सन्न सी रह जाती है।

 

57)तेज बारिश की बूँदों का सहारा लिया था,

आंसू छिपाने के लिए

हिम्मत की छतरी और अपनेपन की सवारी

रहगुज़र  बन के लिए।

 

58)वर्चुअल हुई है दुनिया आजकल,

फॉलोवर की लंबी फ़ेहरिस्त है

ज़रूरत पड़ने पर बिज़ी हैं कह,

राह दूजी पकड़ने की जल्दी बहुत है।

 

59)क़द काठी हो चाहे छोटी,

विशाल हृदय चाहिए

अपनापन जताना पड़े कभी,

ऐसा तो नहीं होना चाहिए।

 

60)ख्वाहिशें मुलाक़ात का दौर भी,

हसीं ज़्यादा हो जाता है

अपनेपन की ख़ुशबू-ए-रूह,

जहाँ स्वाभाविक रूप से नज़र आता है।

 

61)नासाज़ तबियत ओर भी हो जाती है,

संजीदा और ख़राब

अपनेपन की आड़ में साज़िशें,

दिखती जब साफ़-साफ़।

 

62)भरी महफ़िल में सबसे अमीर बादशाह,

परिचय के मोहताज नहीं होते

तर्ज़ए-तकल्लुम के उनके अन्दाज़ भी

बहुत अलग से हुआ है करते।

 

63)संगीत मय स्वर लहरी से हो उठते,

दिल में भाव अनेक सुंदर हर बार

एक अपनापन ही तो होता है,

शम्माए-अरमान बनाता बारंबार।

रिश्तों के अपनेपन पर शायरी पर 63 दिल के कोमल अहसास जगाती और अपनापन छलकाती हृदय स्पर्शी कविताएँ लिखी हैं|पढियेगा और अपनी राय भी COMMENT BOX में लिखियेगा जरुर|