ससुराल मायका शायरी में एक बेटी,एक बहू,एक सास और एक महिला के रूप में जिन्दगी के अनुभवों को कविताओं में ढालने का प्रयास किया है| मुझे पूरी आशा है कि ये रचनाएँ आप के दिल को छू लेंगी|
ससुराल और मायके में ही गुजरती,जिन्दगी यह सारी,जीवन के खट्टे तो कभी मीठे अनुभव महसूस करे हर नारी| चलिए मिल कर पढ़ते है|
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ससुराल मायका शायरी यानि हर नारी के जीवन की गाथा कहती सारी
Best ससुराल मायके पर कविताएँ | 51 उम्दा दिलकश रचनाएँ
1)ससुराल हमें तो भई,लगता बहुत प्यारा
जीवन साथी मिला वहां,अनमोल हमारा|
😍😍
2)ससुराल मायके का फ़र्क, मिटेगा जिस दिन
जन्नत नज़र आएगी धरा पर,बस उसी ही दिन|
3)जिम्मेदारी का ही, दूजा नाम है ससुराल
मायके के नखरे ख़त्म,दहलीज करते पार|
4)बिन कहें मायके में,माँ समझ जाती है
सास न जाने क्यूँ,नासमझ हो जाती है|
5)ससुराल में ग़र साथ मिल,चले हमसफ़र
मायके की याद पर,दिल कर लेता सबर|
6)माँ ही है हमराज,सदा हुआ ही करती
सास से दिल की बात,कहाँ हुआ करती|
7)आधुनिक सास बन सहेली,करें बहू को प्यार
बेटी सा सुख दे वो भी जताए, अपना आभार|
8)पुरफ़ूसू-लम्हे रहते थे, मायके में हर पल
ससुराल एक रौब सा,दिखाता रहता हर पल|
(पुरफ़ूसू-लम्हे -जादुई क्षण)
9)सदियों पुरानी यही बस,खट्टी-मीठी कहानी
ससुराल मायका नाम,अविरल सुंदर रवानी|
❤️❤️
10)सात फेरों से ही खतम होती, मायके की दहलीज
अपेक्षाओं की मिल जाती तभी,अनकही फ़ेहरिस्त|
11)बचपना वो मायके वाला, नहीं मिलता फिर कभी
क्या गलत हुआ,ससुराल जताता मौका मिलते तभी|
12)बारिश की बूंदें मायके में, झूले की याद दिलाती हैं
ससुराल में पकोड़ों की फरमाइश,तुरंत हो जाती है|
13)दिले-आईनामिजाज की खवाहिशें पूरी करे मायका
ससुराल सिखाएं चाहतों को,मन में ही कैसे रखना|
14)मायके से ससुराल को जाना, हर नारी की है नियति
अच्छा मिला तो बल्ले-बल्ले, नहीं तो किस्मत फूटी|
🥰🥰
मायका शायरी स्टेटस
15)मायका यानि माँ का घर,याद है बहुत आता
ससुराल में एक बेगानापन सा, रह ही है जाता|
16)ससुराल में ग़र स्वागत, बेटी के रूप में है होता
मायका भी धीरे-धीरे,एक मीठी याद सा बसा रहता|
17)पति के घर जाने की रस्म,आखिर किसने थी बनाई
यह बात जाने-अनजाने,हर नारी के मन में हैं आई|
18)छोटी सी बात पर भी,ससुराल में मिलता ताना
मायका याद आता फिर,गाता था दिल तराना|
19)हमेशा ससुराल की हो गलती,ऐसा नहीं है होता
मायके सा प्यार बहू का भी,कभी नहीं है दिखता।
20)मेरे मायके में और मेरे ससुराल में की, जंग रहती जारी
अच्छी सारी मम्मी की और ख़राब मम्मी जी की लगे सारी|
🤪😀
21)मम्मी जी नहीं माँ, कह पुकारो, न
मन की बंधी गिरह, तो खोलो, न
ससुराल हम दोनों की है,सच में, न
गले लग बेटी सा सुख, अब दे दो,न
22)ननद बन यूँ न आग लगाया करो
दूज़े घर बहू बन तुम्हें भी है जाना
जो पीड़ा भाभी को देती हो मायके में
ससुराल में उसे ही,पड़ेगा तुम्हें भी अपनाना।
23)ससुराल में थोड़ा सा स्नेह भरा अहसास,
जीवन बनाता सुहाना
जी-जान से बहू भी दिखाती
अपने मृदुल जज्बात,देखे जमाना|
💃💃
24)बेटी मान, स्वागत है तुम्हारा
ससुराल नहीं, घरअपना है तुम्हारा
माँ नहीं अपनी सहेली,समझोगी जब
हर पल सुहाना बनेगा, तभी तुम्हारा|
25)दिल की अंदरूनी बातें भी,
माँ है अपनेआप जान लेती
सासू माँ अनजान बन,
थोड़ी बेरुखी सी है दिखा जाती|
26)मायके में उन्मुक्त पंछी सी,
हुआ करती थी मस्त उड़ान
ससुराल में निगाहें लगती,
हो रहा हो जैसे कोई इम्तिहान|
27)पिछले जन्म के दो दुश्मन,
रहते जब इस जन्म में एक छत तले
पति-पत्नी कहलाते,देख नोंक-झोंक उनकी,
पूछते, कैसे थे मिले|
🥴🤔
28)सच यह है कि मायके सा,
नहीं मिल सकता कहीं प्यार
ससुराल में सवेंदनशीलता का अभाव
आता नज़र अक्सर बार-बार|
ससुराल पर नोंक-झोंक वाली शायरी
29)हमारे घर में तो ऐसे ही है होता
ससुराल परम्परा की देता दुहाई
जमाना बदल रहा तेजी से अब
बहू की मगर नहीं होती, कोई सुनवाई|
30)मम्मी से मम्मी जी का सफ़र
एक अनवरत जीवन गाथा है
नख़रे दिखाती हर बात पर बेटी को
बहू बन सबके नाज उठाने की व्यथा है।
31)माँ क्या डाँट नहीं,लगाती कभी
सासू माँ की ही लगती,हर बात बुरी
भलाई ही होती है,इसके पीछे छुपी
समझ नहीं पाते छोटी सी,बस बात यही।
32)ऊँचे महल-बंगलें देखे,बाबुल
सोने के गहनों से सजे,गुड़िया अपनी
कैद में बुलबुल खुश नहीं रह सकती
सोचे ना ससुराल भी इस जज्बे को कभी|
33)छोटी सी ननदें और प्यारे से है देवर
बात बात में तुनके,दिखाए ऊँचे तेवर
ससुराल में सहने की,आदत है हो जाती
नन्हें सी परी एकदम से,स्यानी है हो जाती।
34)सुनी सुनाई बातों से नहीं,
मन से ससुराल को अपने अपनाओ
मायके सा वहीँ आत्मीय व्यवहार भी तो,
सब को जरा जतलाओ|
35)मोबाईल पर ज्यादा वक्त गुजारना
हर खबर को माँ तक रोज पहुँचाना
अच्छे नहीं बनते ऐसे में फिर इम्कान
सास की बात दिखेगी,ऐसे में इम्तिहान|
36)माना मायका होता ही है प्यारा
जब तब यादों का लिए बसेरा
एक नयी शुरुआत ससुराल से ही होती
पिया के दिल पर कर राज,दिखेगा न्यारा|
37)दो परिवारों की इज्जत,नारी कहलाती
मानसिक बल से सरोबार, है जो रहती
मायके के संस्कार, हैं बढ़ाते उसकी शान
ससुराल में सब देते बढ़ कर, श्रेष्ठ सम्मान|
💐💐
38)एक पौधे को जब दूजी जगह, है जाता रोंपा
वक्त को वक्त भी तो थोड़ा,है दिया जाता
प्यार और स्नेह की देखभाल,बनाये हसीं कारवां
खिलते फूलों से ही ससुराल, दिखता एक बागवां|
39)सुबह-सुबह उठना,ससुराल में नहीं भाता
घूँघट में रसोई में दिन भर,खटना है सताता
बहू भी है इंसान,शायद कोई नहीं समझ पाता
इसलिए लड़कियों को अब ब्याह रचाना,रास नहीं आता।
40)ससुराल को पहले दिन से ही,अपना माने
यही अपेक्षा होती,भगवान ही यह सब जाने
छोटी सी ननद को है कहना पड़ता दीदी
देवर भी खुद को प्रिंस से, कम न कभी माने|
41)अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो
कुबेर का ख़ज़ाना पर,मेरे बाबुल को दीजो।
ख़ाली हाथ बहू,अच्छी नहीं लगती आती ससुराल
रूप सौंदर्य संग,गाय सा कोमल स्वभाव भी दीजो।
🙂🙂
42))बिखरे जज्बात पूछते,क्यूँ नहीं हालात हुए मेहरबान
विनती है बाबा, न भेजो उस घर,नहीं कोई कद्रदान
मायके का वो लाड,क्या एक सोची समझी थी चाल
ससुराल की तकलीफों का था, आपको बखूबी इम्कान|
ससुराल मायका पर अनमोल शायरी
43)आँखों में भर-भर नीर,
छूटती मेरी जोरों से रुलाई
रस्मों के नाम पर विदाई,
क्यूँ बेटी की ही कराई
जन्म तो भाई ने भी लिया था,
वहीँ उस आँगन में
झूठा था न पापा प्यार सारा,
तभी तो हुई मै पराई|
44)ससुराल में बहू को जब-तब,
यह सुनाया जाता है
जीवन भर रिश्तेदार उसके ही है,
जताया जाता है
भला यह दोहरा मापदंड,
क्यूँ उसे बताया जाता है
मायके की याद को मजबूर ऐसे,
कराया जाता है|
45)फेरों पर ही चल जाता है पता,
ससुराल का
दिल के हैं कंजूस या सच में हैं
बड़ें दिलदार
मायके की खर्चीली शहजादी का,
जाता दिल धड़क
ससुराल में मियां तो लगता है,
नहीं करते कुछ खर्च|
46)संस्कारों के नाम पर बेटी को,
बांध है दिया जाता
नफ़स दर नफ़स,बेड़ियों में
जकड़ है दिया जाता
सास भी थी कभी,
क्यूँ अहसास वो सब है भूल जाती
दो मीठे शब्द बोलने में कंजूसी,
जब तब है नज़र आती|
🙇🙇
(नफ़स दर नफ़स=हर साँस के साथ)
47)कई मर्तबा सोचूं सास से करूँ,
बैठ दिल की बात
उनके चेहरे पर देख सख्त भाव,
रुक जाते पांव अपनेआप
मायके जैसा माहौल करने को,
मचलते दिल और दिमाग
पर भाई,ससुराल हैं न,
सासू माँ ही है घर की बॉस बिन विवाद|
48)विदा के बाद मायका,
बेटी को मानता है हमेशा मेहमान
जरा सी खबर सुन वो दौड़ी आती,
छोड़-छाड़ सब काम
ससुराल में सेवा को उसकी तो,
जिम्मेदारी ली जाती मान
यही व्यवहार नहीं जोड़ पाता उम्र भर,कोशिशें होती नाकाम|
49)मायके से लायी साड़ी में,
नुक्स निकालें सासू जी हमारी
अपनी सस्ती ड्रेस को भी,
बहुत महंगी कह इतराती हर बारी
न जाने क्यों यह होड़,मची रहती है घर घर,
दिखावे की भरमार
रिश्तों में आपसी लगाव को कम करती,
यही बस नौटंकी सारी|
50)बेफिक्री बचपना छोड़ जिम्मेदारी की,
लाल चुनरी ओढ़ ली
नाजुक बेटी से होनहार बहू की पदवी,
हिम्मत से बढ़ थाम ली
बहुत नफासत-नजाकत से मायके में,
परवरिश हुई थी हमारी
ससुराल को हर हाल अपना घर,
मानने की तैय्यारी हमने कर ली|
51)नारी के जीवन पर्यंत,
संग जुड़ा हुआ यह है नाता
ससुराल को असली घर,
पर मायका पराया है हो जाता
समझ आज तक बात किसी भी,
बहू बेटी नहीं है आई
हो तुम पराया धन,
जिन्दगी भर क्यूँ है यही सुनाया जाता|
ससुराल मायका शायरी पर बेहतरीन काव्य-संग्रह,इस ब्लॉग की विशेषता है|नारी मनोभावों को रचनाओं के रूप में लिखने का एक प्रयास है| पढ़िए और अपनी राय COMMENT BOX में बताइए भी🙂
रास्ता था लम्बा, मुश्किलें थी क्रूर
दिल में लेकिन मशाल जला कर चली आयी मैं इतनी दूर।