ससुराल पर कविता की हो जब बात,खट्टे-मीठे एहसासों के आते ख्यालात 

ससुराल पर कविता यानी प्रिय पति के माता पिता का घर जिसमें दुल्हने-लिबास में आने से लेकर सलामे-आख़िर तक उम्र बिताने के क़समें वायदे लिए होते है।खट्टे-मीठे,हँसते तो कभी रोते हुए अहसासों की कहानी ही रचना के रुप  में लिखने की कोशिश है|चलिए मिलकर पढ़ते हैं| पढ़ना न भूलें...