मायके पर शायरी की क्या करें बात, मीठी यादों की होने लगती है रिमझिम सी बरसात

मायके पर शायरी लिखने पर वो सारी मधुर स्मृतियाँ,वो अल्हड़पन,वो रूठना-नखरे दिखाना,माँ के हाथों का बना अनुराग भरा खाने का स्वाद,पापा का सपनों को पूरा कराने में दिन-रात का साथ,भाई-बहनों संग लड़ना-झगड़ना और सहेलियों के साथ की चुलबुली शैतानियाँ| उफ़्फ़ ! कितना कुछ और पर बताना है...